कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े, 113 रिटायर्ड सिविल सेवा के अधिकारियों, जिनमे आईएएस, आईएफएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी सम्मिलित हैं ने प्रधानमंत्री जी को एक खुला पत्र लिखा है। पत्र मूल रूप से अंग्रेजी में है जिसका हिंदी अनुवाद मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा है। अनुवाद में कुछ गलतियां हो सकती है। इसलिए अंग्रेजी का अंश भी इस अनुवाद के बाद दे दे रहा हूँ।
■
प्रिय प्रधान मंत्री जी,
अतीत में, जब भी हमें लगा कि कार्यपालिका ने अपने कार्यों में संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह, की तरफ से, भारत के संविधान के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ और बिना किसी राजनीतिक संबद्धता के, आपको और साथ ही अन्य संवैधानिक अधिकारियों को पहले भी कई अवसरों पर हमने पत्र लिखा है।
आज कोविड महामारी और अपने देश के लोगों की पीड़ा के बीच, हम आपको क्षोभ के साथ-साथ आक्रोश में भी लिख रहे हैं। हम जानते हैं कि यह महामारी पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है और भारत के नागरिकों को भी यह अछूता नहीं छोड़ने वाली है। फिर भी, जो बात हमारे होश उड़ाती है, वह न केवल चिकित्सा सहायता के लिए नागरिकों का रोना और हजारों लोगों की मौत है, बल्कि संकट की भयावहता के बीच, नागरिकों के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति आपकी सरकार का स्पष्ट रूप से ढुलमुल रवैया भी है।
शासन की कैबिनेट प्रणाली का लगातार होता हुआ क्षरण, संघ - राज्य संबंधों का बिगड़ना, विशेष रूप से केंद्र में सत्तारूढ़ दल के शासन का विरोध करने वाले दलों द्वारा शासित राज्यो की उपेक्षा, विशेषज्ञों और संसदीय समितियों के साथ जानकर परामर्शदाताओं की कमी, समय पर निर्णय लेने में विफलता, विशेषज्ञ समितियों की सलाह और राज्य सरकारों के साथ प्रभावी समन्वय के अभाव ने, गरीबों, वंचितों और अब समाज के बेहतर वर्गों के लिए भी विनाशकारी परिणाम दिए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय और हमारे अपने वैज्ञानिकों की चेतावनियों के बावजूद, पहली और दूसरी लहरों के बीच मिले समय का उपयोग मेडिकल स्टाफ, अस्पताल के बिस्तर, ऑक्सीजन की आपूर्ति, वेंटिलेटर और दवाओं और अन्य चिकित्सा आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों को बढ़ाने के लिए नहीं किया गया। इससे भी अधिक अक्षम्य है कि, भारत दुनिया के प्रमुख वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं में से एक होने के बावजूद, टीकों का पर्याप्त स्टॉक आरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा कोई अग्रिम योजना बनाई ही नहीं गई।
विभिन्न मंचों पर आपके और आपके मंत्रिस्तरीय सहयोगियों द्वारा प्रदर्शित की गई निश्चिंतता ने न केवल आसन्न खतरे से जनता का ध्यान भटका दिया, बल्कि राज्य सरकारों और नागरिकों दोनों को एक गम्भीर संकट के मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया। परिणामस्वरूप, आपका आत्मानिर्भर भारत आपकी सरकार द्वारा, अपने ही लोगों पर थोपी गई पीड़ा को कम करने के लिए आज बाहरी दुनिया की मदद लेने के लिये मजबूर है।
मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत से ही, आपकी सरकार ने कभी भी व्यवस्थित रूप से उस धन का आकलन नहीं किया है जिसकी राज्य सरकारों को महामारी से निपटने के लिए आवश्यकता होगी। पीएम केयर्स (PM-CARES) फंड की स्थापना तब की गई, जब पहले से ही एक 'प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष' मौजूद था। पीएम केयर्स में, एकत्र की गई धनराशि और विभिन्न मदों पर उसके व्यय के संबंध में कोई खुलासा नहीं किया गया। इस फंड ने खुद ही लोगों से वे पैसे भी जमा करा लिये, अन्यथा वे विभिन्न राज्यो के सीएम रिलीफ फंड और एनजीओ में जमा होते।
आपकी सरकार राज्यों को उनका बकाया जीएसटी भुगतान करने में भी तत्पर नहीं रही, जिससे उन्हें कोविड देखभाल में हुए खर्च को चुकाने में मदद मिल सकती थी। साथ ही, आपकी सरकार ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर अनावश्यक खर्च कर रही है; जबकि इस महामारी के संकट से निपटने के लिए इन फंडों का अधिक लाभकारी उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, गैर सरकारी संगठनों को, विशेष रूप से विदेशी योगदान प्राप्त करने पर लगाए गए कठोर प्रतिबंधों ने महामारी के दौरान राहत प्रदान करने के उनके प्रयासों में अनावश्यक बाधा उत्पन्न की है।
चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभाओं के लिए चुनाव कराना अपरिहार्य हो सकता है। पर आप, प्रधानमंत्री जी और आपकी पार्टी के पदाधिकारियों ने विभिन्न राज्यों में विशाल सार्वजनिक रैलियों का आयोजन करके, कोरोना से सम्बंधित सभी सावधानियों को हवा में उड़ा दिया, जबकि, आपकी पार्टी एक संयमित चुनाव अभियान चला कर, अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकती थी।
