कर्नाटक की #पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या आज 5 सितंबर को रात 8 बजे बेंगलुरु स्थित उनके घर मे गोली मार कर, कर दी गयी । वे लंकेश पत्रिके की संपादक थीं। कन्नड़ लेखक कलबुर्गी के बाद यह दूसरी हत्या है जिसका मोटिव आज़ाद आवाज़ और मुक्त लेखन को खामोश करना है । इस कायरतापूर्ण हत्या की निंदा की जाती है । धर्म और आस्था के नाम पर होने वाली हर हत्या आतंकवाद है । यह प्रवित्ति महामारी की तरह फैलती है और फिर लाइलाज हो जाती है ।
The Hindu अखबार के अनुसार -
" Senior journalist and activist Gauri Lankesh was shot dead at her house in Rajarajeshwari Nagar in Bengaluru late on September 5. City Police Commissioner T. Suneel Kumar confirmed to The Hindu that she was shot dead."
Police sources said Ms. Lankesh collapsed at the entrance of her house after she was shot at by three assailants at around 8 p.m.
इस हत्या पर गिरीश मालवीय की यह फेसबुक पोस्ट पढ़ने लायक है ।
" आज शाम कर्नाटक की वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या कर दी गयी है , मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाम करीब साढ़े छह बजे अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक हमलावरों ने उनके घर के दरवाजे पर दस्तक दी और जैसे ही उन्होंने अपने घर का दरवाजा खोला तो अपराधियों ने उनको गोली मार दी
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश भाजपा पर एक आर्टिकल लिखा था।जिसके बाद कर्नाटक के धारवाड़ जिले के सांसद प्रह्लाद जोशी और भारतीय जनता पार्टी के नेता उमेश दुशी ने मानहानि का मामला दर्ज करा दिया था।
मानहानि के इन दोनो मामलों में गौरी को अदालत ने छ महीने की सजा और दस हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया था लेकिन अदालत ने गौरी लंकेश को उच्च अदालत में अपील करने की अनुमति देते हुए जमानत भी दे दी थी "
यह भी एक अजीब बात है कि, हम रामरहीम, रामपाल और आसाराम जैसों के सामने सर झुकाते हैं और दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी और लंकेश जैसों की हत्या करते है, और खुद को उस महान संस्कृति का वाहक मानते हैं जिसके मूल में ही वाद, विवाद और संवाद के बीज विद्यमान है । जिसका सारा दर्शन ही सहमति और असहमति के बीच ही निखरता है । तर्कशून्यता, विचार धुंधता और असहमति का भय तथा खीज हिंसा को जन्म देती है ।
मेरी किसी से भी घनघोर असहमति हो सकती है और है भी । किसी की भी सोच और उसकी विचारधारा से मेरे विचार बिल्कुल जुदा हो सकते हैं और हैं भी। हर किसी को अपने तर्क और बातें अभिव्यक्त करने का उतना ही अधिकार है जितना देश के किसी भी नागरिक को है । घनघोर असहमति, विवाद के बावजूद भी मैं स्वप्न में भी नहीं चाहूंगा कि मेरे विरोधी विचार रखने वाले या मुझसे असहमति रखने वालों की हत्या हो। क्यों कि हत्या न एक जघन्य अपराध और देश के कानून के खिलाफ है बल्कि यह मनुष्य की उस मूल भावना के खिलाफ है जो हमे #मनुर्भव की ओर ले जाती हैं । इस तरह की होने वाली हर कायरतापूर्ण हत्या की निंदा कीजिये और उसके विरोध में खड़े होइये । हत्या कोई भी हो उसकी सराहना नहीं की जानी चाहिये । हत्या का समर्थन करना और उसे जायज़ ठहराना खुद में ही एक कायरतापूर्ण कृत्य है । अपराध और अपराधी सच मे वास्तविक रूप से सर्व निरपेक्ष होते हैं । वे कभी भी किसी को दबोच सकते हैं । धर्म के उन्माद और तद्जन्य हिंसा, अराजकता और बर्बरता का जो नज़ारा हम सीरिया, इराक़, अफगानिस्तान और बर्मा ( म्यामार ) में देख रहे हैं, उस पागलपन से यह महान धर्म और देश बचा रहे यह सबसे अधिक ज़रूरी है । अगर हम सोचते हैं कि अपने वातानुकूलित ख्वाबगाह में हम सब सुरक्षित और हर बला से महफूज हैं तो यह हमारा भ्रम है । गुंडे पालने वालों को मैंने उन्ही गुंडों के हाँथ मरते और बरबाद होते भी देखा है । यह मेरा प्रोफेशनल अनुभव है ।
कर्नाटक के #DGP का बयान आया है कि गौरी ने कभी भी सुरक्षा की मांग या हत्या की आशंका नहीं व्यक्त की थी। लेकिन यह हत्या #बेंगलुरु_पुलिस के लिये एक चुनौती है उसे हत्यारो को जल्द ही पकड़ना होगा और उन को भी जो इस हत्या के षडयंत्र में शामिल हैं ।
© विजय शंकर सिंह
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