Thursday, 24 September 2015

डब्लिन , आयरलैंड में प्रधान मंत्री जी का उद्बोधन और संस्कृत - एक प्रतिक्रिया / विजय शंकर सिंह




प्रधान मंत्री जी, डबलिन में थे. वहाँ के एक आयोजन में कुछ बच्चों ने संस्कृत में श्लोक वाचन किया. प्रधान मंत्री जी प्रसन्न हुए. पर थोडा व्यथित भी दिखे. कह डाला, कि हमारे यहां यानी भारत में संस्कृत में श्लोक बोले जाते तो सेकुलर लोग बवाल कर देते. यह कथन तो अवसरानुकूल ही था और ही तथ्यों के अनुरूप ही था.

जहां तक संस्कृत का प्रश्न है वह समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है.
संस्कृत हाई स्कूल में अनिवार्य रूप से हिंदी के साथ पढ़ाई जाती थी. पहले हिंदी का तीसरा पर्चा संस्कृत का ही होता था। अब का मुझे पता नहीं.
वाराणसी स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय सहित कई संस्कृत विश्वविद्यालय देश में बहुत पहले से हैं. तिरुपति तिरुमला देवस्थानम का संस्कृत विश्वविद्यालय और दरभंगा राज का संस्कृत विश्वविद्यालय बहुत पहले से ही है। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय , पहले क्वींस कॉलेज था , बाद में यह गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज हुआ। जब डॉ सम्पूर्णानन्द जो वाराणसी के ही थे , और स्वयं एक मनीषी थे , उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री हुए तो , उन्होंने इसे संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्ज़ा दिया और इसका नाम रखा गया वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय। जब डॉ सम्पूर्णानन्द नहीं रहे और कमला पति त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने उन्होंने इस विश्वविद्यालय का नाम , डॉ सम्पूर्णानन्द के नाम पर रखा। यह विश्वविद्यालय पूरे विश्व में फैले हुए संस्कृत महा विद्यालयों को मध्यमा से लेकर आचार्य तक की डिग्री देता है।
आकाशवाणी से संस्कृत में समाचार बहुत पहले से ही है.
पहले स्कूलों में प्रार्थनाएं संस्कृत में होती थीं और उन्हें सभी पढ़ते थे .
वेद की ऋचाएं अक्सर न्यायालयों के फैसलों में भी उद्धृत हुयी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज, न्याय मूर्ति यादव, मैं पूरा नाम भूल रहा हूँ ने पूरा फैसला ही संस्कृत में दिया था कभी. पर कभी संस्कृत का किसी ने विरोध नहीं किया.
सभी विश्वविद्यालयों में संस्कृत का विभाग है जिसमे, स्नातकोत्तर के साथ साथ शोध भी होता है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में तो प्राच्य विद्या संकाय है जिसमे आज भी संस्कृत के वेद, वेदांग, षड्दर्शन, उपनिषद , पुराण, कर्मकाण्ड , व्याकरण, साहित्य आदि सभी पारंपरिक रूप से पढ़ाया जाता है.
संस्कृत अकादमी और कालिदास सम्मान जैसे संस्कृत में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार भी है.

किसी भाषा को किसी जाति या धर्म विशेष से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए. भारत मौलिक रूप से, बहु भाषी , बहु धार्मिक , बहु पंथिक , बहु जातीय देश है. यह सच में एक प्रसिद्ध वैदिक ऋचा के अनुसार सबगच्छवम की भूमि है. यहां की आत्मा में सर्व धर्म सम भाव है. मैं ऋग्वेद का यह प्रसिद्ध मन्त्र यहां उद्धृत कर रहा हूँ। जिसमे धर्म निरपेक्षता या सर्व धर्म सम भाव , जो भी आप कह लें मूर्तिमान हुआ है। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद जवाहरलाल नेहरू की प्रसिद्ध पुस्तक डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया से लिया गया है।

संगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम्
देवा भागं यथा पूर्वे
सञ्जानाना उपासते ||

समानो मन्त्र: समिति: समानी
समानं मन: सहचित्तमेषाम्
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये :
समानेन वो हविषा जुहोमि ||

समानी आकूति: समाना हृदयानि :|
समानमस्तु वो मनो यथा : सुसहासति ||
( . 5. 10 - 192 -2 )

( अर्थात हम सभी साथ-साथ चलें। आर्थिक तरक्की और विकास के रास्ते में दुनिया के दक्षिणी छोर से उत्तर तक और पूर्वी छोर से पश्चिम तक हममें से कोई भी पीछे रह जाए, हममें से कोई भी बिछड़ जाए। हम सभी साथ-साथ बोलें, साथ-साथ चिंतन करें और साथ मिलकर ऐसे ज्ञान का सृजन करें जिससे समस्त विश्व का कल्याण हो सके। )

saṃgacchadhwaṃ saṃvadadhwaṃ
saṃ vo manāṃsi jānatām
devā bhāgaṃ yathā pūrve
sañjānānā upāsate ||

samāno mantraḥ samitih samānī
samānaṃ manaḥ sahacittameṣām
samānaṃ mantramabhimantraye vaḥ
samānena vo haviṣā juhomi ||

samanī va ākūtiḥ samānā hrdayāni vaḥ |
samānamastu vo mano yathā vaḥ susahāsati ||

Sangam - confluence / junction / togetherness / Sangachadwam is the last word in the Rig veda. It means let us progress (proceed or move on) together. Sangachadwam - Let Us Move Together

( May you move in harmony, speak in one voice; let your minds be in agreement; just as the ancient gods shared their portion of sacrifice. May our purpose be the same; may we all be of one mind. In order for such unity to form I offer a common prayer. May our intentions and aspirations be alike, so that a common objective unifies us all.) 

( विजय शंकर सिंह )

6 comments:

  1. एक समय नेहरु जी संस्कृत को वेद डेटेड लैंगुएज कहकर इसे राष्ट्रीय भाषा का मर्यादा नही दिए इस विषय में आप क्या कहेंगे।

    जब अर्थव वेद के वंदेमातरम से कांग्रेस को दिक्कत है तो कृपया ये अनर्थक वात न करे तो ही अच्छा है।

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  2. जव राष्ट्र भाषा चयन हुया वैकडेटेड भाषा कहकर संस्कृत को अपमानित किया नहेरु ने तब उनको जा कर समझाते तो अच्छा लगता

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  3. फल स्वरूप अब हमारा कोई भी राष्ट्रीय भाषा नही है।

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  4. मंत्रो का अर्थ भी गलत लिखे है।

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  5. ये हमारे वेद है जो सबको समान समझता है।
    पर कुरान के ''जिहाद'' पर भी कभी चर्चा किजिए गा।

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  6. यहा धर्म या सर्व धर्म एकता शव्द का प्रयोग नही हुया।

    यहा वस एक उद्देश्य एक प्राण एक मनीषी और एक ही आत्मा । और सबका एक ही मत हो ये कहा गया।

    सनातन ही वो एक है।। कोई दुसरा नही । हमारे सनातन से ऋचा लेकर हम ही को गलत पाठ पड़ा रहे। जानते नही हम गलत लोगो का साथ लेने के विरुद्ध है।

    सत्यम परम धिमही।

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