हरिद्वार में कुंभ मेला, कोविड सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के साथ, आयोजित किया गया था। इस तरह की दो "सुपर स्प्रेडर" घटनाओं के साथ, वायरस का दूसरा उछाल एक बड़ा खतरा बन रहा था। अब हम देश के ग्रामीण इलाकों में कोविड वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने का भयावह तमाशा देख रहे हैं।
आपकी सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों को दांव पर लगाने के बजाय कोविड संकट के "कुशल" प्रबंधन के खबरों के प्रबंधन के लिए अधिक चिंतित है। यहां तक कि विभिन्न राज्यों में किए गए कोविड टेस्ट के प्रामाणिक आंकड़े, पॉजिटिव मामलों की संख्या, अस्पतालों में भर्ती व्यक्तियों की संख्या और मृत्यु दर के आंकड़े सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं किए जा रहे हैं। विभिन्न राज्यों में आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं के पर्याप्त प्रावधान किये जाने के साथ-साथ महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए भी उचित उपाय करने के लिए ये आंकड़े महत्वपूर्ण होते हैं।
हम भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह निम्नलिखित कार्रवाई तुरंत करे:
● भारत के सभी नागरिकों को मुफ्त, सार्वभौमिक टीकाकरण प्रदान करें। भारत सरकार को सभी उपलब्ध स्रोतों से टीकों की केन्द्रिकित खरीद करनी चाहिए और राज्य सरकारों और अन्य सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को इसकी आपूर्ति करनी चाहिए।
● देश के सभी राज्यों में ऑक्सीजन आपूर्ति सुविधाओं, आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों और अस्पतालो में बिस्तरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ प्रभावी ढंग से समन्वय किया जाना चाहिए।
● ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आरटी-पीसीआर परीक्षण में तेजी लाई जाय ।
● राज्यों को चिकित्सा सुविधाओं के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जाय, और सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना जैसी गैर-आवश्यक वस्तुओं पर होने वाले खर्च को रोका जाय।
● समाज के हाशिए पर और वंचित वर्गों के परिवारों के साथ-साथ असंगठित श्रमिकों को मुफ्त राशन प्रदान करने के लिए मौजूदा अधिशेष खाद्यान्न स्टॉक को समृद्ध किया जाय, जिन्होंने महामारी, भूख और आजीविका संकट के कारण अपने रोजगार के अवसर खो दिए हैं।
● राज्य सरकारों के परामर्श से स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए मौजूदा पोषण योजनाओं और पूर्व-विद्यालय आयु समूहों में माताओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण पूरी तरह से प्रदान किया जाय।
● समाज के जरूरतमंद वर्गों को चालू वित्तीय वर्ष के लिए मासिक आय सहायता प्रदान किया जाय, ताकि वे आकस्मिक खर्चों और अप्रत्याशित आपात स्थितियों को पूरा कर सकें। अर्थशास्त्रियों ने न्यूनतम मजदूरी के बराबर प्रति परिवार ₹ 7000 प्रति माह की सिफारिश की है।
● एनजीओ पर लगाए गए एफसीआरए प्रतिबंधों को तुरंत हटा दें ताकि वे विदेशी सरकारों और चैरिटी द्वारा कोविड प्रबंधन और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराए गए धन का लाभ उठा सकें।
● सभी डेटा को सार्वजनिक डोमेन में रखें और सुनिश्चित करें जिससे लगे कि, साक्ष्य-आधारित नीतिगत उपायों को लागू किया गया है।
● सभी सरकारी फैसलों पर सलाह देने और समीक्षा करने और देश के विभिन्न क्षेत्रों में महामारी के नियंत्रण की निगरानी के लिए केंद्रीय स्तर पर एक सर्वदलीय समिति का गठन करें।
यह सब राजनीतिक-प्रशासनिक स्तर पर की जाने वाली महत्वपूर्ण कार्यवाहियों हैं। सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाही अपने प्रियजनों के नुकसान से पीड़ित आबादी के विश्वास और मनोबल के बनाये रखने से संबंधित है। करुणा और देखभाल सरकार की नीति की आधारशिला होनी चाहिए। इतिहास ही हमारे समाज, आपकी सरकार और सबसे बढ़कर, आप के संबंध में, व्यक्तिगत रूप से इस बात का न्याय करेगा कि हम इस संकट से कितने प्रभावी ढंग से निपटने में सफल रहे हैं।
■
Open letter to the PM by former civil servants
Dear Prime Minister,
We, a group of former civil servants from the All India and Central Services, with a deep commitment to the Constitution of India and with no political affiliations, have written to you as well as other constitutional authorities on a number of occasions in the past, whenever we felt that executive actions violated the provisions of the Constitution.
