Friday, 8 October 2021

शंभूनाथ शुक्ल - कोस कोस की यात्रा (12 A) इस सीरीज़ के यात्रा प्रसंग से हट कर एक प्रसंग

वर्ष 1989 में झाँसी में बाबू वृंदावन लाल वर्मा की जन्म शताब्दी मनाई गई। उसमें मुझे भी बुलाया गया। इस कार्यक्रम के आयोजक थे पंडित विश्वनाथ शर्मा। वे झाँसी लोकसभा सीट से 1980 में कांग्रेस की टिकट पर जीते थे। किंतु वे हेमवती नंदन बहुगुणा के ख़ास थे। बहुगुणा जी ने जब इंदिरा गांधी का साथ छोड़ा और सांसदी भी तब उनके साथ ही पंडित विश्वनाथ शर्मा ने भी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। मिज़ाज उनका मस्त था और साहित्य एवं बुंदेली संस्कृति से उनको बहुत अनुराग था। वे मशहूर दवा कंपनी “बैद्यनाथ” के मालिक भी थे। इस आयोजन में मुझे विशिष्ट वक्ता बुलाया गया था। मैं वर्मा जी का प्रशंसक था। पूरा घंटा भर वर्मा जी के साहित्य पर बोला। 

अगले रोज़ जब बाक़ी वक्ता सिधार गए तो पंडित जी ने मुझे रोका। वे मुझे अपने साथ वर्मा जी की लेखनी से जुड़ी हर जगह ले गए। ओरछा, गढ़ क़ुँढार से लेकर देवगढ़ और चन्देरी तक। साथ में बाबू वृंदावनलाल वर्मा के पौत्र लक्ष्मीकान्त वर्मा ने उनका पूरा साहित्य भी गाड़ी में रखवा दिया। पंडित जी ने मैथिलीशरण गुप्त और उनके भाई सियाराम शरण गुप्त का भी समस्त साहित्य भी मेरे साथ रवाना कर दिया। दक्षिण एक्सप्रेस में सेकंड एसी की एक बर्थ मेरे लिए तो एक मेरे साहित्य के लिए रिज़र्व करवाई गई। अब ऐसे अनुरागी लोग कहाँ! चार साल पहले पंडित जी का निधन हो गया। 

मैं जब वापस दिल्ली आया तो जनसत्ता में पूरा एक पेज वर्मा जी पर दिया। साथ में ठाठ बुंदेला को याद किया। उस समय जनसत्ता आठ पेज का होता था और खूब लोकप्रिय था। हमारे सम्पादक स्वर्गीय प्रभाष जोशी ने स्वयं मेरा लेख जाँचा और जस का तस जाने दिया।
पंडित विश्वनाथ शर्मा बाद में बेजेपी से लड़े। वे हमीरपुर से लोकसभा सदस्य रहे। 2019 में उनके पुत्र अनुराग शर्मा झाँसी से चुनाव लड़ा। अनुराग इस समय झाँसी से लोकसभा में हैं।

© शंभूनाथ शुक्ल 

कोस कोस का पानी (12)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/10/12_8.html
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