2013 से 2019 तक भारत के पासपोर्ट की रैकिंग 73 से 82 पर आ गयी। दुनियाभर में भारत के पासपोर्ट की रैकिंग 2014 से लगातार गिरती ही जा रही है। इस बार 81 से 82 हो गई। 2015 से 2017 के बीच भारत के पासपोर्ट की रैकिंग तेज़ी से गिरी है।
" आज भारत के पासपोर्ट की इज़्ज़त, उसकी ताक़त बहुत बढ़ गई है। जिसके पास हिन्दुस्तान का पासपोर्ट होता है, दुनिया उसके सामने बड़े गर्व के साथ देखती है। "
यह बयान प्रधानमंत्री का है जो उन्होंने 2 अक्तूबर को अहमदाबाद पहुंच कर बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच दिया था। जबकि पासपोर्ट की रैंकिंग गिर गयी है।
हेनले एंड पार्टनर्स, जो ऐसे सर्वेक्षण करने वाली कम्पनी है की ग्लोबल पासपोर्ट इडेक्स की एक हाल ही में रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि हमारे पासपोर्ट की रैंकिंग गिरी है । पासपोर्ट रैंकिंग आंकने का आधार यह है कि एक देश का पासपोर्ट लेकर आपको कितने देशों में बिना पहले से वीज़ा लिए वहां पहुंच कर वीज़ा ऑन अराइवल यानी एयरपोर्ट या देश मे प्रवेश करते ही अनुमति पा सकते हैं।
2013 में, जीपीआई रैंकिंग में भारत 74 वें नंबर पर था। 2014 में भारत का स्थान 76 हुआ । 2015 में यह 88 हो गया। 2018 में रैंकिंग में कुछ सुधार हुआ औऱ यह बढ कर 81 वें नंबर पर आ गया। लेकिन 2019 में एक पायदान नीचे खिसक कर 82 पर आ गया। यह तब हुआ है जब भारत के वीज़ा से आप 2014 में 51 की जगह 59 मुल्कों में पहले से वीज़ा लिए बग़ैर जा सकते हैं। सिर्फ 8 देशों ने भारत को यह रियायत दी है। भारत को वीज़ा ऑन अराइवल की रियायत मात्र 8 देशों ने दी है।
© विजय शंकर सिंह
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