मीडिया में छपी हुयी खबरों के अनुसार, और नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार, एक ओर जहां चीनी विदेश मंत्रालय लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ शांति और स्थिरता कायम करने का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर पीपल्स लिबरेशन आर्मी और एयरफोर्स लगातार अपनी तैयारी बढ़ा रहे हैं। मिसाइलों के साथ-साथ चीन की एयरफोर्स ने काशगर एयरपोर्ट पर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी के बमवर्षक विमान H-6 को तैनात किया है। ओपन इंटेलिजेंस सोर्स डेटरेस्फा ( Detresfa ) की सैटलाइट इमेज में दिखाई दिया है कि एयरबेस पर रणनीतिक बॉम्बर और दूसरे असेट भी तैनात हैं।
लद्दाख से यहां की दूरी को देखकर आशंका जताई गई है कि भारत से तनाव के चलते तैनाती की गई है। सैटलाइट तस्वीरों में दिखाया गया है कि इस बेस पर 6 शियान H-6 बॉम्बर हैं जिनमें से दो - दो पेलोड के साथ हैं। इनके अलावा 12 शियान Jh-7 फाइटर बॉम्बर हैं जिनमें से दो पर पेलोड हैं। वहीं, 4 शेनयान्ग J11/16 फाइटर प्लेन भी हैं जिनकी रेंज 3530 किलोमीटर है। इसके साथ ही चीन ने KD-63 लैंड अटैक क्रूज मिसाइल को भी यहां तैनात किया है। H-6 बॉम्बर से दागे जाने वाली इन मिसाइलों की रेंज करीब 200 किलोमीटर है।
चीन न तो गलवां घाटी से पूरी तरह हटा है और न ही, उसके वहां से हटने की अभी तक कोई उम्मीद ही दिख रही है। अभी दोनो देशों की कमांडर स्तर की बात चल भी रही है। इसी बीच वह अपनी स्थिति पैंगोंग झील के पास भी मज़बूत कर रहा है। दौलतबेग ओल्डी के पास उसने अच्छा खासा सैन्य जमावड़ा कर रखा है। फिलहाल चीन का इरादा उस इलाके से हटने का नहीं दिख रहा है और कमांडर स्तर की बातचीत केवल हमारा समय खराब करने और हमें बहकावे में रखने के लिये है। यह बात अब धीरे धीरे स्पष्ट होने लगी है।
19 मई 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सर्वदलीय बैठक में दिया गया, न कोई घुसा था, न कोई घुसा वाला बयान, अत्यंत हास्यास्पद बयान था और यह अकेला बयान यह बताने के लिये पर्याप्त है कि चीनी घुसपैठ को हम कितनी गम्भीरता से लेते हैं। चाहे डोकलां में हुयी घुसपैठ हो, या 2013 में चीन द्वारा हमारी सीमा में घुस कर तंबू गाड़ने और फिर हटा लेने की घुसपैठ हो, भारत का रवैया चीनी घुसपैठ के प्रति नरम ही रहता है।
रक्षामंत्री कह रहे है कि, चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की है, विदेशमंत्री ने कहा कि, चीन ने अंदर घुस कर पक्के निर्माण किये हैं, दुनिया भर के अखबार कह रहे हैं कि चीन ने अच्छा खासा जमावड़ा कर रखा है, सैटेलाइट इमेजेस पल पल की खबरें दे रही हैं कि चीन की पीएलए, हमारी सीमा में कितना अंदर तक और कितनी संख्या में घुसपैठ कर चुकी हैं और अब भी कर रही हैं, पर प्रधानमंत्री निर्विकार भाव से कह दे रहे हैं कि, न कोई घुसा था, न कोई घुसा है।
बहरहाल, अब तक इस मसले पर चुप रही सेना की ओर से पहली बार एक आधिकारिक बयान आया है जो बताता है कि सरकार ने किस तरह से चीन के मुद्दे पर जनता से झूठ बोला है। नार्दन एरिया कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के.जोशी ने कहा है कि “सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बहाल करने की पूरी कोशिश करेगी।” (continue all efforts to restore status quo ante along the LAC”) यानी प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में झूठ बोला था और देश को गुमराह किया है। देश की सुरक्षा के मामलों में ऐसे झूठ का पुरजोर विरोध होना चाहिए, यह कोई सामान्य मामला नहीं है।
ले.जनरल जोशी ने ‘status quo ante’ कहा है जिसका अर्थ होता है यूद्धपूर्व स्थिति। यह साफ़ बताता है कि चीनी सेना भारत भूमि में घुसी हुई है और उसे वापस भेजना अभी तक संभव नहीं हुआ है। द टेलीग्राफ़ में छपी ख़बर के मुताबिक तमाम वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि सैनिकों की वापसी का मसला पूरी तरह सैन्य कमांडरों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। बल्कि इसे राजनीतिक हस्तक्षेप द्वारा उच्च स्तर पर हल किया जाना चाहिए। राजनीतिक नेतृत्व को यथास्थिति की पुनर्बहाली के लिए कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाहिए।
सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने अपने शिनजियांग प्रांत के कोर्ला सैन्य ठिकाने पर DF-26/21 मिसाइलें तैनात की हैं। तस्वीरों में ये मिसाइलें बिल्कुल साफ नजर आ रही हैं। इस मिसाइल की मारक क्षमता करीब 4 हजार किलोमीटर तक है और इसकी जद में भारत के ज्यादातर शहर आते हैं। ओपन इंटेलिजेंस सोर्स Detresfa की ओर से जारी ये सैटलाइट तस्वीरें इस साल जून महीने में ली गई हैं। फेडरेशन ऑफ अमेरिकी साइंटिस्ट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कुर्ला बेस पर पहली मिसाइल अप्रैल 2019 और दूसरी मिसाइल अगस्त 2019 में तैनात की गई थी। चीनी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक DF-26 मिसाइलों से लैस चीनी सेना की 646 वीं ब्रिगेड को पहली बार अप्रैल 2018 में तैनात करने का ऐलान किया गया था। इसके बाद जनवरी 2019 में चीनी मीडिया ने घोषणा की थी कि DF-26 मिसाइलों के साथ चीन के पश्चिमोत्तर पठारी इलाके (भारत से सटे) में युद्धाभ्यास किया गया है।
