Thursday 25 June 2020

भाजपा और सीपीसी संबंध - कहाँ मयखाने का दरवाजा, और कहाँ वाइज ग़ालिब / विजय शंकर सिंह

भारत-चीन के बीच तनाव का दौर जारी है। दोनों देशों के बीच 1962 में एक बार जंग हो चुकी है। वहीं 1965 और 1975 में भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं। इन तारीख़ों के बाद ये चौथा मौका है जब भारत-चीन सीमा पर स्थिति इतनी तनावपूर्ण है।

भारत और चीन के बीच, लद्दाख की गलवान घाटी में युद्ध की संभावनाओं के बीच एक बार फिर से 7 अगस्त 2008 को बीजिंग में भारत की कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच जो समझौता हुआ, वो सुर्खियों में है।

बीजिंग में अगस्त 2008 में हुए ओलंपिक खेलों के दौरान भारत की तरफ से चीन के द्वारा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी को चीन के सरकारी मेहमान के तौर पर बुलाया गया था। बीजिंग ओलंपिक शुरू होने से पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कांग्रेस पार्टी के बीच एक अहम समझौता हुआ।

तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताहु चीन की तरफ से और भारत की कांग्रेस पार्टी की तरफ से अध्यक्ष सोनिया गांधी इस समझौते के दौरान उपस्थित थे। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन उपाध्यक्ष, स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर व पोलित ब्यूरो शी जिनपिंग और भारत की तरफ से कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।

इस एमओयू में क्या है यह तो कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ही बता सकती है। इस संबंध में एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी है और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने चीन से सांठगांठ के आरोप भी लगाए हैं । सरकार को इस गंभीर मामले की जांच करानी चाहिए।

लेकिन हैरानी की बात यह भी है कि, बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और भाजपा संघ के नेताओ की मुलाकात भी उसी के एक साल बाद 2009 में हो रही है। 2009 में ही भारतीय जनता पार्टी और संघ के कुछ लोग चीन गए थे और कम्युनिस्ट पार्टी के साथ इनका भी एक समझौता हुआ था। कहाँ मयखाने का दरवाजा, कहाँ वाइज ग़ालिब, जैसी ही यह केर बेर का संग मुझे लग रहा है।


टाइम्स ऑफ इंडिया के 19 जनवरी 2009 के संस्करण में महुआ चटर्जी की एक स्टोरी अचानक जब गूगल पर कुछ ढूढते हुए सामने से गुजरी तो सोचा उसे पढूं और मित्रों को भी शेयर कर दूं। भाजपा और संघ तथा बीजेपी भले ही वैचारिक रूप से एक दूसरे के ध्रुवो पर हों पर दोनो ही राजनीतिक दलों के बीच एक गहरी मित्रता देखने को मिल रही है। यह आप को अचंभित कर देगी पर यह विचित्र किंतु सात्य जैसा मामला है।
2009 में भाजपा और आरएसएस का एक पांच सदस्यीय शिष्टमंडल चीन की राजधानी बीजिंग गया था। बीजिंग और शंघाई की यात्रा करने वाला यह शिष्ट मंडल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निमंत्रण पर गया था। वहां से यह शिष्टमंडल इस उम्मीद के साथ भारत आया कि दोनों ही राजनीतिक दलों ( भाजपा और सीपीसी ) में आपसी समझदारी बढ़ाने के लिये जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

आरएसएस के बड़े नेता, उनके प्रवक्ता और जम्मूकश्मीर एक्सपर्ट राम माधव ने उस मीटिंग के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था,
" यह आपसी बातचीत, बीजेपी और सीपीसी के बीच बातचीत का एक सिलसिला शुरू करेगी और एक दूसरे की स्थिति को बेहतर समझदारी के साथ समझने में सहायक होगी। "
"This interaction has helped in opening a channel of dialogue between BJP and CPC and also helped in understanding each other's position with greater clarity,"
RSS leader Ram Madhav told TOI.
आगे राम माधव ने कहा कि,
" जो तात्कालिक मुद्दे थे, वे आतंकवाद, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य जिससे भारत और चीन दोनो ही जुड़े हुए हैं भी बात हुयी साथ ही , तिब्बत का मसला और अरुणाचल प्रदेश के सीमा विवाद जैसे जटिल मुद्दे, आदि पर भी विचार विमर्श हुआ। इस दल का नेतृत्व भाजपा नेता बाल आप्टे ने किया था।

