Wednesday 23 January 2019

सन्यासी पेंशन - माया महा ठगिनी हम जानीं / विजय शंकर सिंह

जिन्होने संसार का त्याग कर, अपनी तेरही बरसी करके सन्यास ग्रहण किया है उन्हें 500 रुपये की पेंशन के लिये सरकार से दरख्वास्त करनी पड़ेगी यह कैसा वक़्त आ गया है !

निःस्पृहता जिस समाज मे सबसे सम्मान और आदर पाती रही हो वहीं फिर से वही सांसारिक मोह माया का बंधन, फिर से वही आधार कार्ड का वेरिफिकेशन, कारकुन की रपट, अफसर की मंजूरी और 500 रुपये के लिये लाइनों में खड़े रहने की मशक्कत का दंश कोई सच मे मोह माया संसार को छोड़ चुका सन्यासी तो भोगना  चाहेगा नहीं।

यह अलग बात है कि मिथ्यावाचन, झूठ, फरेब के इस दौरान ए गर्दम गर्दा में मन न रँगायो रँगायो जोगी कपड़ा जैसी जमात के लोग सरकार की इस अनुकंपा का लाभ उठाने हेतु उमड़ पड़ें। वृद्धावस्था और विकलांग पेंशन तो पहले से ही है। वह बस सुपात्र तक पहुंचे यह ज़रूरी है।

जाके नख अरु जटा बिसाला। सोइ तापस प्रसिद्ध कलिकाला।
असुभ भेस भूषन धरे भच्छ्याभच्छ जे खाहिं।
तेइ जोगी ते सिद्ध नर पूज्य ते कलिजुग माँहि।

© विजय शंकर सिंह

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