अमेरिकी थिंकटैंक के अनुसार,
" भारत के मुकाबले चीन के परमाणु हथियारों की संख्या काफी अधिक है। चीन जल्द ही फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे अधिक परमाणु हथियारों वाला देश बन जाएगा। चीन के परमाणु हथियारों की संख्या पिछले 15 सालों में दोगुनी हो गई है। चीन अगले एक दशक में इन परमाणु हथियारों की संख्या को काफी बढ़ाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के बढ़ते परमाणु हथियारों से उसके पड़ोसी देशों की बेचैनी बढ़ गई है। "
परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिप्री की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि
" चीन ने ही पिछले साल अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में इजाफा किया है। सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 150 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार हैं। चीन ने पिछले एक साल में 30 परमाणु हथियार बढ़ाए हैं, वहीं भारत ने 10 एटम बम बनाये हैं। "
उधर पाकिस्तान ने एक नया नक्शा जारी कर के जम्मूकश्मीर, लदाख, और जूनागढ़ को अपने नक्शे में दिखा दिया है जबकि पाकिस्तान के नक्शे पर तो कभी विवाद रहा ही नहीं है। वह नक्शा तो 1947 के इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट से ही तय हो गया था। नेपाल के नक्शेबाज़ी के बाद अब पाकिस्तान की यह नयी नक्शेबाज़ी सामने आयी है। यह वही पाकिस्तान है जिसका नक्शा और हुलिया दोनो ही 1971 में बिगड़ गया था। उसे तोड़ कर दो भागों में बांट दिया गया था। चीन तो अरुणांचल को अपना बताता ही है। यह जो नित नए नए तमाशे हो रहे हैं, अगर इनका निदान गंभीरता से नहीं सोचा गया तो, उन्हें हल्के में लेना एक दिन भारी पड़ जायेगा।
फिलहाल तो सबसे महत्वपूर्ण है कि चीन को उत्तरी सीमा में घुसपैठ से हटाया जाए। घुसपैठ पूर्व की स्थिति बहाल की जाय। फिंगर 8 तक हमारी गश्त पहले की तरह बरकरार रहे। एलएसी पर जो समझौते हैं उन्हें बरकरार रखा जाय। अगर सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत से बात नहीं बन रही हो तो राजनयिक स्तर की बात शुरू की जाय। हो सकता है यह सब हो भी रहा हो, पर अगर नहीं हो रहा हो तो इसका समाधान ढूंढा जाय । अगर इन घुसपैठ से जुड़ी समस्याओं का हल अभी नहीं हुआ तो, अक्टूबर में चीन छोटा मोटा युद्ध भी छेड़ सकता है। अभी जैसी स्थिति है, उसे देखते हुए, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। चीन, सीमा पर अपनी सेना और संसाधनों का जमावड़ा लगातार कर रहा है।
पाकिस्तान की नक्शेबाज़ी, मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद है। यह वह भी जानता है और दुनिया भी। पाकिस्तान और नेपाल दोनो ही देशों की नक्शेबाज़ी, चीन के इशारे पर भारत को मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव में लेने के लिये की जा रही है। इससे अधिक यह नक्शेबाज़ी, फिलहाल और कुछ नही है।
लेकिन यह सारी नक्शेबाज़ी अभी ही क्यों हो रही है ? पाकिस्तान के साथ तो हमारा झगड़ा और विवाद 1948 से ही है। चार चार युद्ध हो चुके हैं, पर पाकिस्तान ने कभी अपने नक्शे में जम्मूकश्मीर, लद्दाख और जूनागढ़ को नहीं दिखाया। पाक अधिकृत कश्मीर, ज़रूर पाकिस्तान के नक्शे में दिखाया जाता रहता है पर वह भी पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, पाकिस्तान का भाग नहीं है। वह भारत का वह हिस्सा है जो अनधिकृत रूप से पाकिस्तान के कब्जे में हैं।
फिर आज यह स्थिति क्यों और कैसे आ रही है ? यह चीन द्वारा भारत को घेरने की नयी चाल है या, दूसरे शीत युद्ध के दौरान हो रही अंतरराष्ट्रीय करतब है या भारत को अमेरिका की तरफ जाने की कोई खीज है या हमारा वर्तमान नेतृत्व चीन, नेपाल और पाकिस्तान को कमज़ोर नज़र आ रहा है या हमारी स्थिति दक्षिण एशिया या सार्क समूह में वैसी नहीं रह गयी जैसी थी या होनी चाहिए, या भारत मे उसके पड़ोसियों से अलग थलग कर देने की चीनी साज़िश है ? यह है क्या ?
चीन की नीति और ध्येय स्पष्ट है और वह नीति है, विस्तारवाद की, दुनिया मे एक महाशक्ति बनने की, भारत को अलग थलग कर के हथेली की पांच उंगलियों पर भी अपना अधिकार जमाने की। पर हमारी नीति क्या है और हमारा चीनी घुसपैठ के प्रति स्टैंड क्या है ? वही न घुसा था और न घुसा है वाला या कुछ और ? और हमारी नीति और ध्येय क्या है ?
( विजय शंकर सिंह )
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