Sunday, 29 January 2023

अडानी समूह का फ्रॉड उजागर करना, भारत पर हमला कैसे हो गया, मिस्टर गौतम अडानी / विजय शंकर सिंह

उद्योग बढ़ाने, धन कमाने और अपनी पूंजी का विस्तार करने का किसी भी पूंजीपति घराने की तरह अडानी समूह का भी उतना ही हक है, जितना सबको है, लेकिन यह अधिकार, देश के कानून और अपराध संहिता के अनुसार ही दिया जायेगा। पर अडानी समूह ने अपने राजनीतिक संपर्कों से, सत्तारूढ़ दल को राजनीतिक फंडिंग कर के, खुद को ही देश समझने का भ्रम पाल लिया है। जम कर, सरकारी बैंको एसबीआई और एलआईसी से इस समूह ने कर्जे लिए, राजनीतिक संपर्कों से, उसे एनपीए कराया, फिर उस राशि को इस कंपनी से  उस कंपनी में कर के, हेराफेरी की, और जब फ्रॉड का भांडा फूटा तो खुद को ही देश समझ लिया। 

हिंडनवर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद, अडानी ग्रुप और अमेरिका की Hindenburg Research के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर गहरा गया है। अडानी ग्रुप ने रविवार को अमेरिकी कंपनी की रिपोर्ट पर 413 पेज का जवाब भेजा था। इस पर Hindenburg Research का भी जवाब आ गया है। उसका कहना है अडानी ग्रुप मुद्दों से ध्यान भटका रहा है। इस आरोप प्रत्यारोप के बीच सरकार की चुप्पी हैरान तो नहीं करती पर, अक्रोशित जरूर करती है। 

Hindenburg Research का कहना है कि, "राष्ट्रवाद को चोला ओढ़कर धोखाधड़ी से नहीं बचा जा सकता। अडानी ग्रुप ने असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की है। आरोपों का जवाब देने के बजाय अडानी ग्रुप राष्ट्रवाद का सहारा ले रहा है।"
यह जवाब एक गंभीर आरोप भी है। सरकार को तुरंत अपनी एजेंसियों ईडी, प्रवर्तन निदेशालय, एसएफआईओ, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस, आदि को सक्रिय कर के इस रिपोर्ट पर संज्ञान ले लेना चाहिए था। हो सकता है ऐसा हुआ भी हो। 

Hindenburg Research ने कहा, "हम मानते हैं कि भारत एक वाइब्रेंट डेमोक्रेसी है और एक सुपरपावर के तौर पर उबर रहा है। हम साथ ही यह भी मानते हैं कि अडानी ग्रुप भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह ग्रुप राष्ट्रवाद की आड़ में देश को लूट रहा है।"
हमारा मानना है कि "फ्रॉड चाहे जो भी करे वह फ्रॉड होता है। आप इसे देश पर हमला बताकर बच नहीं सकते हैं। हमने  अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे थे जिसमें से उसने 62 सवालों के जवाब नहीं दिए। इनमें से कई सवाल ट्रांजैक्शंस की प्रवृत्ति और हितों के टकराव के बारे में पूछे गए थे।"

लेकिन अडानी ग्रुप ने इनका कोई जवाब नहीं दिया। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि, "उसकी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि अडानी ग्रुप ने गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी और उनकी विदेशी शेल कंपनियों के साथ अरबों डॉलर की डीलिंग की है। विनोद अडानी की विदेश में 38 कंपनियां हैं, जो मॉरीशस, UAE, साइप्रस, सिंगापुर और कई कैरेबियाई देशों में फैली हैं। इनसे अडानी ग्रुप के शेयरों और अकाउंटिंग पर सवाल उठते हैं।" 
इसके जवाब में अडानी ग्रुप ने कहा कि विनोद उसकी किसी भी कंपनी से नहीं जुड़े हैं और कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।

अडानी ग्रुप ने 29/01 को हिंडनबर्ग के आरोपों पर 413 पेज का जवाब भी जारी कर आरोपों को भारत पर हमला बताया। ग्रुप ने कहा कि "वह 24 जनवरी को 'मैडऑफ्स ऑफ मैनहट्टन' हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को पढ़कर हैरान और काफी परेशान है। यह रिपोर्ट झूठ के अलावा और कुछ नहीं है। इसमें एक खास उद्देश्य के लिए ग्रुप को बदनाम करने के लिए निराधार आरोप लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है।"

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh

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