Wednesday 19 October 2022

दिल्ली पुलिस, कानून व्यवस्था और दोहरे मापदंड / विजय शंकर सिंह

ईडी का सम्मन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मिला। 
सीबीआई का सम्मन, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया को भी मिला। 

कांग्रेस अपने नेता के साथ खड़ी रही और सड़क पर उतरी।
आम आदमी पार्टी भी अपने नेता के साथ खड़ी रही और सड़क पर उतरी।

कांग्रेस के दफ्तर और उसके प्रदर्शन पर पुलिस सख्त रही, रोका, घेरेबंदी की और जरूरत होने पर गिरफ्तारी भी की।
आम आदमी पार्टी, अपने नेता के साथ जुलूस बनाकर सीबीआई मुख्यालय पहुंची, पुलिस ने उन्हें जाने दिया और एक अच्छा खासा रोड शो भी हुआ। 

कांग्रेस के प्रदर्शन और अपने नेता के साथ खड़े होने पर दिल्ली पुलिस को शांति भंग की आशंका थी, इसलिए उसने कांग्रेस के नेता/कार्यकर्ताओं के खिलाफ, जरूरी एहतियाती कदम उठाए। 
एक रिटायर्ड पुलिस अफसर होने के कारण मैं दिल्ली पुलिस की इस बात को समझ सकता हूं।

आम आदमी पार्टी के जुलूस को, न तो रोका गया, न रोकने की कोशिश की गई, न ही शांति व्यवस्था की किसी समस्या का अंदाजा, दिल्ली पुलिस द्वारा लगाया गया, और न कोई एहतियाती कदम उठाए गए। 
यह दांव भी मैं एक रिटायर्ड पुलिस अफसर होने के कारण समझ रहा हूं। 

एक प्रदर्शन और जुलूस को, कानून और व्यवस्था के खतरा मानते हुए रोकने के सौ जतन करना, और उसी पैटर्न पर निकल रहे दूसरे जुलूस को, आराम से निकल जाने देना, यह प्रोफेशनल पुलिसिंग नहीं बल्कि, डिक्टेटेड पुलिसिंग है। अब यह डिक्टेशन कहां से आ रहा है, इसे समझना कोई कठिन बात नहीं है। 

मेरी राय में, सोनिया, राहुल गांधी को ईडी द्वारा सम्मन किए जाने पर, जुलूस और प्रदर्शन की इजाजत न देकर पुलिस ने कानून और यातायात व्यवस्था को बनाए रखने का काम किया और यह उचित भी था। नहीं तो कल कोई भी, जांच एजेंसियों के सम्मन पर, एक जुलूस जुटाएगा एक तमाशे के रूप में वहां पूछताछ के लिए प्रस्तुत होगा। 

हो सकता है, पूछताछ पर, जनबल का यह शक्ति प्रदर्शन कल, दिल्ली की नकल पर देशभर के थानों पर होने लगे तो क्या होगा ? कानून व्यवस्था से जुड़ी अनेक गंभीर समस्याएं, अनायास ही पैदा होने लगेगी। इसलिए इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जाना और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 

पर यही मापदंड, आम आदमी पार्टी के जुलूस और मनीष सिसोदिया के सीबीआई द्वारा सम्मन किए जाने के समय भी अपनाया जाना चाहिए था। पुलिसिंग के, इस प्रकार के दोहरे मापदंड से, पुलिस की कार्यशैली पर, जनता में संदेह उपजता है, और पुलिस सवालों के घेरे में आती हैं। 

विजय शंकर सिंह
Vijay Shanker Singh 


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