सूरज बैठा है देहरी पर,
सूरज बैठा है देहरी पर,
अन्धेरा मन के भीतर ,
सूना आँगन,
सूनी बगिया ,,
सब बैठे हैं, चुपचाप,
किस उम्मीद के कागज़ पर , हम लिखें,
दिल की बात ,
किस उपवन का लुत्फ़ उठायें ,
किस कोयल का गान सुने ,
सारी राहें याद हैं हम को ,
हम कैसे खो जाएँ ?
जब नींद खुले तो खुद ही बोले,
कान लगा कर सुन लें खुद ही ,
फिर ,
सो जाएँ .
सूरज बैठा है देहरी पर,
अन्धेरा मन के भीतर ,
-vss
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