Saturday, 30 July 2016

एक कविता ,... कहा करते थे , अक्सर तुम / विजय शंकर सिंह




कहा करते थे,
अक्सर तुम
कितनी खूबसूरत है ,
मेरी हंसी !

अब
जब चले गए हो दूर
मुझ से ,
समेट ले गए सारी हंसी ,

ठीक ही किया , तुमने,
जिसे पसंद है, जो ,
छोड़ नहीं पाता उसे.
ले गए हंसी ,
जो पसंद थी बेहद तुम्हे !!

मैं संजोये ,
तुम्हारी यादों को ,
खोखली मुस्कान ओढ़े,
वापस पाने की उम्मीद संजोये
खोयी हुयी हंसी
के तलाश में ,
दर ब दर भटक रहा हूँ
आज भी !!

काश ! 
तुम समझ पाते ,
जो हंसी,
मेरे अधरों पर खेलती हुयी ,
तुम्हे पसंद है, 
वह कुछ और नहीं ,
शांत झील में तैरता हुआ
तेरा ही अक़्स है !!
-vss.


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