Monday 10 October 2016

पूर्व डीजी बीके बंसल की आत्महत्या और सीबीआई की साख पर सवाल / विजय शंकर सिंह

आतंकी हमलों और भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के खबरों के बीच एक खबर दबी रह गयी जो देश के सर्वाधिक ' प्रतिष्ठित ' और प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई से सम्बंधित है । सारे खबरनवीस इस समय लाम पर हैं और लम्बे समय तक उनके कमरबंदी में बने रहने की आशा है अतः यह प्रकरण उठा रहा हूँ । पुलिस अभिरक्षा में मौत पुलिस विभाग के लिए अत्यंत ही गंभीर आरोप है । कॉर्पोरेट मामलों के डीजी, बीके बंसल 8 लाख रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाँथ पकडे जाने के एक मामले में, अभियुक्त थे और उनसे नियमानुसार पूछ ताछ चल रही थी । बीके बंसल ने 27 सितम्बर को अपने बेटे के साथ कथित तौर पर सुसाइड कर लिया था। बंसल ने अपने सुसाइड नोट में कुछ सीबीआई अधिकारियों पर परेशान करने और प्रताड़ित तथा यातना देने के आरोप लगाए हैं। बंसल को रिश्वत मामले में 16 जुलाई को सीबीआई ने गिरफ्तार दिया था। अपने सात पेज के सुसाइड नोट में बंसल ने बताया कि किसी तरह से सीबीआई की महिला अधिकारियों ने उनकी पत्नी के साथ बदसलूकी की और उनकी पिटाई की।

ये है बीके बंसल का पूरा सात पेज का सुसाइड नोट-



मैं यह सुसाइड सीबीआई की प्रताड़ना की वजह से कर रहा हूं। 18-7-2016 की रात व 19-07-2016 की सुबह (पूरी रात) सीबीआई की लेड़ी ऑफिसर्स रेखा सांगवान, और अमृता कौर ने बहुत ही बुरी तरह से प्रताड़ित किया जो कि मेरी पत्नी ने अपनी दोस्तों और पड़ोसियों को सुसाइड से पहले बताया। मेरी पत्नी को बहुत थप्पड़ मारे, नाखून चुभोए और बहुत ही गंदी-गंदी गालिया दीं। फोन पर डीआईजी संजीव ने भी बहुत ज्यादा प्रताड़ित करने को बोला।



मेरे सामने ही 18-7-2016 दोपहर में डीआईजी संजीव गौतम ने एक लेडी ऑफिसर को कहा था कि इतना प्रताड़ित करना मां और बेटी को कि मरने लायक हो जाएं। मैंने डीआईजी से बहुत प्रार्थना की लेकिन उसने कहा कि तेरी पत्नी और बेटी को अगर जिंदा लाश नहीं बना दिया तो मैं सीबीआई का डीआईजी संजीव गौतम नहीं। तुम्हारी आने वाली पुश्तें भी संजीव गौतम के नाम से कांपेंगी सीबीआई को याद रखेगी। सीबीआई का डीआईजी महादुष्ट और महानीच है। इसने ही मेरे सामने दोनों लेडी ऑफिसर को मरणतुल्य प्रताड़ना के आदेश दिए थे। यह भी उतना ही जिम्मेदार है, जितना दोनों लेडी ऑफिसर रेखा सांगवान और अमृता कौर हैं।



इसके अलावा एक बहुत मोटे हवलदार ने भी मेरी पत्नी के साथ बहुत गंदा व्यवहार और प्रताड़ित किया था। बहुत ही गंदी गंदी गालियां मेरी पत्नी और मेरी बेटी को दीं। अगर मेरी गलती थी भी तो मेरी पत्नी और बेटी को प्रताड़ित करके सुसाइड क्यों करवाया गया। यह दो महिलाओं का मर्डर था, इसे सुसाइड नहीं कहा जा सकता। डीआईजी संजीव गौतम, दोनों लेडी ऑफिसर और मोटे हवलदार का लाय डिटेक्टर टेस्ट करवाया जाए। सब सच सामने आ जाएगा। डीआईजी ने कहा था कि मैं अमित शाह का आदमी हूं। मेरा कोई क्या बिगाड़ेगा। तेरी पत्नी और बेटी का वो हाल करेंगे कि सुनने वाले भी कांप जाएंगे।



