जब जब दर्द का बादल छाया,
जब गम का
साया लहराया ,
जब आंसूं पलकों तक आया ,
जब यह तनहा दिल घबराया ,
हम ने दिल
को यह समझाया ,
दिल आखिर तू
क्यों रोता है
,
दुनिया में यूँ
ही होता है।
यह जो गहरे सन्नाटे हैं ,
वक़्त ने सब
को ही बांटे है ,
थोड़ा गम है
सब का किस्सा ,
थोड़ी धूप है
सबका हिस्सा,
आँख तेरी बेकार ही नम है
,
हर पल एक
नया मौसम है
,
क्यों तू ऐसे
पल खोता है
,
दिल आखिर तू
क्यों रोता है।
( विजय शंकर सिंह )
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