एक रोचक तथ्य यह है कि चीन ने भारतीय माओवादी संगठनों से अपना कोई भी संबंध न होने की भी बात भी कही है। जब सीपीसी से उनका नक्सलाइट आंदोलन के विचार पूछा गया और यह कहा गया कि, नक्सल संगठन चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ को अपना नेता मानते हैं, तो सीपीसी के नेताओ ने कहा कि,
" भारतीय माओवादी जो कर रहे हैं, विशेषकर उनके हिंसात्मक आंदोलन, वह चीन की अधिकृत राज्य नीति नही है और न ही यह कहीं से माओवाद के भी निकट है।
"to support what the Indian Maoists are doing (referring to the violence) is not the state policy in China and neither is it anywhere close to Mao's ideology".


भाजपा की चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से दूसरी शिष्टमंडल मुलाकात 2014 में हुयी और इसकी खबर आप बिजनेस स्टैंडर्ड के 15 नवम्बर 2014 के अंक में पढ़ सकते हैं। यह शिष्टमंडल एक सप्ताह के दौरे पर गया था। इस शिष्टमंडल का एजेंडा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की संगठनात्मक बारीकियों को समझना था। लौट कर शिष्टमंडल को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह को अपनी रिपोर्ट देनी थी। 13 सदस्यीय दल का भ्रमण बीजिंग और गुयांगझाऊ शहरों का भ्रमण करना और यह समझना था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का आंतरिक संगठन कैसा है तथा कैसे वे लोककल्याणकारी राज्य की ओर बढ़ रहे है, का अध्ययन करना था। शिष्टमंडल ने बीजिंग में स्थित सीपीसी के पार्टी स्कूल को भी देखा और उसकी गतिविधियों का अध्ययन किया।

जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पार्टी स्कूल के भ्रमण के औचित्य पर भाजपा के नेताओ से सवाल किया गया तो, भाजपा के तत्कालीन महासचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा,
" भाजपा इस ग्रह की सबसे बडी पार्टी बनने के मंसूबे पर काम कर रही है, और भाजपा तथा सीपीसी दोनो ही कैडर आधारित राजनीतिक दल हैं। हमारा इतिहास बताता है कि कैसे हमने रचनात्मक आलोचनाओं से अपने दल का विकास किया है। "
“The BJP is working towards becoming the largest party on the planet, and both BJP and CPC are cadre based parties and can learn from each other. Our (BJP's) history is evidence of how our positive attitude to constructive criticism has contributed to our growth as a political party,”
BJP national secretary Shrikant Sharma said when asked about the visit of BJP members to CPC’s Party School.
इस शिष्टमंडल यात्रा के पहले भाजपा के युवा नेताओ का भी एक दल चीन की यात्रा पर जाकर लौट आया था। उस युवा दल का नेतृत्व सिद्धार्थनाथ सिंह ने किया था। इस दल ने भी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना से जुड़े पार्टी स्कूल देखे थे और उनका अध्ययन किया था। इस युवा दल के सदस्यो और नेता का चयन प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ ने किया था। बीजेपी ने तब अपने सांसदों और विधायकों के लिये रिफ्रेशर कोर्स जैसे पाठ्यक्रम भी चलाये थे।

