Saturday, 17 December 2016

विमुद्रीकरण या नोटबंदी पर विशेषज्ञों की राय - एक सर्वेक्षण / विजय शंकर सिंह

नोटबन्दी या विमुद्रीकरण  का फैसला कैबिनेट का था या किचेन कैबिनेट का यह आज न तो पता लगेगा और न ही कोई बताएगा । जब कभी कोई किताब लिखी जायेगी या कोई मुखर होगा तो सारी बातें सामने आएँगी । पर इस विनाशकारी निर्णय की जिम्मेदारी कौन लेगा ? पूरी पार्टी, या सरकार या सरकार के प्रमुख ? जब इस नोटबंदी की बात 8 नवम्बर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री जी ने की थी तो अधिसंख्य देशवासियों की तरह मैं भी टीवी के सामने बैठा हुआ था । सेना प्रमुखों से मिलते हुए पीएम की फ़ोटो स्क्रीन पर उभरी और एक घोषणा सुनायी दी कि प्रधानमंत्री देश को एक आवश्यक सन्देश देंगे । सेना प्रमुखों से भेंट के बाद ऐसी घोषणा से लगा कि, शायद सीमा पर कुछ सोचा गया हो युद्ध या बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कोई बात होने वाली हो । पर एलान हुआ 1000 और 500 रूपये के नोट उसी रात 12 बजे के बाद कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ कर, वैध नहीं रहेंगे । यह भी एक प्रकार की आपात घोषणा थीं। 8 नवम्बर को रात 12 बजे बाद से 500 और 1000 के नोट रद्द कर दिए गए । उनकी वैधता समाप्त कर दी गयी । ऐसा करने के तब तीन कारण पीएम ने बताये थे ।
1. काले धन की समाप्ति -
यह नहीं हो पाया क्यों कि जितने राशि के बड़े नोट चलन में थे, उनमें से 85 % नोट बैंकों में वापस आ चुके हैं ।
2. आतंकियों को धन की आपूर्ति बाधित करना -
इस पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ा ।
3. नक़ली नोटों की पहचान और उनसे मुक्ति -
लेकिन जिस प्रकार से नोट जमा हो रहे हैं उनसे तो यही स्पष्ट है कि, नक़ली नोटें या तो इसी भीड़ भड़क्के में जमा कर दी गयीं या उनकी संख्या अनुमान से कम थी।
इस प्रकार नोटबन्दी से जिन उद्देश्यों के लिए यह मास्टरस्ट्रोक और साहसिक कदम उठाया गया था, जिसकी विरूदावली गायी जा रही थी, वह अपने किसी भी लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया । बल्कि इसके विपरीत , इस निर्णय से, लाखो लोगों की रोज़ी रोटी छिनने और उनके बरबाद होने की आशंका और बढ़ गयी ।

इस नोटबन्दी से देश को आर्थिक हानि भी कम नहीं होगी । क्या मिलेगा और अब तक क्या मिला है , यह सरकार आज बताने की स्थिति में नहीं है । नोटबंदी से होने वाले आर्थिक नुकसान का आंकड़ा , 1,28,000 करोड़ रुपये का होगा। यह आंकड़ा सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी द्वारा दिया गया है । आप 30 नवम्बर के फाइनेंसियल एक्सप्रेस में यह खबर पढ़ सकते हैं । यह अनुमान आगे बढ़ भी सकता है । क्यों की देश की 86 प्रतिशत मुद्रा मर चुकी है । जब तक नयी मुद्रा बाजार में नहीं आ जाती और उस अभाव से जो समस्या उतपन्न हो रही है या होगी, उसका आकलन अभी नहीं किया जा सका है । अर्थतंत्र के अध्येता उसका भी अध्ययन कर ही रहे होंगे । जब आर्थिक स्थितियां गड़बड़ होतीं हैं तो उसका परोक्ष प्रभाव अपराध और समाज पर भी पड़ता है । अगर इस नोटबंदी जन्य आर्थिक गतिरोध से रोज़गार के अवसर कम होते हैं , उद्योगों पर असर कम होता है, बेरोजगारी बढ़ती है तो इसका सीधा प्रभाव अपराध वृद्धि पर पड़ेगा । संभवतः यह ' साहसिक निर्णय ' लेते समय , इतनी दूर तक नहीं सोचा गया । CMIE के एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री डॉ महेश व्यास क्या कहते हैं यह उन्ही के शब्दों में पढ़ें ,
" The exercise can only be considered worth if the government is able to unearth unaccounted cash worth at least the transaction cost. If the government succeed "
आगे इसी लेख में पढ़े
12% share of households, that stand in queues to exchange theor old currency notes with new ones, in the total demonetisation transaction cost. They stand to lose Rs 15,000 crore.
The government and the RBI are estimated to bear a cost of Rs 16,800 crore. This is largely because of printing of new currency and transportation of new currency to bank branches, ATMs and post offices.
इस अर्थ हानि में वे आंकड़े भी छुपे हुए हैं जो ,बाज़ार में मंदी आने पर स्वतः होने लगते हैं -
According to estimates, companies will witness a direct impact on business in terms of the drop in discretionary spending by households. This alone adds up to more than half of trillion rupees during the 50-day period till the end of December. Enterprise stands to lose Rs 61,500 crore or 48% of the total transaction cost of this exercise of demonetisation.

