Saturday 21 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (12)


चित्र: सिसरो के सर का परीक्षण करती एंटनी की पत्नी फुल्विया

जैसे कोई सॉफ़्टवेयर या ऐप्प अपडेट होता है, तो उसकी ख़ामियाँ (bugs) ठीक कर दी जाती है, उस तरह ऑक्टावियन सीज़र भी जूलियस सीज़र 2.0 थे। मॉडल वही था, लेकिन बेहतर था। गति में अधिक तेज, बुद्धि में अधिक शातिर, और व्यवहार में अधिक क्रूर। जूलियस सीज़र ने तानाशाह बन कर भी गणतंत्र थोड़ा-बहुत बचा रखा था, ऑक्टावियन ने इसे हमेशा के लिए खत्म ही कर दिया। जूलियस सीज़र के क्षमा-दान के विपरीत उन्होंने एक-एक शत्रु को चुन-चुन कर बेरहमी से मारा। और-तो-और यह सब करने के लिए उन्होंने जूलियस सीज़र का ही नाम भुनाया।

जब ईसा पूर्व 44 में सीज़र की हत्या हुई, मार्क एंटनी (मार्कस एंतोनियस) रोम के सर्वेसर्वा बन बैठे। उन्होंने जूलियस सीज़र की वसीयत को बदल कर सभी चीजें अपने पक्ष में कर ली। जनता के लिए लिखी वसीयत में बदलाव तो उनके हाथ में था, लेकिन निजी वसीयत तो उनके पास थी ही नहीं। जूलियस सीज़र ने अपनी निजी संपत्ति का बड़ा हिस्सा ऑक्टावियन नामक नवयुवक के नाम कर दिया था।

पहले जब ऑक्टावियन अपना अधिकार लेने आए तो एंटनी ने उनको ‘बच्चा’ कह कर भगा दिया। मगर ऑक्टावियन में भी आखिर सीज़र का थोड़ा-बहुत रक्त बहता था। उनके पास उनके ही ट्रिक थे। जनता के पास जाना।

उन्नीस वर्ष के ऑक्टावियन ने जूलियस सीज़र की तरह ही वीनस मंदिर के समक्ष भव्य खेल का आयोजन किया। उस मंदिर में उन्होंने जूलियस सीज़र की एक कांस्य मूर्ति और सोने का सिंहासन लगा कर भगवान का दर्जा दे दिया। सिनेट में पैरवी लगवा कर उन्होंने सीज़र के जन्म के महीने का नाम ‘जुलाई’ रखवा दिया। जो भी रिश्वत या धन लगा, उन्होंने अपनी जेब से लगाया। इसके लिए अपनी संपत्ति भी बेच दी। लेकिन, यह सब करने के बाद वह स्वयं को ‘सीज़र’ का अवतार कहने लगे। 

एंटनी को भी लग गया कि यह ‘बच्चा’ तो जूलियस सीज़र का भी बाप निकला। 

ऑक्टावियन ने जनता के बीच एंटनी का बिना नाम लिए कहा, “आज मेरे पिता की हत्या का बदला लेने के बजाय कुछ लोग उन राजद्रोहियों के साथ ही गलबहियाँ कर रहे हैं। उनके हत्यारे हमारे ही राज में खुलेआम घूम रहे हैं। लेकिन, मैं यह प्रण लेता हूँ कि रोम के देवता सीज़र का प्रतिशोध लेकर रहूँगा।”

हालत यह हो गयी कि न सिर्फ़ जनता बल्कि एंटनी के निजी सैनिकों का भी बड़ा हिस्सा ऑक्टावियन के साथ आ गया। सिसरो ने जब हवा बदलती देखी, तो उन्होंने भी एंटनी के ख़िलाफ़ सिनेट में बोलना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा,

“एंटनी, जूलियस सीज़र के बगीचे का सारे फव्वारे खोल कर ले गए। उनके सभी फानूस, सभी कालीन अपने घर ले आए। सीज़र के नाम पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को मरवाया। जनता को भड़काया। अपने भाइयों और दोस्तों में रोम की संपत्ति बाँट दी। मंदिर का ख़ज़ाना लूट लिया। यह व्यक्ति रोम को बर्बाद कर देगा।”

जब सिसरो यह भाषण दे रहे थे, उस समय एंटनी मुतिना नामक नगर में थे। सिनेट ने उन पर आक्रमण की योजना बनायी। ऑक्टावियन की सेना ने वहाँ जाकर एंटनी पर विजय पायी। सिसरो इस घटनाक्रम से खुश हो रहे थे, कि ऑक्टावियन उनके चेले बन गए। मगर ऑक्टावियन उनके भी गुरु निकले। वह जानते थे कि ये सिसरो जैसे वाचाल लोग सिर्फ़ जबान चलाते हैं, और षडयंत्र रचते हैं। 

ऑक्टावियन ने एंटनी और लिपिडस से मुलाक़ात की और कहा, “हमारे लड़ने का कोई अर्थ नहीं। हम तो जूलियस सीज़र की ही परंपरा के हैं। सदा उन्हीं के साथ रहे। षडयंत्रकारी तो ये सिसरो जैसे सिनेटर हैं। हमें हाथ मिलाना ही होगा।”

ठीक जिस तरह कभी क्रैसस और पोम्पे के साथ मिल कर जूलियस सीज़र ने त्रिशासकदल (triumverate) बनाया था, उसी तरह एंटनी और लिपिडस के साथ मिल कर ऑक्टावियन ने दूसरा त्रिशासकदल बनाया। अब ये तीनों रोम के कर्ता-धर्ता थे। इनका पहला उद्देश्य था चुन-चुन कर अपने शत्रुओं को मारना। 

एंटनी ने सबसे पहले अपने दो गुर्गों को भेज कर सिसरो की हत्या करवायी। विडंबना यह कि दोनों हत्यारे कभी सिसरो के चेले रहे थे। उनका कटा हुआ सर और धड़ सार्वजनिक रूप से एक कील गाड़ कर प्रदर्शित किया गया। एंटनी ने पहले कहा कि इसके हाथ काटो, जिससे वह मेरे ख़िलाफ़ लिखता था। उसके बाद उनकी पत्नी फुल्विया ने कटे हुए सर से जबान खींच कर बाहर निकाली, और उसे अपने बालों में लगे पिन से छलनी कर दिया। सिसरो की ताकत यह जबान ही तो थी। 

साथ ही एंटनी की पत्नी फुल्विया की पुत्री से ऑक्टोवियन सीज़र ने विवाह किया। अब उनका गठबंधन पक्का हो गया।

ऑक्टावियन ने कहा, “सिसरो मर गया। अब ब्रूटस की बारी है!”
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (11)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/11_20.html
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