Thursday 12 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (4)


                      (चित्र: पोम्पे)

रोम में यह व्यवस्था थी कि बड़े ज़मींदार या खानदानी फौजी जनरल अपनी सेना रख सकते थे। वे युद्धों का ठेका लेते, और वहाँ से जो भी लूट-पाट कर लाते उसका बड़ा हिस्सा खुद रख लेते। कुछ टोकन की तरह शाही खजाने में डाल देते।

जब सीज़र तीस वर्ष के थे, उस समय के कुछ प्रमुख किरदारों से परिचय करा रहा हूँ, क्योंकि ये नाम बार-बार आगे आएँगे।

रोम के सबसे धनी व्यक्ति थे क्रैसस, जिनकी चर्चा पहले भी की है। उम्र रही थी पैंतालीस वर्ष। उनकी अपनी सेना थी, सिनेट पर दबदबा था।

रोम के सबसे काबिल जनरल थे- पॉम्पे। उन्होंने अभी-अभी स्पार्टाकस को हराया था, और कई अन्य युद्ध जीत कर इम्परेटर की पदवी पायी थी। उनकी उम्र थी पैंतीस वर्ष।

पोम्पे के हमउम्र और रोम के सबसे विद्वान, प्रखर वक्ता के रूप में उभर रहे थे- सिसरो। उनकी विद्वता इसी से समझी जा सकती है कि संपूर्ण उपलब्ध लैटिन साहित्य का तीन चौथाई उन्हीं का लिखा है। 

सर्वहारा वर्ग के प्रतिनिधि, और एक कुशल जनरल थे- लिपिडस। वह सुल्ला के बाद प्रधानमंत्री बने और सुल्ला के मृत्यु पर किसी भी आयोजन के ख़िलाफ़ थे। उनकी अपनी सेना थी और उनके प्रमुख सेनापति थे ब्रूटस। वह उन ब्रूटस के वंशज थे जिन्होंने सदियों पहले रोम में गणतंत्र की स्थापना की थी; और उन ब्रूटस के पिता जिन्होंने बाद में जूलियस सीज़र की हत्या की।

अब सवाल यह था कि इनमें से रोम की गद्दी किसके पास रहे? 

लिपिडस का जब प्रधानमंत्री काल खत्म हुआ, तो उन्होंने पुन: प्रधानमंत्री बनना चाहा। सिनेट के विरोध करने पर उन्होंने अपनी सेना लेकर गृह-युद्ध छेड़ दिया। उनसे लड़ने के लिए पोम्पे को भेजा गया।

पोम्पे ने उनके सेनापति ब्रूटस को घेर लिया। जब उन्होंने आत्मसमर्पण किया, तो उनको अपने खेमे में बुलाया। बाद में धोखे से मार दिया। लिपिडस को भी भागना पड़ा। दो लोग तो साफ़ हो गए। 

समस्या यह थी कि पोम्पे की उम्र और आर्हता अभी सांसद बनने की भी नहीं हो पायी थी। वह पहले किसी संसदीय पद पर रहे ही नहीं थे।

उन्होंने सांसदों को कहा, “सुल्ला को मारियस पर जीत किसने दिलायी? स्पार्टाकस को किसने हराया? इस साम्राज्य का इंपरेटर कौन है? वह कौन है जो अफ्रीका तक जीत दर्ज कर घोड़े पर सवार होकर रोम आया था, तो सुल्ला ने स्वयं स्वागत किया था? किसे सिकंदर महान की तरह ‘महान’ का दर्जा दिया गया? किसने लिपिडस का विद्रोह खत्म किया?”

“यह सब आप ही हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री बनने की न्यूनतम उम्र बयालीस वर्ष है। आपने तो कभी सिनेट का मुँह भी नहीं देखा। आप कैसे प्रधानमंत्री बन सकते हैं?”

उस समय क्रैसस खड़े हुए और कहा, “मुझे भी पोम्पे से शिकायत रही है। आप सबसे कहीं अधिक रही है। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि आज रोम में इनसे काबिल प्रधानमंत्री कोई होगा। रही बात अनुभव की, तो मैं इनके साथ दूसरा प्रधानमंत्री बनने को तैयार हूँ।”

इस तरह क्रैसस और पोम्पे गणतंत्र के नियमों को बायपास करते हुए रोम के प्रधानमंत्री बन बैठे।

जूलियस सीज़र क्रैसस से मिलने गए, और पैरवी लगा कर ‘क्वेस्टर’ (वित्त मंत्रालय) पद पा गए। उनको हिस्पैनिया (स्पेन) में पोस्टिंग मिली। वहाँ उन्हें सिकंदर महान की एक मूर्ति दिखाई दी। यह मूर्ति देखते हुए सीज़र सोचने लगे कि इस उम्र तक तो सिकंदर दुनिया फ़तह कर रहे थे, और वह क्या कर रहे हैं? 

उसी वर्ष उनकी बुआ और उनकी पत्नी का देहांत हुआ। सीज़र ने उनके कब्र पर अपने फूफा मारियस का मुखौटा मंगवाया, जो सुल्ला के डर से छुपा दिया गया था। यह सफेद मुखौटा आप अक्सर प्राचीन रोमन मूर्तियों में देखते होंगे, जो चेहरे पर चूने का लेप लगा कर बनाया जाता था। इस कारण वे मूर्तियाँ हज़ारों वर्ष बाद भी लगभग वास्तविक चेहरे हैं। 

सीज़र ने जनता के सामने कहा,

“मेरी बुआ देवी वीनस की वंशज थी। देवी-देवताओं का स्थान राजाओं से भी ऊपर है। मेरा सौभाग्य है कि मेरी रगों में भी वही खून बह रहा है।”

उस दिन जनता ने इस हाड़-माँस के व्यक्ति में देवता देखना शुरू कर दिया। 
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (3) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/3.html 
#vss 

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