ग़ालिब - 8.
अपनी हस्ती ही से हो, जो कुछ हो
आगही गर नहीं, गफलत ही सही !!
आगही - ज्ञान, जानकारी, सूचना, परिचय.
गफलत - भूल , असावधानी, आलस्य.
Apnee hastee hee se ho, jo kuchh ho
Aagahee gar naheen, gaflat hee sahee !!
-Ghalib.
जो कुछ होना सम्भव है, वह अपने अस्तित्व ही से सम्भव है. यदि मनुष्य को चेतना उपलब्ध नहीं है, तब भी कोई बात नहीं इस से विशेष अंतर नहीं पड़ता है.
ग़ालिब अपनी विपन्नता और बदनामी के बावजूद भी बेहद स्वाभिमानी और खुद पर भरोसा रखने वाले शक्श थे. उन्हें लगता था, कि संसार में जो कुछ भी सम्भव है, अपनी हस्ती, अस्तित्व या बूते से ही सम्भव है. उसके पास जो भी बुद्धि और विवेक या सामर्थ्य है, उसी से जो कर सकता है तो करे.
( विजय शंकर सिंह )
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