एक नाविक ,
तूफ़ान से उफनते दरिया को देख ,
मुस्कुरा उठा ..
उफान पर था दरिया ,
हवा तेज और तेज हो रही थी ,
लहरें , सिर धुन रही थी , साहिल पर
न जाने क्या क्या कह रही थी ,
साहिल से ,
साहिल , हमेशा की तरह ,
खामोश , और पत्थर दिल , चुप चाप ..
जज़्बात कैसे भी हो ,
कश-म-कश कैसी भी हो ,
दुःख , कितने भी हो ,
शोर खूब मचा हो ,
पर साहिल पर कोई असर ही नहीं ,
निश्चिन्त , निर्विकार ,
आपादमस्तक भरा , अहंकार से ,
न जाने कैसा दिल , नवाज़ा है ,
साहिल को ईश्वर ने ,..
सदियाँ गुज़र गयी ,
सिर धुनते लहरों को ,
पर साहिल खामोश , और बेपरवाह ,
आज भी पडा है ..
याद आया ,
नाविक को एक वादा , अचानक
पूरा करना था उसे ,
हर कीमत पर ,
वक़्त पर पहुंचना था उसे ,
किसी के पास ,
और तूफ़ान वैसे ही था ,
हहराता हुआ , शोर मचाता हुआ ,
गौर से देखा ,उस ने
सागर को , लहरों को , तूफ़ान को , किश्ती को ,
फिर आसमान को ,
और उसने किश्ती उतार दी , सागर में
बह चली किश्ती ,
नन्ही सी ,
उत्ताल लहरों में गिरती पड़ती ,
ज़िंदगी की तरह .
चलती रहती है जो
विपरीत मौसम में भी ,
अपनी गति से ,
कुछ उम्मीदों के सहारे ,
आओ करें , प्रार्थना ,
शांत , हों वारिध,
हवाएं खुशगवार हों ,
नाव और नाविक सलामत रहें ..
तूफ़ान अपनी राह चले ,
हम अपनी …..
(विजय शंकर सिंह)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 नवम्बर 2021 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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ReplyDeleteआओ करें , प्रार्थना ,
शांत , हों वारिध,
हवाएं खुशगवार हों ,
नाव और नाविक सलामत रहें ..
तूफ़ान अपनी राह चले ,
हम अपनी …..बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति ।