वामपंथ से भय और घृणा है तो उन समस्याओं का निदान कीजिये जिनसे वामपंथ पनपता है । लेकिन जब यह धारणा बन जाएगी कि सारी समस्या दैवी हैं और उनका निदान भी दैव ही कर सकते हैं तो विरोध और प्रतिरोध को आप रोक नहीं सकेंगे । यह हो सकता है रास्ता बदल कर कहीं और से निकल जाएं । वामपंथ कोई वैचारिक पंथ का नाम ही नहीं है । इस प्रकार का कोई भी पन्थ या राजनीतिक विचारधारा उद्गमित ही नहीं हुयी । सत्ता का विरोध ही वामपंथ है । फ्रांस की क्रांति के बाद लोकतांत्रिक सत्ता के सदन में विरोधी पक्ष को कभी जो स्थान आवंटित हुआ था वह अध्यक्ष के आसन के बायीं तरफ था । जब सत्ता के विरोध का स्वर वाम दिशा से ही उठना शुरू हो गया तो विरोध और बाम एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए । फिर प्रगतिवादी विचारों का विकास हुआ और सामन्तवाद के बाद पूंजीवाद का बर्बर विकास हुआ तो जनवाद और समाजवादी ताक़तों के निरन्तर विरोध के कारण वाम शब्द समाजवाद या साम्यवाद के लिये रूढ़ हो गया । आज कुछ मित्र जो वाम शब्द का अर्थ और इसकी विकास यात्रा भी नहीं जानते इस शब्द को अपशब्द के रूप में प्रयोग कर के आनंदित होते हैं । यह दोषं उनका नहीं है उन्हें जो अफीम चटायी गयी है या चटायी जा रही है उसमें जनकल्याण की कोई बात ही नहीं है । जनकल्याण से मेरा तात्पर्य सभी को जीने के लिये मूलभूत सुविधाएं मिले और अमीर गरीब का अंतर मिटे और एक ऐसा समाज बने जिसमे सर्वे भवन्तु सुखिनः का तत्व हो ।
वाम से न बिदकिये न भड़किये और न भड़भडाइये । सरकार आप की है । मज़बूत सरकार है । आप के ही शब्दों में कहूँ तो यूनेस्को के अनुसार सबसे उत्तम पीएम की सरकार है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मान रही है । बस शासन जम कर कीजिये, प्रशासन सुधारिये, लोगों की आर्थिक दशा सुधरे, लोग खुद ही वाम को भूल जाएंगे और विरोध खत्म हो जाएगा । लेकिन ऐसा करना बहुत कठिन ही नहीं असम्भव भी है, यह आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूँ । बस अंतर यह है कि मैं खुल कर कह देता हूँ , और आप चुप हैं और हस्तिनापुर से बंधे है ।
© विजय शंकर सिंह
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