Friday 14 April 2017

असग़र वजाहत की कहानी - एक नायक की कॉमेडी ( पांच लघु कथाएं ) / विजय शंकर सिंह

1
टेलर मास्टर ने नायक के  लिए ऐसे कपड़े सिये हैं  जिन्हें पहन कर  वह बिल्कुल नंगा लगता  है।
- मैं कैसा लग रहा हूं ?
नायक लोगों से यह सवाल पूछता है।
लोग कहते हैं कि आप तो बहुत सुंदर लग रहे हैं । आपके कपड़े लगता है किसी माहिर दर्ज़ी ने सिये  हैं।
नायक प्रसन्न हो जाता है जबकि  उसको भी मालूम है कि वह नंगा है। देखने वाली भी जानते हैं कि वह पूरा  नंगा है लेकिन उसे देखकर कोई यह नहीं कहता था कि वह नंगा है क्योंकि लोग जानते हैं कि नंगे को नंगा कहना कितना खतरनाक हो सकता है।
एक बार एक सीधे साधे भोले भाले आदमी ने उससे कह दिया- तुम तो नंगे ।
सीधे साधे भोले भाले आदमी के पास 'सम्मान' की एक पुरानी चादर थी। नायक ने चादर छीन ली।
उसे फाड़कर तार तार कर दिया अपने पैरों से  कुचला और बोला - लाखो रूपये का सूट पहनने वाले को नंगा कहने का  इनाम तुम्हें  मिल गया।'
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2
नायक गंगा जी में स्नान करने गया। गंगा जी ने हाथ जोड़ दिए और कहा, कृपा करके तुम अंदर मत आना।'
नायक ने कहा, क्यों करोड़ों साल से तुम पापियों के पाप धो रही हो क्या मेरे पाप नहीं धो सकती हो ?
गंगा जी ने कहा-  मुझे अपनी पवित्रता की सौगंध है । मैं तुम्हारे पास नहीं धो सकती । 
नायक ने कहा- बहुत टें टें कर रही हो ...  जनमत संग्रह करवा दूँ ? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।'
गंगा जी ने कहा-  नहीं ऐसा मत करना।'

नायक पूरे आत्मविश्वास के साथ धीरे-धीरे गंगा जी की तरफ बढ़ने लगा और गंगा जी भयभीत होकर धीरे-धीरे पीछे हटने लगीं। होते होते गंगा जी तराई के इलाके में पहुँच गयीं। नायक भी  वहां पहुंच गया।फिर गंगा जी पहाड़ों की तरफ भागीं। नायक वहां भी पहुंच गया। फिर गंगा जी गंगोत्री पहुंच गयीं लेकिन उन्होंने देखा कि नायक वहां पहले से मौजूद था ।
गंगा जी घबराकर शिवजी की जटाओं में चली गयीं तब कहीं जाकर बच सकीं।
जय जय गंगा माता.....
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3
नायक में ग़ज़ब का आत्मविश्वास है। वह अपने आप को संसार का सबसे बड़ा विद्वान मानता है, सबसे बड़ा विचारक मानता है, सबसे अधिक शक्तिशाली मानता है, सबसे बड़ा अर्थशास्त्री मानता है।संसार का  सबसे सुंदर आदमी मानता है। वह अपने ऊपर रीझा रहता है। वह शूटिंग में जाने से पहले  कई घंटे अपने आप को  निहारता रहता है ।अपने आपको ही प्रेम करता है। जितना प्रेम अपने को करता है  उतना प्यार अपने टेलर मास्टर को भी नहीं करता।

नायक ने अपनी एक  बड़ी विशाल  प्रतिमा बनवाई है। बहुत बड़ी, बहुत ऊंची, बहुत  चौड़ी प्रतिमा है जो मीलों दूर से दिखाई देती है। प्रतिमा इतनी बड़ी है  जितना बड़ा  दिल्ली के रामलीला मैदान में रावण होता है।
लेकिन रावण जल जाता है।नायक की प्रतिमा नहीं जलती।
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4
नायक की जेबों में तरह-तरह की चीजें भरी रहती हैं। वह जब चाहता है, जो चाहता है वह निकाल देता है। एक दिन उसने 'न्याय' को अपनी जेब से  निकाला । यह एक छोटा सा चमकता पत्थर था।
नायक ने उसे और अधिक  घिसा उसे और चमकीला और  छोटा बनाया और अपनी जेब में रख लिया।
लोगों ने पूछा आपकी जेब में क्या-क्या है ?
वह हंसने लगा उसने कहा - तुम किसी भी आदमी का नाम लो, किसी भी चीज का नाम लो। किसी भी विचार का नाम लो.... संक्षेप में यह समझ लो .....तुम जो कुछ कहोगे , तुम जो कुछ चाहते हो, जो तुम्हें प्रिय है वह सब मेरी जेब में है ।
यह कहकर नायक ने अपनी जेब को पलट दिया और उसमें से न्याय, प्रेम, बाबरी, सहयोग,भाईचारा,त्याग,बलिदान,अहिंसा ,एकता निकलकर  फुदकने लगे।
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5
नायक के अंदर अनेक विशेषताएं हैं।उसके सैकड़ों गुण हैं । उसकी एक विशेषता यह है  कि वह लोगों से जो भी कहता है लोग उसे सच मान लेते हैं। एक दिन नायक ने लोगों से कहा कि वह बहुत बड़ा रसोईया है, बहुत अच्छा, बड़ा स्वादिष्ट, बड़ा मजेदार खाना बनाता है। लोगों ने मान लिया।
लोगों ने उसे चावल, दूध, शक्कर, खोया और सूखे मेवे लाकर दिया है । नायक ने बहुत बड़े बर्तन में यह सब डाल दिया और  उसे आग पर चढ़ा दिया ।
सभी लोग खीर बन जाने का इंतजार करने लगे । काफी देर पकाने के बाद  नायक ने जब ढक्कन खोला को लोगों को  देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि बर्तन में आलू की भाजी बन कर तैयार हो गई थी ।
लोगों ने नायक से कहा कि हमने  तुम्हें खीर पकाने का  सामान दिया था। तुमने हमारे सामने बड़े बर्तन में दूध , चावल और चीनी डाली थी। ये आलू  की भाजी कैसे बन गई ?
नायक ने कहा -  मुझे पकाने के लिए चाहे जो दो, पक कर  वही आएगा जो मैं चाहता हूं।
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