Sunday, 2 May 2021

यात्रा वृतांत - गंगोत्री यात्रा के पड़ाव (9)

कई लोगों ने पूछा है, कि आप इतने व्यवस्थित तरीक़े से यात्राएँ कैसे कर लेते हैं? पहले मैं इसका जवाब दे दूँ। एक तो मैं वास्तविक यात्रा से पूर्व एक आभासी यात्रा करता हूँ। और आने वाली कठिनाई तथा ज़रूरतों का पूर्वानुमान लगा कर लिपिबद्ध कर लेता हूँ। मसलन कैसे कपड़े चाहिए, किस तरह के जूते और अचानक टूट पड़ने वाली बीमारियों से निपटने की प्रारंभिक दवाएँ। इसके अलावा कुछ सामान्य भूलें होती हैं। जैसे आप ने यात्रा के समय कुर्ता-पायजामा पहन लिया अथवा टी-शर्ट और लोवर तो आप बेल्ट भूल सकते हैं, जबकि ट्राउज़र आपने रखे हुए हैं। अब पैंट बिना बेल्ट के कैसे पहन लेंगे? कहीं वह खिसक गई तो आजकल सोशल मीडिया के जमाने में जग-हँसाई हो जाएगी। इसके अलावा आप फ़ॉर्मल सूट भूल सकते हैं। अब आप किसी ऐसे समारोह में गए हैं,  जहाँ फ़ॉर्मल ड्रेस अनिवार्य हो तब आप क्या करेंगे! पता चला कि वार्डरोब में टँगा सूट आप गाड़ी में टाँगना भूल गए। मोबाइल ले लिया, लेकिन चार्जर भूल गए या पॉवर बैंक घर पर ही छोड़ गए। टूथ पेस्ट, टूथ ब्रश, शेविंग फ़ोम, रेज़र, साबुन, तौलिया आदि भूल गए। इसलिए एक चार्ट बना लें और उस हिसाब से सामग्री रख लें। मैं आम तौर पर लंबी यात्रा में दो तरह के जूते, एक स्पोर्ट्स शू और दूसरे लेदर के फ़ॉर्मल शू अवश्य रखता हूँ, इसके अलावा एक जोड़ी चप्पल भी। अब चूँकि मैं मधुमेह के लिए ग्लाइसीफ़ेज़ 500 रोज़ लेता हूँ, इसलिए उसे भी रखूँगा। बीपी न बढ़े इसलिए टेल्मा-40 भी। नींद पर्याप्त आए इसके लिए Alprex.5 को भी रख लेता हूँ। कभी कुछ गड़बड़ ख़ान-पान से क़ब्ज़ न हो जाए, इसलिए ईसबगोल का एक पाउच या त्रिफला की गोलियाँ (महर्षि आयुर्वेद की) अथवा पातंजलि का शुद्धि चूर्ण भी रखता हूँ। ठंड में यूनानी तिब्बिया का बादाम रोगन और शिलाजीत भी। पर्याप्त कैश, क्रेडिट कार्ड और पहचान पत्र भी। गाड़ी में ईंधन खूब रहना चाहिए। अगर आपके पास लाइसेंसी रिवॉल्वर है, तो उसे भी रखें या फिर किसी डंडे अथवा लाठी को। इससे यमराज भयभीत तो नहीं होंगे किंतु आपके मन से भय भाग जाएगा। 

घर से निकलने के पूर्व अपने सभी शुभचिंतकों के संपर्क नम्बर घर वालों को दे जाएँ। उनके पते भी और उनसे अपने सम्बन्धों का खुलासा भी कर दें। एक काम और करें, अपनी समस्त जमा राशि का ब्योरा भी लिख जाएँ। और सादे काग़ज़ पर ही सही, इस बात का स्पष्ट उल्लेख कर जाएँ कि यदि आपको कुछ हो जाता है तो आपकी मृत्यु हो जाने पर आपकी पत्नी इस सारी सम्पत्ति की हक़दार होगी और उसके बाद आपकी अमुक-अमुक सम्पत्ति अमुक-अमुक पुत्र या पुत्री को मिलेगी। यह बहुत ज़रूरी है। क्योंकि हिंदू पारिवारिक क़ानूनों के तहत आपकी पत्नी को आपकी पूरी सम्पत्ति नहीं मिलेगी। वही मिलेगी जो कुल संतानों के साथ उसका हिस्सा आएगा। मसलन आपके तीन बच्चे हैं तो चौथाई। दो हैं तो कुल का तिहाई और यदि एक है तो कुल सम्पत्ति का आधा। अगर आपकी पुत्री है, तो उसे भी मिलेगा मगर यदि विवाह के बाद पुत्री की मृत्यु हो गई तो उसकी संतानों को कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए यदि आप वसीयत कर देंगे तो आपके नाती-नातिन भी आपकी सम्पत्ति से हिस्सा पाएँगे। यह विचित्र है कि बेटे के बच्चों को तो लाभ मिल जाएगा लेकिन बेटी की संतानों को नहीं। हालाँकि सम्पत्ति वाला नियम अपने ऊपर लागू नहीं होता, क्योंकि अपने पास सम्पत्ति धेले की नहीं है। यह राय तो मैंने आप लोगों के लिए दी है। 

इसके बाद आप घर से निकलेंगे तो ख़ुद को फ़्री फ़ील करेंगे। आज़ादी से यात्रा करनी है तो मेरी इस बात पर गौर करें और अमल भी।
(जारी)

शंभूनाथ शुक्ल
(Shambhunath Shukla)

गंगोत्री यात्रा के पड़ाव (8)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/04/8_30.html
#vss

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