Monday 14 September 2020

वरिष्ठ आईपीएस जूलियो रिबेरो की दिल्ली पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी.


दिल्ली दंगो की तफ्तीश, अब तक दंगो की तफ़्तीशों में सबसे विवादित तफतीश बनती जा रही है। अदालत की अनेक टिप्पणियां पुलिस थियरी के बिल्कुल प्रतिकूल हैं । सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर और गुजरात तथा पंजाब के डीजीपी रह चुके, जूलियो रिबेरो ने दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों की जांच पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव को एक पत्र लिखा है। उनके पत्र का पूरा पाठ आप नीचे पढ़ सकते हैं।


प्रिय श्री श्रीवास्तव,

यह पत्र मैं आपको भारी मन से लिख रहा हूं। एक सच्चे देशभक्त और भारतीय पुलिस सेवा के एक पूर्व गौरवशाली सदस्य के रूप में मैं आपसे अपील करता हूं कि उन 753 प्राथमिकियों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पंजीकृत हैं, और जिन्हें स्वाभाविक तौर पर यह आशंका है कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ व्याप्त पूर्वाग्रह और घृणा के कारण उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा।

दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई किया, लेकिन जानबूझकर उन लोगों के खिलाफ संज्ञेय अपराधों के मामले दर्ज करने में विफल रही जिनके नफ़रत फैलाने वाले भाषणों के कारण उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। ऐसी स्थिति मेरे जैसे संतुलित तथा अराजनीतिक व्यक्ति को परेशान करती है, कि क्यों न्यायालय के समक्ष कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर दोषारोपण नहीं किया गया, जबकि धर्म के आधार पर भेदभाव का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही मर्माहत मुस्लिम महिलाओं को महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया!

हर्ष मंदर और प्रो. अपूर्वानंद जैसे सच्चे देशभक्तों को आपराधिक मामलों में फंसाने की दिल्ली पुलिस की इतनी भोंडी कोशिश भी चिंता का एक और विषय है। हम, इस देश की पुलिस, और भारतीय पुलिस सेवा से आने वाला इसका नेतृत्व, हमारा कर्तव्य और दायित्व है कि हम संविधान और उसके तहत अधिनियमित कानूनों का जाति, पंथ और राजनीतिक संबद्धता के बिना निष्पक्ष रूप से सम्मान करें।

कृपया दिल्ली में अपनी कमान के तहत हुई पुलिस की कार्रवाई का पुनर्मूल्यांकन करें और निर्धारित करें कि क्या उन्होंने सेवा में शामिल होने के समय ली गई शपथ के प्रति वफादारी का निर्वाह किया है।

सादर,
जूलियो रिबेरो
आईपीएस - 53, एमएएच ( सेवानिवृत्त )

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