Friday, 17 May 2013

दोस्तों में ज़िंदगी -- A Poem...




दोस्तों में ज़िंदगी 

ज़िंदगी दोस्तों में मिला करती है ,
और , ये , दोस्त भी अजीब होते हैं,
देने पर आयें तो , जान दे दें ,
लेने पर जाएँ तो हंसी तक छीन लें !
कहने पर आयें तो दिल के तमाम राज़ कह दें ,
और ,छुपाने लग जाएँ तो यह तक बताएं कि खफा क्यों हैं .
नाराज़ हों तो सांस तक लेने दें ,
मनाने  पर जाएँ तो अपनी साँसें न्योछावर कर दें .
सच तो यह है , 
दोस्त,  ज़िंदगी में नहीं मिला करते ,
बल्कि , ज़िंदगी दोस्तों में मिला करती है ...


Zindagi doston me mila karti hai...
Aur ye dost bhi ajeeb hote hai...
Dene pe aaye to jaan dede...
Lene pe aaye to hansi tak chhinle...
Kehne pe aaye to dil ke tamam raaz tak keh de...
Chhupane pe aaye toh yeh tak na bataye k khafa kyu hai..
Naraz hone pe aaye to sans tak na lene de...
Manane pe aaye to apni sanso ko vaar de...
Sach to yeh hai,
Dost zindgi me nahi mila karte..
Balki zindagi "Dosto" me mila karti hai.

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