मुंबई में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से जुड़ा एक कार्टून शेयर करने पर एक मर्चेंट नेवी के पूर्व अफसर को कुछ शिव सैनिकों ने मारा पीटा है। जब इसकी सूचना थाने में दी गयी तो, थाने द्वारा उनकी गिरफ्तारी तो की गयी, लेकिन यह भी खबर है कि उक्त मर्चेंट नेवी अफसर को पीटने वाले अभियुक्तों को थाने से ही छोड़ दिया गया।
कार्टून तो दुनियाभर में ही सभी बड़े बड़े नेताओं के बनते रहते हैं। यह अभिव्यक्ति की एक व्यंग्य विधा है जो शब्दो से कहीं अधिक मारक होती है। भारत मे भी शंकर, आरके लक्ष्मण, टीएन निनान, मारियो पूजो, काँजिलाल, इरफान, सुधीर तैलंग, सतीश अचार्य, कप्तान, हेमन्त मालवीय, आदि आदि बेहद प्रतिभावान कार्टूनिस्ट हैं जो केवल अपनी कार्टून कला से बेहद कुशलतापूर्वक अपनी बात कह देते हैं।
उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे खुद भी एक कार्टूनिस्ट थे। अतः एक कार्टून पर इस प्रकार की मारपीट करना तो गुंडागर्दी है ही, और ऐसे मामलों में ऐसे गुंडों को थाने से ही छोड़ देना, तो और बुरा और निंदनीय है। जो वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहा है में मारने पीटने वाले गुंडों की संख्या कम नहीं है। यह एक बलवा का मामला है और इसे गंभीरता से पुलिस द्वारा लिया जाना चाहिए।
पुलिस का सत्तारूढ़ दल की तरफ झुकाव स्वाभाविक है और यह लगभग पूरे भारत मे है। सभी राजनीतिक दल गुंडे पालते हैं और उससे वे बदले की कार्यवाही कराते रहते हैं। उद्धव ठाकरे से जुड़ा कार्टून उनके समर्थकों को, आहत कर सकता है पर इस आहतपने से पीड़ित होकर वे खुलेआम गुडागर्दी पर उतर आए और पुलिस भी उनके साथ खड़ी दिखे यह तो सर्वथा अनुचित है।
शिवसेना के कार्यकर्ताओं का इस पर खुले आम गुंडई करना और एक मर्चेंट नेवी के पूर्व अधिकारी से साथ मारपीट करना और फिर पुलिस का उनके खिलाफ उचित कार्यवाही न कर के थाने से ही छोड़ देना, एक निंदनीय और अनुचित कृत्य है। राजनीति में तो ऐसे झगड़े होते रहते हैं, पर कम से कम पुलिस को तो अपनी क्षवि और प्रोफेशनल दायित्व के प्रति सजग रहना चाहिए।
( विजय शंकर सिंह )
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