Wednesday, 11 October 2023

इजराइल द्वारा फिलिस्तीन की भूमि का अवैध कब्जा, फिलिस्तीन इजराइल विवाद का कारण है / विजय शंकर सिंह

सन 1948 में जैसे ही इजराइल अस्तित्व में आया, उसने फिलिस्तीन की भूमि जबरन कब्जा करनी शुरू कर दी। उसके इस अवैध विस्तार के खिलाफ कोई आवाज यूएस और ब्रिटेन ने नहीं उठाई। एक तो यहूदी होम लैंड के नाम पर, इजराइल का गठन ब्रिटेन ने किया, और दूसरे जब इजराइल ने अपना सीमा विस्तार, फिलिस्तीन की जमीन को अवैध कब्जा करके करना शुरू किया तो, इसे इजराइल का अनुशासन, उन्नति, प्रगति और आत्मविश्वास कह कर इसे प्रचारित किया गया। 

जब इजराइल अपनी निर्धारित राज्य सीमा को लांघ कर फिलिस्तीन में घुस रहा था तब न तो, यूएनओ ने कोई हस्तक्षेप किया, और न ही किसी पश्चिमी देश ने इजराइल को रोका। ब्रिटेन तो, साम्राज्य गंवा कर, अपना घाव सहला रहा था, और अमेरिका, जो एक नई विश्व शक्ति बन गया था, को तो अपने देश से सैकड़ों किमी दूर एशिया में एक ऐसा देश मिलने जा रहा था, जो उसके शीत युद्ध, जो बाद में एक बड़ी वैश्विक गतिविधि होनी थी, के लिए मददगार साबित हो सकता था। 

इजराइल के अवैध सीमा विस्तार और पाकिस्तान का कबायली हमला जो, आजादी के तुरंत बाद हुआ था, अपने तयशूदा सीमा से बाहर जाकर दूसरे देश में सैन्य अतिक्रमण के मिलते जुलते उदाहरण हैं। दोनों ही देशों इजराइल और पाकिस्तान ने अपने गठन के तुरंत बाद, अपनी सीमा का विस्तार करना शुरू कर दिया और इस अवैध सीमा विस्तार के पीछे दोनो के ही तर्क समान थे। 

इजराइल, उस इलाके को, यहूदियों का राज्य कहता है और इतिहास को दो हजार साल पीछे ले जाता है और पाकिस्तान, कश्मीर पर अपना स्वाभाविक हक, कश्मीर के मुस्लिम बहुल राज्य होने के कारण मानता है। यह समता, धर्म आधारित राज्य की अवधारणा का परिणाम है। जो मित्र,  इजराइल के, फिलिस्तीन भूमि के अवैध कब्जे को नजरंदाज करके आज इजराइल के पक्ष में खड़े हैं क्या वे यही तर्क, पीओके के बारे में सुनना चाहेंगे ? 

इजराइल जब एक देश बना तो तर्क था कि, यहूदियों का कोई एक होम लैंड नहीं है, अतः उन्हे वही जगह दी गई जो जगह हजरत मूसा को फिरौन ने दासत्व से मुक्त कर उनके कबीले बनी इजराइल के लिए दिया था। और येरूशलम उस नए राज्य की राजधानी बनी जो तीनों अब्राहमी धर्मों से जुड़ी हुई मानी जाती है। 

इस नए राज्य का विरोध तब भी हुआ था, और फिलिस्तीन में तब भी आक्रोश और असंतोष था। पर उस आक्रोश और असंतोष को कम करने के लिए किसी दोस्ताना एजेंडे पर, न तो इजराइल आगे बढ़ा और न ही यूएनओ और न ही इजराइल को अस्तित्व में लाने वाली ब्रिटेन, यूएसए जैसी पश्चिमी ताकतों ने कोई प्रयास किया। 

सन 1948 से, पश्चिम एशिया एक बड़े युद्ध का केंद्र बनने के लिए अभिशप्त है और इस मुद्दे पर पूरी दुनिया अलग अलग दो विचारों में बंटी हुई है। एक इजराइल के पक्ष में तो दूसरा फिलिस्तीन के साथ है। इजराइल और पाकिस्तान, यह भी एक विडंबना है कि, दोनो एक दोनों के विपरीत अपने अपने ध्रुवों पर खड़े हैं ने, अपने पड़ोसी देशों की भूमि कब्जा कर रखी है जो तनाव, संघर्ष और युद्धों का कारण बना हुआ है। 

जब तक इजराइल, फिलिस्तीन की कब्जा की गई अवैध भूमि नहीं छोड़ेगा यह संघर्ष, विवाद और युद्ध की घटनाएं होती रहेंगी।  यही हाल भारत पाक के आपसी तनाव और विवाद का भी है। समस्या, इजराइल नामक एक नए देश के अस्तित्व से नहीं है, इसे तो लगभग सभी देशों ने मान्यता दे रखी है। समस्या, इजराइल द्वारा उस भूमि पर अवैध कब्जे की है जो इजराइल अपने जन्म के समय से ही बराबर किए जा रहा है। 

इस विवाद पर विश्व के महत्वपूर्ण नेताओं की यह प्रतिक्रिया भी पढ़े...

The Zionist argument to justify Israel's present occupation of Arab Palestine has no intelligent or legal basis in history... not even in their own religion.
~ MALCOLM X 

अरब फ़िलिस्तीन पर इज़राइल के वर्तमान कब्जे को सही ठहराने के ज़ायोनी तर्क का इतिहास में कोई तार्किक या कानूनी आधार नहीं है... यहां तक ​​कि उनके अपने धर्म में भी नहीं।
~ मैल्कम एक्स
००
It would be my greatest sadness to see Zionists (Jews) do to Palestinian Arabs much of what Nazis did to Jews
~ ALBERT EINSTEIN

 यह देखकर मुझे सबसे अधिक दुख होगा कि ज़ायोनीवादियों (यहूदियों) ने फ़िलिस्तीनी अरबों के साथ वही सब किया जो नाज़ियों ने यहूदियों के साथ किया था।
~ अल्बर्ट आइंस्टीन
०० 
We know too well that our freedom is incomplete without the freedom of the Palestinians.
~ NELSON MANDELA 

हम अच्छी तरह जानते हैं कि फिलिस्तीनियों की आज़ादी के बिना हमारी आज़ादी अधूरी है।
~ नेल्सन मंडेला
०० 
Palestine belongs to the Arabs in the same sense that England belongs to the English or France to the French. It is wrong and inhuman to impose the Jews on the Arabs.
~ MAHATMA GANDHI 

फ़िलिस्तीन उसी प्रकार अरबों का है जिस प्रकार इंग्लैंड अंग्रेज़ों का या फ़्रांस फ़्रांसीसियों का है।  यहूदियों को अरबों पर थोपना गलत और अमानवीय है।
~ महात्मा गांधी 

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

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