आज राफेल की पूजा हो गयी। यह पूजा फ्रांस के एक एयरबेस पर सम्पन्न हुई। यह अलग बात है कि पूजा आज हुयी है और राफेल मिलना शुरू होगा अगले साल। यह विमान दुनियाभर के उत्कृष्ट विमानों में अपना स्थान रखता है। इसकी कीमत, इसके ऑफसेट पार्टनर, कुछ महत्वपूर्ण शर्तो में संशोधन को लेकर विवाद है, पर विमान की गुणवत्ता मे संदेह नहीं है। आज रक्षामंत्री जी ने राफेल का पूजन किया। पूजन परंपरागत रूप से हुआ। नींबू भी नज़र उतारने के लिये पहियों के पास रखा गया था। दुनिया की आधुनिकतम तकनीक से बने राफेल को भी एक अदद नींबू की ज़रूरत पड़ती है, यह ज्ञान भी दुनिया को आज मिला।
पूजा तो आस्था से जुड़ी है। हम सब तो जब परीक्षा हॉल में इम्तहान के लिये प्रश्नपत्र लेते थे, तो उसे पहले माथे से छूआते थे। गणित के पर्चे के साथ तो, यह मैं भी करता था। पर माथे से छुआने के बाद भी नम्बर अच्छे नहीं आते थे। काम नहीं आया कभी माथे से छुआना। काम तो पढ़ाई ही आयी। पर मन ही नहीं लगता था, गणित पढ़ने में। आज तक यह समझ नहीं पाया कि यह एक्स्ट्रा 2ab क्या बला है। इस कारण, गणित में कमज़ोर था और अब भी हूँ।
पूजा पाठ के बारे में बनारस के एक विद्वान पंडित जी से पहले कभी बात हो रही थी। यह नौकरी में आने के पहले की बात है। उनसे मैंने यह पूछा कि,
' पंडित जी,किसी नयी वस्तु के उपयोग के पहले पूजा न किया जाय तो क्या आफत आ जायेगी ? '
पंडित जी विद्वान थे और मुझे बहुत मानते भी थे। कहा,
" कोई आफत नहीं आएगी। आफत आनी भी होगी तो पूजा से नहीं रुक पाएगी। "
" फिर यह पूजा का विधान क्यो है ? ' यह सवाल मेरा था।
" पूजा तो मन को संतुष्ट और एक आधार देने के लिये की जाती है कि अब सब शुभ शुभ होगा। मन के डर और संशय का वह शमन करती है। अगर मन इतना मजबूत है कि कोई भय या संशय है ही नहीं तो, कोई पूजा करे या न करे कोई फर्क नहीं पड़ता है। सबकुछ मन से संचालित है। उसी को, अवलम्ब या आधार देने के लिये पूजा का विधान मनुष्य ने ढूंढ निकाला है। जब पूजा की ज़रूरत हुयी, तो उसकी विधियां बनी। जब विधियां बनी तो कर्मकांड बना। फिर तो यह जटिलता आती गयी। "
बात जब परीक्षा की चली तो एक और रोचक प्रसंग पढ़ लें। यह प्रसंग मुझे नहीं बल्कि योगाचार्य परमहंस योगानन्द की है। परमहंस योगानन्द एक प्रसिद्ध योगी थे और देश विदेश में उनके बहुत से शिष्य हैं। वे पश्चिम बंगाल के थे। उनके पिता एक रेलवे कर्मचारी थे। योगानन्द जी ने अपनी आत्मकथा ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी लिखी है। कहते हैं यह दुनिया मे बेस्ट सेलर कही जाने वाली पुस्तकों में अपना स्थान रखती है। उसका हिन्दी अनुवाद योगी कथामृत है। पुस्तक में अपनी परीक्षा और परीक्षा कालीन भक्ति का उल्लेख करते हुये योगानन्द जी कहते हैं, ईश्वर सब कुछ कर सकता है, पर बिना पढ़े इम्तहान में पास नहीं करा सकता ! फेल हो जाने का संशय और भय भी हमे परीक्षा काल के टोटके और भक्ति की ओर ले जाता है।
मैं जिन पंडित जी की बात कर रहा हूँ, वह डॉ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन के विभागाध्यक्ष थे। अब वे हैं भी या नहीं यह मुझे नहीं पता। यह प्रसंग 1976 का है। जब मैं संस्कृत विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में नियमित जाता था, क्योंकि मेरा घर उसके नज़दीक पड़ता है। फिर भी राफेल आये, हमे फले और हमारी वायुसेना मजबूत हो और देश बाहरी दुश्मनों से सुरक्षित रहे, यही शुभकामनाएं हैं। लंबे समय से हमारी वायुसेना अच्छे और युद्धक विमान बेड़े की कमी से जूझ भी रही थी, पर अब यह विपन्नता कम हुयी है।
पर नींबू का रखना,परंपरागत कर्मकांड का अंग है या नहीं यह मुझे नहीं पता है। देहात में इसे टोटका कहते हैं। यह संभवतः कोई आदिम प्रथा होगी नज़र प्रतिरोध के लिये, जो अब तक चली आ रही है। लेकिन हमारे तार्किक वांग्मय में नींबू मिर्ची के प्रयोग की बात कहीं नहीं है। कर्मकांड करते हुये भी हम खुद को वैज्ञानिक सोच का ही प्रमाणित करना चाहते हैं। अतार्किक और पोंगापंथी हरकते करना चाहते हुये भी पोंगापंथी होते दिखना नहीं चाहते हैं। इसीलिए कर्मकांड के विभिन्न प्रक्रिया को हम तुरन्त वैज्ञानिक आधार देने लगते हैं, और स्वतः गर्व से भर जाते हैं जो हम कह रहे हैं वह विधि सम्मत है या नहीं। नींबू, या माथे का काजल या दिशाशूल के प्रतिबंधित दिन की यात्राएं , किस कारण और विधि से हमे बुरी नज़र, या दुर्घटनाओं से बचाते हैं इनका वैज्ञानिक आधार आज तक नही मिला है पर यह मन मे पैठा ज़रूर है ।
यह वही भय है जो पंडित जी ऊपर कह चुके हैं। भय का जन्म ही संशय से होता है। और संशय विनाश का कारण है। फिर भी बात जब आस्था और विश्वास की हो तो, उस पर कोई बहस न तो काम आती है और न ही कोई उस बहस को पसंद करता है। राफेल पूजा के पहले भी यही आस्था भाव होगा कि जो हम खरीद रहे हैं, वह हमारे लिये शुभ हो। यह भी अच्छा है कि राफेल तो हमे बचाएगा, पर राफेल को कौन बचाएगा ? यही नींबू । अरबों के राफेल के पहियों के पास एक अदद नींबू भी कितना महत्वपूर्ण और भरोसेमंद हो सकता है, यह आज राफेल पूजन से प्रमाणित हुआ।
© विजय शंकर सिंह
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