कहा करते थे,
अक्सर तुम
कितनी खूबसूरत है ,
मेरी हंसी !
अब
जब चले गए हो दूर
मुझ से ,
समेट ले गए सारी हंसी ,
ठीक ही किया , तुमने,
जिसे पसंद है, जो ,
छोड़ नहीं पाता उसे.
ले गए हंसी ,
जो पसंद थी बेहद तुम्हे !!
मैं संजोये ,
तुम्हारी यादों को ,
खोखली मुस्कान ओढ़े,
वापस पाने की उम्मीद संजोये
खोयी हुयी हंसी
के तलाश में ,
दर ब दर भटक रहा हूँ
आज भी !!
काश !
तुम समझ पाते ,
जो हंसी,
मेरे अधरों पर खेलती हुयी ,
तुम्हे पसंद है,
वह कुछ और नहीं ,
शांत झील में तैरता हुआ
तेरा ही अक़्स है !!
-vss.
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