Monday 19 October 2020

देश की सबसे पहली दर्ज एफआईआर / विजय शंकर सिंह

आइपीसी लागू होने के बाद सबसे पहली एफआईआर 156 साल पहले हुयी थी। 1861 मे भारतीय आपराधिक न्यायतंत्र के अंग के रूप में भारतीय दंड संहिता, यानी आइपीसी, इंडियन पैनल कोड, यानी ताजीरात ए हिन्द को अपराधों के वर्गीकरण, उनकी परिभाषा, प्रकार और दंड की प्रकृति के आधार पर, लागू किया था। इसी के बाद आधुनिक पुलिस तंत्र का औपचारिक स्थापना हुयी। 

दिल्ली में आइपीसी के अंतर्गत पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट या फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट, जिसे लघुरूप में एफआईआर कहते हैं,और उर्दू में चिक दस्तंदाजी कहते हैं 18 अक्टूबर 1861 को दर्ज हुयी थी। इसे देश की पहली रिकॉर्डेड दर्ज एफआईआर भी माना जाता है। आइपीसी केवल ब्रिटिश भारत मे लागू थी और लगभग आधे से अधिक भारत, रियासतों के अधीन था तो उनके अपने अलग कानून और पुलिस थी। कुछ रियासतों ने आइपीसी के तर्ज पर अपने दंड विधान बनाये थे, और कुछ ने ब्रिटिश न्याय और पुलिस तंत्र को थोड़े बहुत फेरबदल से अपनाया था। जम्मूकश्मीर में अलग दंड विधान था।  

दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गयी यह एफआईआर, 18 अक्टूबर 1861 की है, जो उर्दू में लिखी गयी थी। यह एफआईआर 17 अक्टूबर 1861 को हुयी एक चोरी की वारदात की है। चोरी गए सामान की सूची, जो वादी द्वारा दी गयी है, उसमे, एक हुक्का, कुछ बर्तन, महिलाओं के पहनने वाले कुछ कपड़े, और एक कुल्फी से भरा हुआ घड़ा है। यह एफआईआर, मईउद्दीन पुत्र मोहम्मद, निवासी कटरा शीश महल, द्वारा दिल्ली के थाना सब्ज़ी मंडी में दर्ज करायी गयी थी। चोरी गए समस्त संपत्ति की कीमत 2 रुपये 14 आने बताई गई थी। 
इस मुकदमे की विवेचना में चोर पकड़े गए और माल की बरामदगी हुयी या नही  इसका कोई उल्लेख मुझे नही मिला है। दिल्ली पुलिस के म्यूजियम में इस एफआईआर की प्रतिलिपि और विवरण उपलब्ध है। यह भी उल्लेख है कि सब्ज़ी मंडी थाने में उसी एफआईआर की एक और प्रतिलिपि भी टँगी हुयी है। 

( विजय शंकर सिंह )

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