Tuesday, 22 September 2020

राज्यसभा से निलंबन का रिकॉर्ड राजनारायण के नाम, दूसरे नंबर पर गोडे मुरहरि / विजय शंकर सिंह

कृषि सुधार विधेयकों पर हंगामा करने पर राज्यसभा (Rajya Sabha) के आठ सांसदों को निलंबित किया गया है. संसद में सांसदों के निलंबन का कार्रवाई का भी अपना इतिहास है।राज्यसभा से निलंबन के मामले में राजनारायण सबके गुरु हैं.। वे राज्यसभा से चार बार निलंबित हुए थे. सन 1966, 1967, 1971 और 1974 में उन्हें निलंबित किया गया था।

जनता पार्टी के सांसद राजनारायण एक जुझारू नेता थे। वे 80 बार जेल गए थे। उन्होंने जेल में कुल 17 साल बिताए थे, जिसमें से तीन साल आजादी से पहले और 14 साल आजादी के बाद के थे। उन्होंने सन 1977 के चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हरा दिया था। 

महिला आरक्षण बिल के विरोध में यूपीए ने 2010 में सात सांसदों को निलंबित किया था. दूसरे नंबर पर रिकॉर्ड गोडे मुरहरि का है. वे राज्यसभा से सस्पेंड होने वाले पहले सांसद थे. वे कुल तीन बार निलंबित हुए। वे 1962 में एक बार और 1966 में दो बार निलंबित हुए. मज़े की बात है कि बाद में वे राज्यसभा के उप सभापति भी चुने गए।

राज्यसभा में गोडे मुरहरि को तीन सितंबर 1962 को बाकी बचे सत्र के लिए निलंबित किया गया था। सन 1966 में भूपेश गुप्ता और गोडे मुरहरि को संसद के बाकी सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। राजनारायण और मुरहरि को 25 जुलाई 1966 को एक सप्ताह के  लिए सस्पेंड किया गया था। 

सन 1966 में 16 नवंबर को बीएन मंडल को 10 दिनों के लिए निलंबित किया गया था।  सन 1967 में 14 दिसंबर को राजनारायण को निलंबित किया गया था। इसके बाद 12 अगस्त 1971 को राजनारायण फिर निलंबित किए गए। और फिर उन्हें 24 जुलाई 1974 को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया था। 

पुत्तपागा राधाकृष्णा को 29 जुलाई 1987 को एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया था. सन 2010 में सात सांसदों को निलंबित किया गया था। 

( विजय शंकर सिंह )

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