Saturday, 15 November 2014

Ek Nazm .... Talaash / एक नज़्म . ....तलाश

दोस्तों यह नज़्म पढ़ें . हम सब तलाश ए मंज़िल और एक सफ़र में है . जीवन से मृत्यु तक यह यात्रा हर्ष , विषाद , सौभाग्य दुर्भाग्य आदि न जाने कितने पड़ाव पार करती हुयी गुज़रती है . असीम और अनंत तक फ़ैली इस आकाश गंगा में अपना लक्ष्य ढूंढती यह नज़्म शायद आप को पसंद आये .



सितारों से भरे
इस आसमान की वुसवतों में ,
मुझे अपना सितारा
ढूंढना है !

फलक पर कहकशां दर कहकशां
एक बे'करानी है .
उसका नाम है मालूम ,
कोई निशानी है !

बस , इतना याद है कि ,
अज़ल की सुबह , जब सारे सितारे ,
अलविदाई गुफ्तगू करते हुए ,
रास्तों पर निकले थे ,

तो उस की आँख में ,
एक और तारा झिलमिलाया था
उसी तारे की सूरत का ,
मेरी भींगी हुयी आँखों में भी ,
एक ख्वाब रहता है .
.
मैं अपने आंसुओं में ,
अपने ख़्वाबों को सजाता हूँ ,
और उस की राह तकता हूँ  !

सुना है गुमशुदा चीजें ,
जहां पर खोती हैं ,
वहीं से मिल भी जाती हैं !!

Ek nazm...

Sitaaron se bharay,
Is aasmaan ki wus'aton mein,
Mujhey apnaa sitaaraa
dhoondhnaa hai.

Falak par kehakashan dar kehakashan
ek be'karaani hai,
Na us kaa naam hai maloom,
Na koi nishaanee hai.

Bas itnaa yaad hai mujh ko,
azal kee subah, jab saarey sitaarey,
Alwidaai guftagu kartey huye,
Raaston pey nik'ley the.

To us ki aankh mein,
Ek aur taaraa jhil'milaayaa thaa,
Usi taarey kee soorat kaa,
Meri bheengi huyee aankhon mein bhee,
Ek khwaab rahataa hai.

Main apney aansuon mein
apne khwaabon ko sajaataa hoon.
Aur us'kee raah tak'taa hoon.
Sunaa hai gum'shudaa cheezen,
jahaan par kho jaatee hain,
wahin sey mil bhee jaatee hain.
 -vss.



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