Monday 2 August 2021

जम्मू कश्मीर के डीएसपी दविंदर सिंह की बर्खास्तगी / विजय शंकर सिंह

एक खबर सोशल मीडिया पर आ रही है कि जम्मूकश्मीर के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह की जांच नही की जा रही है और इसका कारण है जांच करने में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा। 

यह भ्रम फैला है उपराज्यपाल जम्मूकश्मीर के एक आदेश से जो उन्होंने दविंदर सिंह को बर्खास्त करते हुए दिया है। वह आदेश संविधान की धारा 311 के आधीन दिया गया है। इस धारा में अधिकारियों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी के प्राविधान हैं। 

पहले, निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह की बर्खास्तगी का आदेश पढ़े, 
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2021 का शासनादेश क्रमांक 451- जेके(जीएडी) दिनांक:20.05.2021

जबकि, उपराज्यपाल इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद और उपलब्ध जानकारी के आधार पर संतुष्ट हैं कि श्री दविंदर सिंह पुलिस उपाधीक्षक (निलंबनाधीन) पुत्र श्री दीदार सिंह निवासी ओवरीगुंड  त्राल, पुलवामा की गतिविधियां उनकी बर्खास्तगी के लिये पर्याप्त औचित्यपूर्ण हैं। 

और जबकि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड (2) के उपखंड (सी) के तहत उपराज्यपाल इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के हित में श्री दविंदर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक (निलंबनाधीन) पुत्र श्री दीदार सिंह निवासी ओवरीगुंड त्राल, पुलवामा के मामले में। इस मामले में जांच करना समीचीन नहीं है, 

तदनुसार, उपराज्यपाल एतद्द्वारा श्री दविंदर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक (निलंबन के तहत) पुत्र श्री दीदार सिंह निवासी ओवरीगुंड त्राल, पुलवामा को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करते हैं।
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दविंदर सिंह की जांच कराने से राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नही है बल्कि उपराज्यपाल को यह समाधान हो गया है कि दविंदर सिंह को सेवा में बनाये रखना  अब उचित नहीं है और उसकी जांच करना व्यवहारिक रूप से सम्भव नहीं है इस लिये अनुच्छेद 311(2) के अंतर्गत बर्खास्त किया गया है। अगर क्रिमिनल केस के मुक़दमे के फैसले या विभागीय जांच के बाद बर्खास्त किया जाता तो अनावश्यक रूप से समय लगता। उसका अपराध इतना गम्भीर है कि उसे इस असाधारण प्राविधान के अंतर्गत बर्खास्त किया जा रहा है।

अनुच्छेद 311(2) में बर्खास्तगी होतो रहती हैं और मैंने खुद इस प्राविधान में बर्खास्तगी की हैं। हालांकि कुछ बर्खास्तगी को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट न्यायसम्मत नहीं पाती हैं तो उन्होंने उसे रद्द भी कर दिया है। यह प्राविधान एक असाधारण परिस्थितियों के लिये है। अब इस सम्बंध में संविधान का अनुच्छेद 311 के प्राविधान पढ़े, 

 अनुच्छेद 311
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● अनुच्छेद 311 (1) ~
कोई भी अखिल भारतीय सेवा या राज्य सरकार का सरकारी अधिकारी/कर्मचारी अपने अधीनस्थ प्राधिकारी द्वारा बर्खास्त या हटाया नहीं जाएगा। 

यानी नियुक्ति करने वाला अधिकारी ही अपने अधीनस्थ को सेवा से हटा सकता है। 

● अनुच्छेद 311 (2) 
किसी भी सिविल सेवक को बिना जाँच और उंस पर लगाये आरोपों पर उसे सुनवाई का अवसर दिए बिना,  बर्खास्त या हटाया या उसके रैंक को कम नहीं किया जाएगा। 

यानी बर्खास्तगी के पहले बर्खास्त किये जाने वाले अधिकारी के बारे में जांच और उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। 

● अनुच्छेद 311 के तहत आने वाले  व्यक्ति 
संघ की सिविल सेवा, 
अखिल भारतीय सेवाओं और
किसी राज्य की सिविल सेवा 
संघ या किसी राज्य के अधीन सिविल पद धारण करने वाले व्यक्ति।

● अनुच्छेद 311 के अंतर्गत दिये गए सुरक्षात्मक उपाय केवल सिविल सेवकों, यानी लोकसेवा अधिकारियों पर लागू होते हैं। वे रक्षाकर्मियों के लिये उपलब्ध नहीं हैं।

● अनुच्छेद 311 (2) के अपवाद 
2 (a) -  जहाँ एक व्यक्ति को किसी आपराधिक आरोप में अदालत से दोषी ठहराया गया है या उसे आपराधिक मामले में अदालत से सजा मिल सकती है, तो, उसके आचरण के आधार पर, उसे बर्खास्त या हटाया या रैंक में कमी की जाती है। 

