भाजपा जीत गयी। सभी मित्रों को जो भाजपा के समर्थक हैं उन्हें बधाई । शिखर पर आप हैं। भारत भूभाग को आप ने अपने रंग से रंग दिया है। खुशी में आप के हम भी शामिल हैं। चुनाव कोई युद्ध नहीँ होता है । यह बात अलग है कि युद्ध की तरह ही यहां हर बात जायज़ मान ली जाती है। पर आप अब जीत के बाद करेंगे क्या ? जश्न तो एक दिन एक हफ्ता या महीने भर । फिर । फिर तो उत्सव भी उबा देता है। जीत तो आप 22 साल से रहे हैं गुजरात में। अब 5 साल और जोड़ लें। 27 साल तक निर्बाध राज करने के बाद आप क्या छोड़ेंगे गुजरात मे, यह महत्वपूर्ण हैं।
2014 में भी आप जीते थे। अब तक साढ़े तीन साल बीत भी गये है। आप ने अपने संकल्पपत्र के कितने वादे पूरे किये और कितने अभी पाइपलाइन में है यह समीक्षा आप खुद ही करें । यह जीत आप को आत्म चिंतन आत्म मन्थन आत्मावलोकन के लिये भी थोड़ा बाध्य करे तो अच्छा है। 2019 भी आप जीतने के उद्देश्य से ही लड़ेंगे। आप को अभी से शुभकामना दे दूं । पर इतनी विजय जो आप को भारत लगातार दे रहा है उसका उसे प्रतिफल क्या देंगे यह भी आप को सोचना होगा ।
चुनाव कोई वर्ल्ड कप नहीं है कि जीत गए तो अगले वर्ल्ड कप की प्रैक्टिस में लग गए। चुनाव का एक उद्देश्य है सरकार बनाना । सरकार का भी एक उद्देश्य होता है। वह है जनता को बेहतर शासन देना और जिन वादों को उनके बीच जा कर किया गया है उन्हें पूरा करना । ज़ाहिर है जब यह अपेक्षाएं पूरी नहीं होंगी तो आलोचना भी होगी। पर जब आप आलोचना से बिदकते हैं तो उससे मुक्ति का एक ही उपाय है कि वायदे पूरे करें । जो न कर सकें उनका कारण बताएं । अगर चुनाव जीत कर सरकार बनाने के बाद भी आप के पास अपने वायदे या संकल्पपत्र को पूरा करने का कोई इरादा या इच्छा शक्ति नहीं है तो इस जीत का कोई मतलब नहीं है ।
भारतीय लोकतंत्र 70 साल से अधिक का हो गया है। यह परिपक्व भी हो रहा है। लोकतांत्रिक मूल्यों पर यदा कदा होने वाले आघात से भी यह अदम्य जिजीविषा के साथ कभी कभी उबरा भी है। पर लोगों की इन लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था बनी रहे, लोगों को साफ सुथरा प्रशासन मिले, उनका जीवन स्तर सुधरे यह सबसे ज़रूरी है। और यही तो वादा है राजनीतिक दलों का । आप का भी यही वादा है । तो अब उम्मीद की जाय कि वे वायदे अब आप पूरे करेंगे ?
दिल रख दिया है सामने ला कर खुलूस से,
अब इसके बाद काम तुम्हारी नज़र का है !!
© विजय शंकर सिंह
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