Saturday, 25 May 2019

अरुण जेटली अगली सरकार में वित्त मंत्री नहीं होंगे / विजय शंकर सिंह

खबर मिल रही है कि शायद अगली भाजपा सरकार में अरुण जेटली वित्त मंत्री नहीं रह पाएंगे। इसका कारण है उनका खराब स्वास्थ्य। यह खबर अच्छी नहीं है। किसी का भी अस्वस्थ रहना मुझे असहज कर जाता है। वे शीघ्र स्वस्थ हों, यही कामना है।

जनता का जो विशाल जनादेश भाजपा को मिला है उसके पीछे वित्तमंत्री की भूमिका को नजरअंदाज नही किया जा सकता है। वित्तमंत्री प्रधानमंत्री के बाद सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होता है। सरकार की सारी योजनाओं, वादों आदि को पूरा करने और देश के बेहतर  स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी उसी की होती है। यह पांच साल के आर्थिक प्रबंधन का ही कमाल था कि देश को एक बड़ा जनादेश मिला है। इन पांच सालों में बड़ी बड़ी उल्लेखनीय आर्थिक योजनाएं शुरू हुयी और लोगों के अर्थकष्ट दूर हुये। अखबारों के आंकड़े जो भी बतावें पर जनादेश तो यह बताता ही है कि जनता सुखी है तथा जनता को और सुखी देखने का उद्देश्य हम सबका होना चाहिये।

अब अरुण जेटली के बाद कौन वित्तमंत्री बनता है यह तो प्रधानमंत्री जानें, पर आशा करता हूँ कि जो भी बनेगा कमाल ही करेगा। और भी उपलब्धियां सरकार के खाते में आएंगी। प्रजा सुखी होगी।

फेसबुक पर जैसे ही कोई जनसरोकार से जुड़ी कविता, या जनवादी लेखकों की रचनाएं शेयर करता हूँ तो कुछ मित्र जो मेरी मित्रसूची में भी नहीं हैं, वह तुरन्त नमूदार हो जाते हैं, और राष्ट्रवाद पर अपना एकाधिकार प्रदर्शित करने लगते हैं। वे खुद को राष्ट्रवाद का झंडाबरदार समझ लेते हैं और मुझे, जैसे ही मैं यह कहता हूं कि मैं वामपंथ से प्रभावित हूँ तो वे मुझे देशद्रोही समझने लगते हैं। फिर वे व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी से मिले ज्ञान और सुभाषित से मेरे मस्तिष्क पर आक्रमण कर देते हैं। मैं न उन्हें ब्लॉक करता हूँ न पलायन, बस ध्यानस्थ हो कर बैठ जाता हूँ, और उनके खौखियाने का आनंद लेता हूँ।

यह पोस्ट व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के एंटायर जर्नलिज्म में स्नातक उन मित्रो के लिये है जो मेरी मित्र सूची में तो नहीं है पर भीड़ में हैं। उन्हें एक मशविरा है कि कम से कम खौंखियाने से पहले राष्ट्रवाद के दोनों रूपों, एक स्वाधीनता संग्राम का राष्ट्रवाद और दूसरा संघ का राष्ट्रवाद का अध्ययन कर लें। उम्मीद करता हूँ ऐसे बेरोजगार मित्रों को जिनकी उम्मीदों पर इस सरकार ने सत्ता में पुनर्वापसी की है, को तो कम से कम इस अवधि में कोई न कोई रोज़गार मिल ही जायेगा। बेरोज़गारी के दंश से स्वाभाविक रूप से खौंखियाहट आ ही जाती है। खौंखियाना शब्द भोजपुरी का है, जिसका अर्थ है, बंदर घुड़की ।

© विजय शंकर सिंह

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