Sunday 23 February 2020

नमस्ते ट्रम्प से क्या हमारे कूटनीतिक हित सधेंगे ? / विजय शंकर सिंह

ट्रम्प कहते हैं उन्हें भारत से नही, मोदी से प्यार है। वे कहते हैं भारत ने उनके साथ उचित व्यवहार नही किया पर वे मोदी को बहुत निकट मानते हैं। यह उनकी निजी यात्रा तो नहीं है ? अगर यह राजनयिक शिखर यात्रा है तो फिर भारत को उनकी यात्रा से क्या हासिल हो रहा है ? अभी तक तो ऐसा कुछ भी नहीं प्रकाश में आया है कि उनकी भारत यात्रा से हमे किसी प्रकार के लाभ होने की उम्मीद हो। फिर डोनाल्ड ट्रम्प की यह  भारत यात्रा, जिसपर 120 करोड़ रुपये तो केवल गुजरात सरकार के ही खर्च हो रहे हैं। अभी उत्तर प्रदेश और भारत सरकार द्वारा किया जाने वाला व्यय इसमे शामिल नहीं है। सत्तर लाख लोगों को ट्रम्प दर्शन के लिये अहमदाबाद में उस जगह खड़े किए जाने की योजना है, जहां से महामहिम गुजरेंगे। इतना तामझाम, इतना व्यय क्यों ? और इन सब की उपलब्धि क्या होगी यह अभी स्पष्ट नहीं है।

ट्रम्प के कार्यकाल मे भारत अमेरिका सम्बंध अधिकतर सनक भरे ही रहे। खुद ट्रम्प एक अहंकारी और सनकी व्यक्ति लगते हैं। अमेरिकी मीडिया को नियमित पढ़ने और देखने वाले लोग वहां की मीडिया में उनके बारे में प्रकाशित और प्रसारित होने वाली रोचक तथा दिलचस्प खबरों को पढ़ कर उनके बारे में अपनी राय बना सकते हैं। सीएनएन ने एक ट्वीट में साल 2019 में ट्रम्प द्वारा बोले जाने वाले झूठ पर एक दिलचस्प टिप्पणी लिखी है। सीएनएन के अनुसार, ट्रम्प ने साल 2019 में प्रतिदिन सात झूठ  की दर से झठ बोला है। अमेरिकी मीडिया हमारी मीडिया की तरह से समर्पित मीडिया नहीं है और सीएनएन तो अपनी साफगोई के लिये जाना जाता है। भारत यात्रा के बारे में भी सीएनएन का कहना है कि यहां भी ट्रम्प 25 झूठ प्रतिदिन की दर से बोल सकते हैं। यह हमारे विशिष्ट अतिथि कि जिनके लिये हमने पलक पाँवड़े बिछा रखे हैं, यह धारणा है। 

ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को क्या उपलब्धि मिली यह तो नही मालूम, पर जो नुकसान और विपरीत बात हुयी, वह कुछ इस प्रकार है, 
● भारत को आयात निर्यात में जो विशेष दर्जा मिलता था, वह खत्म हो गया है। इसका असर भारतीय उद्योगों पर बुरी तरह पड़ेगा। 
● वीसा नीति में बदलाव होने से हमारे 
● नागरिको को अमेरिका में दिक्कत हुयी। 
● कोई बड़ा समझौता  उनके आगमन के अवसर पर होने वाला भी नहीं है और आगे भी यह कहा जा रहा है कि चुनाव के पहले हो या बाद में यह अभी तय नहीं। 
● अगर ट्रम्प चुनाव हार जाते हैं तो यह सब नीतियां क्या करवट लेंगी, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। 

ट्रम्प का भारत भ्रमण हो या मोदी जी का हाउडी मोदी, दोनों का उद्देश्य है अमेरिका में रह रहे भारतीयों का समर्थन चुनाव में प्राप्त करना। उनके वोट लेना। मोदी जी ने अपनी बार ट्रम्प सरकार का नारा लगा कर इस चुनाव प्रचार की शुरुआत कर ही दी थी। फिर यह यात्रा क्या हाउडी मोदी का ही एक  भारतीय संस्करण नहीं है ? यह पूरी कवायद आगामी चुनाव में ट्रम्प को चुनावी लाभ पहुंचाने के लिये है, और उस चुनाव प्रचार में हमारे टैक्स का धन भी शामिल है। क्या यह भी एक अजीब मूर्खता नहीं है कि हाउडी मोदी तमाशे का भी खर्च हमीं उठाएं, और ट्रम्प के भारत मे आने जाने पर भी हमीं व्यय करें। और अमेरिका से हमे कुछ भी लाभ न मिले, न व्यावसायिक न कूटनीतिक। ऊपर से उनके हथियार और खरीदें। यह तो अद्भुत विदेशनीति हुयी !

एक और जिज्ञासा उठती है मन मे। क्या इतने ही तामझाम के साथ अमेरिका में हमारे प्रधानमंत्री जी का स्वागत होता है या उन्हें यूं ही आया कोई आम हेड ऑफ द नेशन समझ लिया जाता है ? शायद नहीं। अमेरिका खुद को दुनिया समझ लेता है और दुनियाभर को ठेंगे पर रख कर सोचता है। वह हमारी कोई परवाह नहीं करता है, और यह बात वह खुलकर कह भी रहा है और हमे जता भी रहा है, पर हम यह सारी दम्भोक्ति सुनते पढ़ते और समझते हुए उसके लिये लाल कालीन के थान दर थान बिछाते चले जा रहे हैं। यह भी नहीं पूछते कि ट्रम्प की यात्रा से हमें मिलेगा क्या या हम उनसे चाहते क्या हैं। हम अमेरिका की तुलना में आर्थिक रूप से कमज़ोर ज़रूर हैं पर हम उसके उपनिवेश नहीं हैं और न ही उसके आधीन कि वह हमारे यहां मुआयना करने आ रहा है। 

दो राष्ट्राध्यक्षो की शिखर वार्ता या देश भ्रमण यूं ही हाउडी हाउडी करने और ताजमहल देखने या सत्तर लाख नागरिको को सड़क पर राजतंत्र के सम्राट के झरोखा दर्शन के लिये नहीं आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य, परस्पर व्यावसायिक, कूटनीतिक औऱ वैश्विक उपलब्धियां होती हैं। पर इस यात्रा का क्या उद्देश्य है यह अभी तक तय नहीं है। 

© विजय शंकर सिंह 

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