Wednesday 15 September 2021

नितिन ठाकुर - महात्मा गांधी और गोलवलकर.

गुरूजी यानि माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक थे। गांधी हत्या के संदेह में उन्हें पुलिस ने पकड़ा और कई दिनों तक जेल में रखा। इसी कारण उनके कार्यकाल में संघ को बैन झेलना पड़ा जो खुद गृहमंत्री सरदार पटेल द्वारा आदेशित था। हालांकि बाद में पर्याप्त सबूत ना होने पर वो छूट गए और कुछ शर्तों के साथ बैन भी हट गया। यहां मैं उनके एक भाषण में हुआ गांधी जी का ज़िक्र पेश कर रहा हूं। मुझे लगता है आप सभी को ज़रूर दिलचस्पी होगी कि उनके सार्वजनिक विचार महात्मा गांधी को लेकर क्या थे।

‘महात्मा जी से मेरी अंतिम भेंट सन् 1947 में हुई थी। उस समय देश को स्वाधीनता मिलने से शासन-सूत्र संभालने के कारण नेतागण खुशी में थे। उसी समय दिल्ली में दंगा हो गया। यह सच है कि दंगा होने पर सारे समाज का माथा भड़कता है। परंपरा से जो अहिंसावादी रहे हैं वे भी दंगे के समय क्रूर, दुष्ट , निर्दय हो गए थे। 
मैं उस समय उसी क्षेत्र में प्रवास पर था। दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण अपने मुसलमान बंधु पाकिस्तान की ओर जा रहे थे। अन्न-पानी नहीं था, गटर का पानी पीना पड़ रहा था , लोग हैजे से मर रहे थे। मेरे सामने एक आदमी अकस्मात मर गया। मेरे मुंह से स्वभावत: निकला- अरेरे!  मेरा सहप्रवासी बोला- 'अच्छा हुआ एक कम हो गया।'
मैंने उससे कहा- 'एक व्यक्ति मर गया और तू कहता है, अच्छा हुआ? अपने धर्म की सीख, सभ्यता, तत्वज्ञान और मानवता का कुछ ज्ञान है कि नहीं?'

मैं उस समय शांति प्रस्थापित करने का काम कर रहा था। गृह मंत्री सरदार पटेल भी प्रयत्न कर रहे थे और उस कार्य में उन्हें सफलता भी मिली। ऐसे वायुमंडल में मेरी मेरी महात्मा गांधी जी से भेंट हुई थी।
महात्मा जी ने मुझसे कहा-देखो यह क्या हो रहा है? 
मैंने कहा-यह अपना दुर्भाग्य है। अंग्रेज कहा करते थे कि हमारे जाने पर तुम लोग एक-दूसरे का गला काटोगे। आज प्रत्यक्ष में वही हो रहा है। दुनिया में हमारी अप्रतिष्ठा हो रही है। इसे रोकना चाहिए। 

गांधीजी ने उस दिन अपनी प्रार्थना सभा में मेरे नाम का उल्लेख गौरवपूर्ण शब्दों में कर, मेरे विचार लोगों को बताए और देश की हो रही अप्रतिष्ठा रोकने की प्रार्थना की। उस महात्मा के मुख से मेरा गौरवपूर्ण उल्लेख हुआ, यह मेरा महद्भाग्य था। इन सारे सम्बन्धों से ही मैं कहता हूं कि हमें उनका अनुकरण करना चाहिए।’
#इतिइतिहास

(गांधी जन्मशताब्दी 6 अक्टूबर 1969, सांगली, एक कार्यक्रम में मराठी भाषण)
Source: पेज 214, श्रीगुरूजी समग्र, खंड-1, सुरूचि प्रकाशन, प्रथम संस्करण

नितिन ठाकुर
© Nitin Thakur
#vss

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