Thursday, 11 November 2021

प्रवीण झा - रूस का इतिहास - तीन (8)



जो झाड़-फूँक, तंत्र-मंत्र में भरोसा नहीं भी करते, उनके लिए भी रासपूतिन कुछ असाधारण तो थे ही। साइबेरिया के एक किसान का राजमहल तक पहुँचना अपने-आप में एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। 4 दिसंबर को जब ज़ार निकोलस आखिरी बार सपरिवार रासपूतिन से मिले तो ज़ार ने हमेशा की तरह आशीर्वाद माँगा। रासपूतिन ने कहा, “आज मुझे आशीर्वाद की ज़रूरत है।”

उनके सचिव सिमानोविच अपने संस्मरण में लिखते हैं कि रासपूतिन ने उनसे कहा, “इस वर्ष के अंत तक मैं मारा जाऊँगा। अगर मेरे किसी किसान मित्र ने मुझे मारा तो ज़ारशाही कायम रहेगी। अगर किसी कुलीन वर्ग के व्यक्ति ने मारा तो अगले पच्चीस वर्ष तक रूस में वीभत्स हिंसा होती रहेगी। अगर किसी ज़ार परिवार के व्यक्ति ने मारा तो कुछ ही महीनों बाद ज़ार परिवार बुरी मौत मरेगा।”

16 दिसंबर की सुबह रासपूतिन को टेलीफोन आया, “आज तुम मरने वाले हो”

दोपहर की डाक में हत्या की धमकियाँ आ गयी। रासपूतिन के लिए यह धमकियाँ आम थी, लेकिन वह एहतियातन घर में ही बंद रहे। उन्होंने अपनी मित्र व्यूरोबोवा को कहा, “रात को राजकुमार युसुपोव ने बुलाया है। राजकुमारी इरीना से मिलना है।”

व्यूरोबोवा महारानी की परिचारिका और दोस्त थी। उन्होंने जब महारानी से जिक्र किया, तो उन्होंने कहा, “अच्छा? मगर इरीना तो क्रीमिया में है। तुम्हें कुछ और कहा होगा, या तुम्हें धोखा हुआ होगा।”

रात साढ़े दस बजे तक राजकुमार फेलिक्स ने अपने घर के इंतज़ाम पुख़्ता कर लिए। खूबसूरत कालीन बिछाए गए। मोमबत्तियों के साथ डिनर-टेबल सजाया गया। अलाव की लकड़ियाँ जलायी गयी। दूसरे कमरे में ग्रामोफ़ोन पर संगीत बजाया गया। वहीं किनारे एक मेज पर कुछ केक और मदिरा रखे गए, जिनमें पोटाशियम साइनायड का चूर्ण छिड़क दिया गया। ऊपर के कमरे में मंत्री पुरिश्कोविच और कुछ अन्य कुलीन व्यक्ति बैठ कर रासपूतिन के मरने की प्रतीक्षा कर रहे थे। 

ग्यारह बजे फेलिक्स रासपूतिन के घर उन्हें लेने गए, जहाँ वह पहले से तैयार बैठे थे। उनका लोभ तो राजकुमारी इरीना थी, जो उस समय पेत्रोग्राद में थी ही नहीं। घर पहुँचते ही रासपूतिन ने कहा, “संगीत बज रहा है। कोई पार्टी चल रही है?”

फेलिक्स ने कहा, “हाँ! इरीना अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रही है। थोड़ी देर में वे लोग चले जाएँगे”

“कोई बात नहीं। केक और मदिरा तो बड़े ही आकर्षक लग रहे हैं। मुझे भूख भी लगी है।”

रासपूतिन केक और शराब लेकर बैठ गए, और छक कर खाने लगे। फेलिक्स हैरान थे कि हो क्या रहा है। रासपूतिन सारा जहर पचा गए, और कुछ नहीं हुआ। उल्टे वह वायलिन उठा कर फेलिक्स को देते हैं, “बच्चे! कुछ अच्छा बजा कर सुनाओ”

फेलिक्स जब वायलिन बजा कर सुना रहे थे तो रासपूतिन झूमते हुए उनके पास आए और कहा, “तुम सारे लोग मुझे नहीं मार सकते। मुझे या किसी को भी सिर्फ़ ईश्वर ही मार सकते हैं।”

फेलिक्स यह सुन कर हड़बड़ा गए और कहा, “मैं एक मिनट इरीना को देख कर आता हूँ। शायद उनकी पार्टी खत्म हो गयी हो”

वह ऊपर जाकर मित्रों से कहते हैं, “यह जहर तो नाकाम रही। अब?”

उनके मित्र दमित्री अपनी जेब से रिवॉल्वर निकाल कर मेज पर रखते हैं। फेलिक्स वह रिवॉल्वर लेकर नीचे आए और रासपूतिन से कहा, “रासपूतिन! ईश्वर की तरफ देखो। वह अब तुम्हें बुला रहे हैं”

और फेलिक्स ने गोली चला दी। उनके मित्र ऊपर से भागे आए तो देखा रासपूतिन मर चुके हैं। नब्ज जाँची गयी, धड़कनें बंद थी। वे सभी एक दूसरे को मुबारकबाद देने लगे। उनके पड़ोसी राजकुमार भी गोलियों की आवाज सुन कर पहुँच गए थे। 

तभी उन्होंने देखा कि रासपूतिन की लाश गायब है। रासपूतिन खून से लथ-पथ बाहर बर्फ़ में लड़खड़ाते चल रहे थे। राजकुमार फेलिक्स दौड़ते हुए उनकी ओर भागे, और दो गोलियाँ दाग दी। अंतत: दर्जनों प्रयासों के बाद रासपूतिन सदा के लिए मर गए। 

सभी एक साथ चिल्लाए- ‘रूस की जय हो!’

वे जश्न मनाने वाले नहीं जानते थे कि कुछ ही महीनों बाद इस रूस में उन्हें दो गज ज़मीन भी नसीब नहीं होगी। रासपूतिन की भविष्यवाणी सत्य थी। यह रोमानोव वंश, शाही राजकुमारों और सामंतों का आखिरी दिसंबर था। 
(क्रमश:)

प्रवीण झा 
© Praveen Jha

रूस का इतिहास - तीन (7)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/11/7.html 
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