Saturday, 18 May 2013

क्या करते कविगण तब ? -- त्रिलोचन



हिन्दी की आधुनिक प्रगतिशील कविता में त्रिलोचन का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हिन्दी कविता के इतिहास में शमशेर, नागार्जुन, केदार और त्रिलोचन का अलग महत्व रहा है. इन्होंने हिन्दी में प्रगतिशील धारा को स्थापित  किया.
त्रिलोचन की यह कविता पढ़ें...


अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?

खोजते सौन्दर्य नया
देखते क्या दुनिया को
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब
क्या करते कविगण तब?

प्रेमियों का नया मान
उनका तन-मन होता
अथवा टकराते रहते वे सदा
चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से
कमल से, सागर से, सरिता से
सबसे
क्या करते कविगण तब?

आँसुओं में बूड़-बूड़
साँसों में उड़-उड़कर
मनमानी कर- धर के
क्या करते कविगण तब ?

अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब ?

त्रिलोचन

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