नोटबंदी पर दुनिया भर के अखबारों में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ स्तंभकारों ने अपनी - अपनी राय प्रस्तुत की है । लगभग सभी की राय इस संबंध में नकारात्मक है । सबने इस कदम से होने वाले लाभ के संबंध में अपनी आशंकाएं ज़ाहिर की है । भारत एक अत्यंत तेज़ी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था है । वैश्विक मंदी के दौर में भी देश के आर्थिक प्रगति के सूचकांक निराशाजनक नहीं रहे । कुछ अखबारों के लिंक यहां प्रस्तुत है । यह लिंक्स मेरे एक प्रिय मित्र ने उपलब्ध करायी है । इनके अवलोकन से विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया का अनुमान लगाया जा सकता है ।

1. The New York Times:
Chaos as Millions in India Crowd Banks to Exchange Currency
http://www.nytimes.com/aponline/2016/11/12/world/asia/ap-as-india-currency-chaos.html?_r=0

2. BBC:
How India's currency ban is hurting the poor
http://www.bbc.com/news/world-asia-india-37947029

India rupees: Chaos at banks after 'black money' ban
http://www.bbc.com/news/world-asia-india-37933233

India rupee ban: Currency move is 'bad economics'
http://www.bbc.com/news/world-asia-india-37970965

3. The Guardian:
Why the corrupt rich will welcome Modi’s ‘surgical strike on corruption’
https://www.theguardian.com/commentisfree/2016/nov/15/corrupt-rich-india-modi-500-1000-rupee-note

4. Huffington Post:
Demonetisation Death Toll Rises To 25 And It's Only Been 6 Days
http://www.huffingtonpost.in/2016/11/15/demonetisation-death-toll-rises-to-25-and-its-only-been-6-days/

10 Reasons Why BJP's Demonetization Move Is An Unmitigated — And Politically Motivated — Disaster
http://m.huffingtonpost.in/apoorva-pathak/10-reasons-why-bjps-demonetization-move-is-an-unmitigated-and/

5. Al-Jazeera:
Anger intensifies over India's demonetisation move
http://www.aljazeera.com/news/2016/11/anger-intensifies-india-demonetisation-move-161112161157110.html

India demonetisation: Chaos as ATMs run dry
http://www.aljazeera.com/news/2016/11/india-demonetisation-chaos-atms-run-dry-161109061403011.html

6. Washington Post:
Panic, anger and a scramble to stash cash amid India’s ‘black money’ squeeze
https://www.washingtonpost.com/world/panic-anger-and-scramble-to-stash-cash-amid-indias-black-money-squeeze/2016/11/10/32cb222a-565a-4c6f-8d40-59257c042109_story.html

India struggles as millions throng banks to swap currency
https://www.washingtonpost.com/business/india-struggles-as-millions-throng-banks-to-swap-currency/2016/11/15/4979c20c-ab08-11e6-8f19-21a1c65d2043_story.html

7. The Independent:
Indians scramble to deposit cash as government voids high-value bank notes in ‘black money’ crackdown
http://www.independent.co.uk/news/world/asia/india-cash-money-black-money-bank-notes-a7409811.html

8. Dailymail:
'Modi boasts of his 56-inch chest, but what kind of son lets his mother go through that?' PM's 96-year-old mother queues up to change notes
http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-3939414/Modi-boasts-56-inch-chest-kind-son-lets-mother-PM-s-96-year-old-mother-queues-change-notes.html

9. Financial Times:
India cash crunch update: Still chaotic
https://ftalphaville.ft.com/2016/11/15/2179657/india-cash-crunch-update-still-chaotic/

10. International Business Times:
India's economic growth to take a hit over demonetisation drive: India Ratings
http://www.ibtimes.co.in/indias-economic-growth-take-hit-due-de-monetisation-india-ratings-703576

11. NDTV:
PM Modi 'Masterstroke' On Notes Backfires, says foreign media
http://www.ndtv.com/opinion/pm-modi-masterstroke-on-notes-backfires-says-foreign-media-1626092

12. The Economic Times:
India's new strike against black money backfires
http://m.economictimes.com/news/economy/policy/view-indias-new-strike-against-black-money-backfires/articleshow/55452196.cms

उपरोक्त अखबारों की राय के बाद कुछ महत्वपूर्ण अर्थशास्त्रियों की भी राय जानना आवश्यक हैं।
अर्जुन जयदेव जो अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफेसर हैं, नें इसे वित्तीय अतिनाटकीय निर्णय की संज्ञा दी है । उन्होंने financial melodrama शब्द का प्रयोग किया है । उन्होंने कहा इस से जनता का विश्वास , काले धन की अर्थ व्यवस्था पर से उतना नहीं डिगा है जितना कि जनता का भरोसा मौद्रिक तंत्र की निष्ठा से उठ गया है । अरुण इसे झोलझाप निदान कहते हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे सर्जिकल स्ट्राइक के बजाय कारपेट बॉम्बिंग कहा है जो पूरे इलाके को तहस नहस करने के उद्देश्य से की जाती है । उसने यह भी कहा है कि इतने अधिक क्षमता की शॉक थेरेपी , हो सकता है हमारा बैंकिंग तंत्र सहन न कर सके । ऐसा हो भी रहा है । सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे फैसले को सुनवायी के लिए संविधान पीठ को सौंप दिया है ।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ प्रभात पटनायक ने सिटिज़न न्यूज़ पोर्टल में तीन भागों की एक लेख श्रृंखला लिखी है । उन्होंने कहा है कि 86 % मुद्रा का रातों रात विमुद्रीकरण कर देना और वह भी बिना उचित तैयारी के, आत्मघाती ही होगा ।
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के  प्रोफेसर डॉ मैत्रीश घटक के शब्द हैं , -
" India may go down in recent history as the biggest example of firing cannon balls to kill mosquitoes..... with huge collateral damage. "
लगभग सभी प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों की राय यही है कि, जिन उद्देश्यों के लिए यह मास्टरस्ट्रोक लगाया गया वह बहुत कुछ हद तक विफल हो गया हैं।

( विजय शंकर सिंह )

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