2 (b) - यदि किसी कारण से, ऐसे अधिकारी जिसपर लगे आरोपों की जाँच करना उचित या व्यावहारिक नहीं है, और बर्खास्त करने वाला अधिकारी, इस बात से, संतुष्ट है तो, वह अपने अधीनस्थ को बर्खास्त, हटा या उसके रैंक मे कमी कर सकता है। 

2 (c) - जहाँ राष्ट्रपति या राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, संतुष्ट हो जाता है कि राज्य की सुरक्षा के हित में ऐसी जाँच करना उचित नहीं है।

इन प्रावधानों के तहत बर्खास्त किये गए सरकारी कर्मचारी राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) या न्यायालयों जैसे न्यायाधिकरणों में जा सकते हैं।

● अन्य संवैधानिक प्राविधान 
● भारत के संविधान का भाग XIV संघ और राज्य के अधीन सेवाओं से संबंधित है।
● अनुच्छेद 309 संसद और राज्य विधायिका को क्रमशः संघ या किसी राज्य के मामलों के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने का अधिकार देता है।
● अनुच्छेद 310 के अनुसार, संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों को छोड़कर, संघ में एक सिविल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से काम करता है और राज्य के अधीन एक सिविल सेवक उस राज्य के राज्यपाल की इच्छा पर काम करता है।

लेकिन सरकार की यह शक्ति निरपेक्ष नहीं है।
अनुच्छेद 311 किसी अधिकारी की पदच्युति, पदच्युति में कमी के लिये राष्ट्रपति या राज्यपाल की पूर्ण शक्ति पर कुछ प्रतिबंध लगाता है।

अब अनुच्छेद 311 अंग्रेजी में आप पढ़ सकते हैं। 
Article 311
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● Article 311 (1) says that no government employee either of an all India service or a state government shall be dismissed or removed by an authority subordinate to the own that appointed him/her.

● Article 311 (2) says that no civil servant shall be dismissed or removed or reduced in rank except after an inquiry in which s/he has been informed of the charges and given a reasonable opportunity of being heard in respect of those charges.

People Protected under Article 311: The members of
Civil service of the Union,
All India Service, and
Civil service of any State,
People who hold a civil post under the Union or any State.

The protective safeguards given under Article 311 are applicable only to civil servants, i.e. public officers. They are not available to defence personnel.

Exceptions to Article 311 (2):
2 (a) - Where a person is dismissed or removed or reduced in rank on the ground of conduct which has led to his conviction on a criminal charge; or

2 (b) - Where the authority empowered to dismiss or remove a person or to reduce him in rank is satisfied that for some reason, to be recorded by that authority in writing, it is not reasonably practicable to hold such inquiry; or

2 (c) - Where the President or the Governor, as the case may be, is satisfied that in the interest of the security of the State, it is not expedient to hold such inquiry.
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जम्मूकश्मीर के उपराज्यपाल का बर्खास्तगी आदेश जो अंग्रेजी में जारी हुआ है, उसे आप यहां पढ़ सकते हैं। 

Government of Jammu and Kashmir General Administration Department

(Services), Civil Secretariat, Srinagar

Subject: Dismissal from service of Mr. Davinder Singh, Deputy Superintendent of Police (Under Suspension) S/o Mr. Deedar Singh R/o Overigund Tral, Pulwama in terms of sub-clause(c) of the proviso to clause (2) of Article 311 of the Constitution of India.

Government Order No.451-JK(GAD) of 2021 Dated:20.05.2021

WHEREAS, the Lieutenant Governor is satisfied after considering the facts and circumstances of the case and on the basis of information available that the activities of Mr. Davinder Singh Deputy Superintendent of Police (Under Suspension) S/o Mr. Deedar Singh R/o Overigund Tral, Pulwama are such as to warrant his dismissal from service;

AND WHEREAS, the Lieutenant Governor is satisfied under sub-clause (c) of the proviso to clause (2) of Article 311 of the Constitution of India that in the interest of the security of the State, it is not expedient to hold an enquiry in the case of Mr. Davinder Singh, Deputy Superintendent of Police (Under Suspension) S/o Mr. Deedar Singh R/o Overigund Tral, Pulwama.

Accordingly, the Lieutenant Governor hereby dismisses Mr. Davinder Singh, Deputy Superintendent of Police (Under Suspension) S/o Mr. Deedar Singh R/o Overigund Tral, Pulwama from service, with immediate effect.

By order of the Lieutenant Governor.

Commissioner/Secretary to the Government General Administration Department

Dated:20.05.2021

No.GAD(Ser)Genl/46/2021

Copy to:

1. Principal Secretary to the Government, Home Department. 2. Director General of Police, J&K.
3. Principal Secretary to the Lieutenant Governor.

( विजय शंकर सिंह )
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