संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 53 % संपत्ति का मालिकाना हक़ केवल 1 % लोगों के पास है । इस रिपोर्ट के अनुसार संपत्ति का एकत्रीकरण और भी बढ़ रहा है । यही हाल रहा तो, असमानता का दर और अंतर बढ़ता ही जाएगा । फिर जो समृद्ध का द्वीप विपन्नता के सागर में ही दिखेगा । इस असमानता के स्तर को दूर करने के लिये , देश के लिए ऐसे आर्थिक मॉडल की आवश्यकता है जो न सिर्फ इस गैरबराबरी को दूर करे बल्कि सबको जीवन की मूलभूत आवश्यकता भी उपलब्ध कराये । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, दुनिया के अन्य मुल्क़ों की तरह, भारत इस असमानता को दूर करने के लिये सचेत भी नहीं है । रिपोर्ट का यह उद्धरण पढ़ें ,
“In terms of wealth inequality, India is second only to Russia, where the richest 1 percent own 53 percent of the country’s wealth,”
यूनाइटेड नेशंस ग्लोबल कॉम्पैक्ट ( UNGC ) ने ‘The Better Business, Better World’ के नाम से एक रिपोर्ट जारी किया है , जिसमे यह तथ्य सामने आये हैं । UNGC के सीईओ और एक्ज़ीक्यूटिव डाइरेक्टर लिस किंगो ने कहा है कि भारत में निजी क्षेत्र और निजी पूँजी आधारित अर्थ व्यवस्था का प्रसार कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है । उन्हीं के शब्दों में इसे पढ़ें ,
“This is out of a total global value of $12 trillion that could be unlocked by sustainable business models in four key areas, food and agriculture, energy, cities and health,”
किंगो के अनुसार भारत को असमानता कम करने के लिये वैकल्पिक आर्थिक विकास के मॉडल अपनाने पर भी विचार करना होगा । गरीबी, असामनता आदि से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर के उनके विकास की ओर ध्यान देना होगा । भारत के कृषि क्षेत्र की उपेक्षा हरित क्रान्ति आंदोलन के बाद से हो रही है । खेती के लिए नए नए आविष्कार होने के बावज़ूद किसानों का जीवन खुशहाल नहीं हो पा रहा है । देश का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जहां से किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें न आ रही हों । भारत एक कृषि प्रधान देश है यह वाक्य हम बचपन से पढ़ते आये हैं पर सरकारों ने विकास का अर्थ ही मॉल, दैत्याकार आवासीय योजनाएं ही समझ लिया है । रिपोर्ट का यह अंश पढ़ें ,
“As the second largest food producer in the world, India needs a more focused approach to developing and managing its agricultural sector and agri-based industrialisation,”
बढ़ती हुयी यह असमानता, गरीबी उन्मूलन की योजनाओं को और धीमा करेगी तथा यह भी हो सकता है कि गरीबी उन्मूलन की योजनाएं एक छलावा बन कर रह जाएँ । UNGC की रिपोर्ट ने देश की चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति को ले कर भी चिंता जतायी है । रिपोर्ट का यह अंश भी पठनीय है,
“On its current trajectory, India will continue to face enormous challenges in rural development, urban sustainability, national infrastructure, and improved quality of life of its citizens,”
इस असमानता को कम करने के लिए UNGC ने कुछ सुझाव भी दिए हैं । उनके सुझाओं के अनुसार, कम आय वर्ग के लिए खाद्यान्न बाज़ारों का निर्माण, खाने की बरबादी रोकने के लिये उचित कदम उठाने , छोटे किसानों को तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराने, आदि आदि सुविधाएं देने की बात कही गयी है । रिपोर्ट का यह उद्धरण देखें ,
" Its suggestions included creation of low-income food markets, reducing food waste in supply chains, technological aid in smallholder farms, micro-irrigation programs, resource recovery, remote patient monitoring and preventing catastrophic healthcare costs for the poor. "
( विजय शंकर सिंह )
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