चीन गए इस शिष्टमंडल का नेतृत्व तब के लोकसभा सदस्य भगत सिंह कोश्यारी ने किया था जो अब महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। भाजपा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर के शिष्टमंडल के जाने के निम्न उद्देश्य बताये थे।
" यह शिष्टमंडल दोनो ही सत्तारूढ़ दलों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने पर ज़ोर देगा। "
“The delegation will also emphasize on establishing and strengthening relations between the two ruling parties,”
सुषमा स्वराज जो तब विदेश मंत्री थीं ने, इस यात्रा को
" दोनो देशों के बीच, राजनीतिक, आर्थिक और भौगोलिक क्षेत्र में आ रही छोटी मोटी समस्याओं को सुलझाने में सहायक होने की बात कही । "
सुषमा स्वराज ने यह भी कहा कि, शिष्टमंडल को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की सरकार में जो हैं, उन्हें
" नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भारत के सभी पड़ोसी देशों विशेषकर चीन के साथ संबंध सुधारने की जो नीति चल रही है के सकारात्मक कदमो को " बताना होगा।

भाजपा महासचिव राम माधव जो 2009 में खुद एक शिष्टमंडल के साथ चीन जा चुके थे ने इसे एक गुडविल विजिट बताया था। 2014 की इस यात्रा के पहले राम माधव सितंबर 2014 में भी बीजिंग गए थे और उन्होंने वहां शी जिनपिंग की बाद में होने वाली भारत यात्रा की पृष्ठभूमि तैयार की थी। जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आये थे तो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच भाजपा और सीपीसी के बीच नियमित और बेहतर विचार विमर्श की भूमिका और कार्यक्रम भी बना था।

भगत सिंह कोश्यारी के अतिरिक्त इस दल में, अन्य सांसद तरुण विजय, भोला सिंह, कामाख्या प्रसाद तासा, हरीश द्विवेदी, कर्नाटक के एमएलए, विश्वनाथ पाटिल, विश्वेश्वर अनन्त हेगड़े, बिहार के एमएलए विनोद नारायण झा, बिहार के एमएलसी, वैद्यनाथ प्रसाद, हरियाणा के एमएलए असीम गोयल, हिमाचल प्रदेश के एमएलए, वीरेन्द्र कंवर और उत्तरप्रदेश के एमएलए सलिल कुमार बिश्नोई थे।

2019 में भी भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल चीन गया था। इकॉनोमिक टाइम्स की खबर, 27 अगस्त 2019 के अनुसार, भाजपा का एक 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चीन का दौरा किया था। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा के महासचिव अरुण सिंह ने किया था। यह यात्रा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निमंत्रण पर की गयी थी। इस यात्रा का उद्देश्य अक्टूबर में होने वाली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रस्तावित यात्रा की भूमिका भी तैयार करना था।

यह यात्रा सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के हटाने
और जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन कर के लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के निर्णय के बाद हुयी थी। छह दिन के इस भ्रमण कार्यक्रम में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीन के अधिकारियों से मिलने का कार्यक्रम तय था। इस शिष्टमंडल के सदस्य और भाजपा के विदेशी मामलों के प्रभारी तथा आरएसएस से जुड़े तरुण विजय ने कहा,
" भाजपा और सीपीसी ने आपस मे दोनो दलों के बीच बेहतर तालमेल की संभावनाओं को तलाश करने की बात कही है। हमारा पार्टी नेतृत्व यह समझता है कि यह विचार विमर्श का एक उचित अवसर है जबकि चीनी राष्ट्रपति हाल ही में भारत का दौरा करने वाले हैं। "
"The BJP and CPC have discussed ways to enable greater exchanges between both parties. Our party leadership felt this was the right time for the exchange, considering the PM is set to meet the Chinese president shortly, "
said BJP's foreign affairs department in-charge Vijay Chauthaiwale, who is part of the delegation.

शिष्टमंडल की योजना, मोदी सरकार की मुख्य योजनाओं और नीतियों, और जो उचित प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं, जैसे भ्रष्टाचार , आसान कराधान, गरीबो को उनके खाते में सीधे धन का आवंटन, आदि के बारे में विचार विमर्श करना। यात्रा के पहले यह प्रतिनिधिमंडल विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन में हमारे राजदूत विक्रम मिश्री से भी मिला था। शिष्टमंडल के एक सदस्य के अनुसार,
" पार्टी अनुशासन का पाठ समझना और चीन की आर्थिक नीतियों और विदेशनीति पर उसके नियंत्रण को समझ कर हम भारत मे उसकी नीतियों के अनुसार काम कर सकते हैं। "
यह शिष्टमंडल चीनी थिंक टैंक और विधि निर्माताओं से भी मिलेगा और
" चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक सांगठनिक ढांचा, राजनीतिक क्रिया कलाप, और लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना में उसकी भूमिका का अध्ययन करेगा। "