लेडी ऑफिसर्स ने मेरी पत्नी को कहा था कि तेरे बेटे और तेरे पति के टुकड़े-टुकड़े करके कुत्तों को डालेंगे। उनका प्रताड़ित किया गया कि वो सुसाइड करने को मजूबत हो गईं। सीबीआई के डायरेक्टर को यह सब जांच करवानी चाहिए। इसलिए दोनों सुसाइड हुए। सुसाइड का पता चलने से पहले मुझे भी डीआईजी संजीव गौतम ने बहुत ही ज्यादा प्रताड़ित किया था और कहा था कि तेरी पत्नी और बेटी का वह हाल बना देंगे कि पूरा परिवार मौत मांगेगा लेकिन मौत भी नहीं मिलेगी।


आईओ प्रमोद त्यागी बहुत ही जिम्मेदार इंसान है। उन्होंने हर बार हौंसला दिया कि अब गलत नहीं होगा। जो हो गया उसे भूल जाओ। भगवान उसके और उसके परिवार को सलामत रखे। लंबी आयु दे व तरक्की दें। भगवान सबका भला करे। मैंने सुना था कि सीबीआई टफ है लेकिन इतना मालमू नहीं था कि डीआईजी संजीव गौतम, दो लेडी ऑफिसर व मोटे हवलदवार जैसा मारने वाला, मर्डर जैसा, प्रताड़ित भी सीबीआई करती है। ये मेरी पत्नी और बेटी ने सुसाइड नहीं किया था, बल्कि यह सीबीआई द्वारा हत्या है।
मैं मेरी पत्नी और बेटी का सीबीआई द्वारा (सुसाइड करवाना) मर्डर करने से बहुत दुखी हूं। और जीने की इच्छा समाप्त करके जा रहा हूं।
अलविदा
भारत माता की जय हो।

यह सुसाइड नोट सीबीआई की कार्य प्रणाली की गंभीर कमियों को भी उजागर करता है . अदालत को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए . यह किसी सामान्य थाने या सब इंस्पेक्टर का मामला नहीं है . यह उस जांच एजेंसी का मामला है जिसके पास जांचें तब जाती हैं जब कोई और विकल्प नहीं सूझता है . यह सीबीआई की साख का मामला है . पर यह अलग बात है कि सीबीआई की साख की धज्जियां बुरी तरह से अदालत में उड़ चुकी है . इसे सार्वजनिक रूप से तोता कहा गया , और उसके निष्कर्ष बहुधा बाहरी दबाओं से प्रभावित माने गए .
बंसल ट्रैप किये गए . इसके लिए कानून में सज़ा का प्राविधान है . वह अपने किये को भोग भी रहे थे . पर जो सुसाइड नोट सोशल मिडिया पर छा रहा है उसमे एक डीआईजी खुद को अमित शाह का आदमी बता रहा है । धन्य हैं वह सज्जन । इतनी बड़ी और पावरफुल नौकरी  और अभिमान एक अभियुक्त के आदमी होने पर ! यह भी नौकरशाही की ही गिरावट है । सरकार इतनी सुख सुविधाएं , वेतन भत्ते, देती है, अधिकार कानून ने दिए हैं और आह्लाद इस बात का है कि अमित शाह के आदमी है । यह बयान अमित शाह की प्रशंसा में है या उन्हें निपटाने के लिए जुमला यह तो वही जाने । पर एक संस्था के रूप में सीबीआई को अपनी क्षवि साफ़ रखनी होगी ।
( विजय शंकर सिंह )

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