अब न मंजिल है न रास्ता कोई ,
एक पल की खता है कोई ,
अब न मंजिल है न रास्ता कोई ,
कैसे ढूंढूं , कहाँ पाऊँ उसे ,
पास आकर बिछुड़ ,गया कोई .
सांस भरना ही तो ज़िंदगी नहीं ,
मर मर के रोज़ , जी रहा है कोई .
मैं तेरे पास आ तो जाऊं मगर ,
मुझ को बरबस रोकता है कोई .
मुझ को इस रात की सुबह तो मिले ,
मैं भी समझूं , मेरा खुदा है कोई ,
एक पल की बस खता है कोई ,
अब न मंजिल , न रास्ता कोई .
-vss
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