ज़ार महारानियों का राज जब आया, तो एक के बाद एक महारानी आती गयी। एक पूरी सदी तक उनका वर्चस्व रहा और दुनिया की सबसे ताकतवर महिला के मुकाम तक पहुँची। ध्यान रहे कि यह अठारहवीं सदी के रूस की बात है, जहाँ का समाज पुरुष-प्रधान ही था।
पीटर द ग्रेट के बाद उनकी पत्नी कैथरीन प्रथम, उसके बाद एक भतीजी ऐना, और बेटी एलिज़ाबेथ महारानियाँ बनी। महारानियों का नज़रिया राजाओं से अलग होना ही था। वे रूस को सजाने-सँवारने लगी। उन्होंने आलीशान विंटर पैलेस बनाया, जहाँ गुंबजों पर स्वर्ण कलाकृतियाँ बनायी गयी। पूरे पीटर्सबर्ग और मॉस्को की सूरत ही बदल गयी। हालाँकि ऐसा देश जिसकी बड़ी आबादी खेतों में काम कर रही हो, जिनके पास एक पक्का मकान न हो, वहाँ ऐसे शाही महल बनाना भी अश्लील ही कहा जा सकता है; लेकिन, यूरोप के दूसरे राजशाही से तुलना करें, तो यह सौंदर्यीकरण भी उनके हिसाब से उचित था।
उन्होंने रूस में एक और नयी चीज लायी, जो रूस की पहचान बनी- ऑपेरा और थियेटर। अब रूस में संगीत और नृत्य के भव्य आयोजन होते। वहाँ अंग्रेज़ी और फ्रेंच नाटककारों के नाटक होने लगे। इतने वर्षों से रूस सांस्कृतिक रूप से पीछे चल रहा था। वहाँ साहित्य, संगीत और कला का स्थान नगण्य था, जबकि बाकी यूरोप में एक से एक कलाकार थे। एशिया से तो खैर तुलना ही नहीं की जा सकती, जहाँ सदियों से समृद्ध संस्कृतियाँ थी।
सर्वहारा वर्ग अब कला और संगीत में भाग लेने लगा। खेतिहर परिवार की युवतियाँ बैले (ballet) नृत्य करने लगीं। भले उनका कार्य शाही परिवार का मनोरंजन करना था, लेकिन इससे उनकी अपनी पहचान बनने लगी। एक गायक, एक वादक, एक नर्तक या एक अभिनेता के रूप में। कोई पूछ सकता है कि इससे आखिर उनके जीवन में क्या बदलाव आया? रहे तो वे नौकर ही? लेकिन, जब वह वोल्टायर के नाटकों में अभिनय करते, या उन्हें पढ़ते, तो उन्हें रूस के बाहर की दुनिया दिखाई देती। यह एक छोटी सी चिनगारी थी, जो आगे जाकर क्रांति की आग में तब्दील होने वाली थी।
सबसे बड़ा कदम जो इन महारानियों ने उठाया था, वह था रूस में विज्ञान अकादमी और मॉस्को विश्वविद्यालय स्थापित करना। इतने वर्षों में कितने राजा आए और गए, किसी के मन में यह खयाल नहीं आया कि यहाँ की जनता विज्ञान, गणित, इतिहास, चिकित्सा-शास्त्र, कानून या साहित्य पढ़ ले। यह सिर्फ शाही परिवारों तक सीमित था, जिनके निजी विदेशी शिक्षक होते थे। अब उच्च शिक्षा संपूर्ण रूस के लिए उपलब्ध थी, जिसके दूरगामी परिणाम हुए।
विज्ञान अकादमी के खुलते ही रूसियों की दबी हुई प्रतिभा बाहर आयी। किसान परिवार के मिखाइल लोमोनोसोव ने 1748 में एक प्रयोग करते हुए लिखा- ‘द्रव्यमान (mass) न कभी बढ़ता है, न घटता है, वह एक ही रहता है’। यह भौतिकी के एक मूलभूत सिद्धांत की नींव बनी।
सब ठीक चल रहा था, लेकिन तभी एक बड़ी समस्या आ गयी। महारानी एलिज़ाबेथ नि:संतान थी। अगला राजा या रानी कौन? वह अपनी बहन के बेटे को लेकर आयी, और उनका नाम रखा- पीटर। इस उम्मीद पर कि वह भी ‘ग्रेट’ बनेगा। उसका विवाह उन्होंने एक जर्मन लड़की से कराया, जिनका नाम रखा- कैथरीन। यह रूस का एक खूबसूरत शाही युगल था।
लेकिन, जब सवाल रुस की गद्दी का हो, तो पति-पत्नी भी एक दूसरे की जान ले सकते हैं!
(क्रमशः)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
रूस का इतिहास (13)
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