Today, in the midst of the Covid pandemic and the suffering that has engulfed the people of our country, we write to you in anguish as well as in anger. We are aware that this pandemic threatens the entire world and is not going to leave the citizens of India untouched. And yet, what numbs our senses daily is not just the cries of the citizenry for medical assistance and the death toll in its thousands but the manifestly casual attitude of your government to the magnitude of the crisis and its implications for the mental and physical health of the community of Indians.
The steady erosion of the Cabinet system of governance, the worsening of federal relationships with the states, especially those governed by parties opposed to the party ruling at the centre, the lack of informed consultation with experts and Parliamentary committees, the failure to take the timely advice of expert committees and the absence of effective coordination with state governments have had disastrous consequences for the poor and disadvantaged and now for the better off sections of society as well.
Despite warnings from the international community and our own scientists, the breathing space between the first and the second waves was not used to augment critical resources such as medical staff, hospital beds, oxygen supplies, ventilators and drugs and other medical supplies. Even more inexcusably, no advance planning was done to secure adequate stocks of vaccines, despite India being one of the major vaccine suppliers to the world.
The complacency displayed by you and your ministerial colleagues at various forums not only diverted attention from the looming threat but probably also contributed to both state governments and citizens letting down their guard at a crucial juncture. As a result, your Atmanirbhar Bharat is today compelled to seek the help of the outside world to lessen the agony inflicted on its own people by your government.
Right from the outset of the pandemic in March 2020, your government has never systematically assessed the funds that state governments would need to tackle the pandemic. The PM-CARES fund was set up when there was already a Prime Minister National Relief Fund in place. No disclosures have been made regarding the funds collected and the expenditures on various items. This fund attracted to itself moneys which would otherwise have gone from corporates and the public to the various CM Relief Funds and to NGOs.
Your government has not been prompt in paying outstanding GST dues to the states, which could have helped them defray Covid care expenses. At the same time, your government has incurred unnecessary expenditure on the Central Vista redevelopment project; these funds could well have been more gainfully used to tackle the crisis. On top of this, the harsh restrictions imposed on NGOs, especially those obtaining foreign contributions, have hampered their efforts in providing relief during the pandemic.
While the holding of elections to the legislative assemblies of four states and one union territory may have been unavoidable, you, Mr. Prime Minister, and your party functionaries threw all caution to the winds by conducting huge public rallies in different states, when a restrained campaign by your party would have served as a salutary example to other political parties.
The Kumbh Mela at Haridwar was conducted with scant regard for Covid safety regulations. With two such “super spreader” events taking place just when the second surge of the virus was becoming a major threat, we are now witnessing the horrifying spectacle of the rampant spread of the Covid virus across the rural hinterland of the country.
Your government seems to be more concerned with managing the narrative of “efficient” management of the Covid crisis rather than addressing the crucial issues at stake. Even authentic data on the testing carried out in different states, the number of positive cases, the number of persons hospitalised and mortality figures have not been publicly disseminated. This has had serious implications for the adequate provision of necessary medical facilities in different states as well as for devising appropriate measures in different states to control the spread of the pandemic.
We urge the Government of India to take the following actions immediately:
● Provide for free, universal vaccination to all citizens of India. Government of India must centralize the procurement of vaccines from all available sources and supply them to state governments and all other implementing agencies.
● Coordinate effectively with state governments to ensure the adequacy of oxygen facilities, essential lifesaving drugs and equipment and hospital beds in all States of the country.
● Greatly ramp up RT-PCR testing in both rural and urban areas.
● Make adequate funds available to the States for provision of medical facilities and stop expenditures on non-essential items like the Central Vista redevelopment project.
● Draw on the existing surplus foodgrain stocks to provide free rations to the families of the marginalised and deprived sections of society as well as unorganised labour who have lost their employment opportunities until the ferocity of the pandemic and the hunger and livelihood crisis abates.
● Fully provide, in consultation with state governments, for existing nutrition schemes for school going children and supplementary nutrition for mothers and children in the pre-school age groups.
● Provide a monthly income support for the current financial year to the needy sections of society to enable them to meet contingent expenses and unforeseen emergencies. Economists have recommended ₹ 7000 per month per household, equivalent to minimum wages.
● Immediately remove the FCRA restrictions imposed on NGOs so that they can avail of funds provided by foreign governments and charities for Covid management and other related activities.
● Place all data in the public domain and ensure that evidence-based policy measures are implemented.
● Constitute an all-party committee at the central level to advise on and review all government decisions and monitor the control of the pandemic in different areas of the country.
While the above constitute actions to be taken at the politico-administrative level, the most important action relates to building up the confidence and morale of a population hard hit by the loss of their near and dear ones. Compassion and caring have to be the cornerstones of government policy. History will judge our society, your government and, above all, you personally, on how effectively we handle this crisis.
( विजय शंकर सिंह )
No comments:
Post a Comment