2009, और 2014 में दो भाजपा शिष्टमंडल के चीनी दौरे के बाद 2015 में भाजपा मुख्यालय दिल्ली में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमिटी के इंटरनेशनल डिपार्टमेंट के मंत्री, वांग जियारूई ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। 2014 में चीन गए भाजपा के शिष्टमंडल ने, जिंसमे एमपी और एमएलए थे, सीपीसी के कुछ पार्टी स्कूलों का दौरा ग्वांग झाऊ में किया था, और चीन के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा किये गए सुधारों का भी अध्ययन किया था।

लेकिन 2019 में गए इस शिष्टमंडल का उद्देश्य दोनो देशों के बीच भाजपा और सीपीसी के विकास और प्रसार पर चर्चा करना था। साथ ही, मोदी और शी जिनपिंग की सरकारों के बीच पार्टी की मुख्य योजनाओं, और नीतियों, भारत चीन के द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार की संभावनाओं तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान पर भी विचार विमर्श करना था। साथ ही, अमेरिका द्वारा चीन पर उत्पाद शुल्क लगाने के मुद्दे, बेल्ट और रोड योजनाएं, चीन से संपर्क और यूरेशिया से उसकी कनेक्टिविटी और वर्तमान परिदृश्य में भारत चीन संबंध, पब्लिक हेल्थ, परंपरागत औषधियां, नगर विकास और आवास के मुद्दों पर भी विचार विमर्श करना था।

इस प्रकार हम देखते हैं कि 2008 में कांग्रेस और सीपीसी के नेताओ से मुलाकात के बाद 2009 से 2019 तक भाजपा के नेताओ और सीपीसी के नेताओं से मुलाकात का सिलसिला बराबर चलता रहा है। कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 2008 मे हुयी मुलाकात पर अगर सरकार को लेशमात्र भी सन्देह है कि वह मुलाकात भारत विरोधी कोई कृत्य है तो सरकार कार्यवाही करने के लिये सक्षम है।

लेकिन अगर कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच कोई विचार विमर्श हुआ है तो भाजपा ने भी तीन अवसरों पर अपने शिष्टमंडल भेजें हैं, फिर उसे किस नज़र से देखा जाय। कांग्रेस का कम्युनिस्ट प्रेम समझ मे आता है क्योंकि 2008 में यूपीए की सरकार वाम मोर्चा के सहयोग से चल रही थी। आज भी कांग्रेस कम्युनिस्ट न होते हुये भी समाजवादी समाज की बात जिसे डेमोक्रेटिक सोशलिज्म कहते हैं उसकी बात करती हैं।
पर भाजपा का तो दूर दूर तक मार्क्सवाद, समाजवाद, कम्युनिज़्म आदि शब्दों और विचारधारा से कोई मेल ही नहीं है। दोनो की दार्शनिक सोच,आर्थिक नीतियां, बिल्कुल ध्रुवों पर हैं। तब यह तालमेल थोड़ा चौंकाता है और यह जिज्ञासु भाव जगा देता है कि भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी में चीन की तीन यात्राओं में क्या पक रहा था।

( विजय शंकर सिंह )

कांग्रेस की चीन में 2008 की यात्रा.
https://www.indiatoday.in/…/congress-chinese-communist-part…

भाजपा नेता चीन में 2009 में.
https://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/3998378.cms

भाजपा नेता 2014 में चीन में.
https://www.business-standard.com/…/bjp-legislators-take-le…

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के नेता भाजपा मुख्यालय में 2015.
https://www.ndtv.com/…/senior-chinese-communist-party-offic…

भाजपा नेता चीन में 2015 में.
https://m.economictimes.com/…/bjp-…/articleshow/70851381.cms
#vss

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