Wednesday 18 March 2020

सरकार का संकट और सुप्रीम कोर्ट में जिरह / विजय शंकर सिंह

कोर्ट रूम में जिरह
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सियासी उठापटक पर कांग्रेस की दलील देते हुए एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा, 
प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस ने उसी दिन विश्वास मत हासिल कर लिया था। बहुमत के साथ 18 महीने सरकार चलाई। भाजपा बलपूर्वक सरकार को अस्थिर कर लोकतंत्र मूल्यों को खत्म करना चाहती है। उसने 16 विधायकों को अवैध हिरासत में रखा है। 

इस पर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा- 
ये झूठ है, कोई हिरासत में नहीं है।

दवे ने कहा- हमारे विधायकों से जबरन इस्तीफे लिखवाए गए।होली के दिनभाजपा नेताओं ने जाकर 19 बागी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए थे। ये बड़ी साजिश है। इसकी जांच जरूरी है। बागी विधायकों को चार्टर्ड विमानों से बाहर ले जाकर भाजपा के द्वारा बुक किए रिजॉर्ट में रखा है।

फ्लोर टेस्ट पर कांग्रेस की दलील
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फ्लोर टेस्ट कराने का निर्णय लेने में स्पीकर सबसेऊपर हैं। राज्यपाल उन पर हावी हो रहे हैं। रातोंरातमुख्यमंत्री और स्पीकर को फ्लोर टेस्ट का आदेश देना राज्यपाल का काम नहीं है। राज्यपाल को बहुमत परीक्षणका आदेश नहीं देना चाहिए था। जो विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, चुनाव में जनता के बीच जाएं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा- वही तो कर रहे हैं। उन्होंने सदस्यता छोड़ दी, फिर चुनाव चाहते हैं।दवे ने कहा- खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट को टाल दिया जाए। अभी कोई आसमान नहीं गिर पड़ा है कि कमलनाथ सरकार को तुरंत हटाकर शिवराज सिंह को गद्दी पर बैठा दिया जाए। कोर्ट को बाद में विस्तार से मामला सुनना चाहिए।

फ्लोर टेस्ट पर भाजपा की दलील
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रोहतगी ने कांग्रेस की मांग काविरोध करते हुए कहा- हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं। कांग्रेस 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है। किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है। सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं। जिसके पास बहुमत नहीं है, वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता। यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है। 

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- 
विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना जरूरी है।

लंच ब्रेक के बाद बागी विधायकों पर कोर्ट की टिप्पणी... 
बेंच ने कहा- 
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हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते। 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता। अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे। उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने वकीलों से सलाह मांगी कि कैसे विधानसभा में बेरोकटोक आने-जाने और किसी एक का चयन सुनिश्चित हो।

बागी विधायकों पर भाजपा की दलील
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रोहतगी ने कहा- 
हम 16 बागी विधायकों को जज के चैम्बर में पेश कर सकते हैं। 

कोर्ट ने कहा- 
इसकी जरूरत नहीं है। 

रोहतगी ने कहा- 
आप विकल्प के तौर पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को गुरुवार को विधायकों के पास भेजकर वीडियो रिकॉर्डिंग करा सकते हैं।
कांग्रेस चाहती है कि विधायक भोपाल आएं ताकि उन्हें प्रभावित कर खरीद-फरोख्त की जा सके। विधायक उनसे मिलना ही नहीं चाहते तो कांग्रेस क्यों इस पर जोर दे रही है।

बागी विधायकोंकी दलील
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उनके वकील ने कहा- 
विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया है कि वह अपनी इच्छा से बेंगलुरु में हैं। हम सबूत के तौर पर कोर्ट में सीडी पेश करने के लिए तैयार हैं। इस्तीफा देना उनका संवैधानिक अधिकार है, हमने वैचारिक मतभेद के चलते इस्तीफे दिए। इन्हें मंजूर करना स्पीकर का कर्तव्य है। वह फैसले को लंबे वक्त तक लटका नहीं सकते हैं। क्या स्पीकर इसे लेकर सेलेक्टिव हो सकते हैं, कि कुछ पर फैसला लेंगे, कुछ इस्तीफे पर नहीं। जब विधायक भोपाल आकर कांग्रेस से मिलना ही नहीं चाहते तो हमे इसके लिए कैसे मज़बूर किया जा सकता है। कोर्ट स्पीकर को इस्तीफे स्वीकार करने के लिए निर्देश दे। हमारा भी मानना है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। इसलिए तुरंत फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।

मंगलवार की सुनवाई में मध्य प्रदेश सरकार और कांग्रेस के पक्षकार मौजूद नहीं थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम दूसरे पक्ष को भी सुनेंगे। इसके बाद अदालत ने सभी पक्षकारों राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को नोटिस देकर 24 घंटे में जवाब मांगा था। नोटिस ईमेल और वॉट्सऐप के जरिए नोटिस भेजे गए। इसके साथ ही ईमेल पर बागी विधायकों की अर्जी और याचिका की कॉपी भी पक्षकारों को भेजी गई। भाजपा की तरफ से पैरवी करने पहुंचे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी छोड़कर चले गए, उनके पास बहुमत नहीं है, इसलिए उनकी तरफ से कोई सुनवाई में नहीं आया।

ऐसे केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में क्या
 फैसला दिया?
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● भाजपा ने 1994 के एसआर बोम्मई vs भारत सरकार, 2016 के अरुणाचल प्रदेश, 2019 के शिवसेना vs भारत सरकार जैसे मामलों का जिक्र किया है। इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। 

● अरुणाचल प्रदेश के मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर राज्यपाल को लगता है कि मुख्यमंत्री बहुमत खो चुके हैं तो वे फ्लोर टेस्ट का निर्देश देने के लिए स्वतंत्र हैं। 

● 2017 में गोवा से जुड़े एक मामले में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक और टिप्पणी की- ‘फ्लोर टेस्ट से सारी शंकाएं दूर हो जाएंगी और इसका जो नतीजा आएगा, उससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी विश्वसनीयता मिल जाएगी ।
सुनवायी कल भी होगी। 

( विजय शंकर सिंह )

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