Monday, 4 May 2020

अफवाहबाज़ों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाय / विजय शंकर सिंह

अगर कानून के प्रति सामान्य जन की जागरूकता और उस पर भरोसा हो तो देश मे फैलाई जा रही बहुत सी विकृतियों का समाधान कानून के ही मार्ग से हो सकता है । यह रास्ता लम्बा है, थोड़ी प्रतीक्षा करा सकता है और धीरज की अपेक्षा तो करता ही है, पर यह उन बदमिजाज और बददिमाग बड़े नाम वाले लोगो की उन हरकतों में नकेल डाल सकता है जो पत्रकारिता की आड़ में देश मे साम्प्रदायिक सद्भाव तोड़ने का एक एजेंडा बेहद महीनी से चला रहे हैं। 

रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर मुंबई पुलिस ने सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने, झूठी खबरे प्रसारित करने, और जानबूझकर अफवाह फैलाने के आरोपों में एक और मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा, बांद्रा स्टेशन पर प्रवासी कामगारों द्वारा अचानक एकत्र हुयी भीड़ के संबंध में रिपोर्टिंग करने का है। इसके पहले, पालघर महाराष्ट्र में हुयी भीड़ हिंसा जिसमे 2 साधुओं की भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या कर दी गई थी, पर उनके एक प्रोग्राम को लेकर उन पर 100 से अधिक मुक़दमे दर्ज हो चुके हैं और फिलहाल वे कुछ दिनों के लिये प्रोटेक्शन पर हैं। 

यह एक नया मुकदमा है जिसका संबंध बांद्रा रेलवे स्टेशन से है। घटना इस प्रकार है। कुछ दिनों पहले रेल चलने की एक अफवाह से बांद्रा स्टेशन पर हज़ारो प्रवासी कामगारों की भीड़ एकत्र हो गयी थी और इसे लेकर सोशल मीडिया सहित सभी समाचार माध्यमों पर कई दिनों तक बवाल मचा रहा। बांद्रा स्टेशन के बगल में एक मस्जिद भी है और भीड़ का प्रसार वहां तक हो गया था। मस्ज़िद के उल्लेख को लेकर तुरन्त गोदी मीडिया सक्रिय हो गया और उसने इस भीड़ के इकट्ठे होने का कारण साम्प्रदायिक कोण से ढूंढना शुरू कर दिया। इन मीडिया चैनलो में अर्नब गोस्वामी का रिपब्लिक चैनल भी था। 

रिपब्लिक टीवी और उसके एंकर अर्नब गोस्वामी ने इस प्रोग्राम में जो खबर और विमर्श प्रसारित किया वह न केवल तथ्यों के विपरीत था बल्कि जानबूझकर उसमे साम्प्रदायिकता का ऐंगल घुसाया और पूरे मामले को जो किसी भी दृष्टिकोण से साम्प्रदायिक नहीं था, साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की। यह प्रसारित किया गया कि यह भीड़ प्रायोजित है और इसे जानबूझकर मस्ज़िद के पास बुला कर इकठ्ठा किया गया है। जबकि वास्तविकता यह नहीं थी। वास्तविकता थी, एक मराठी चैनल द्वारा रेलवे के माध्यम से एक खबर का प्रसारित किया जाना कि मुंबई से यूपी बिहार के प्रवासी कामगारों के लिये ट्रेनें चलने वाली हैं और इस खबर के कारण वहां भीड़ इकट्ठा हो गयी। 

बाद में जब रेलवे के आंतरिक पत्राचार सार्वजनिक हुए और सरकार ने सतर्कता दिखाई तब जाकर यह बवाल शांत हुआ इस घटना का किसी भी साम्प्रदायिकता से कोई सरोकार दूर दूर तक नहीं था। पर गोदी मीडिया को न तो लम्बे लॉक डाउन से त्रस्त प्रवासी कामगार दिखे, न रेलवे द्वारा ज़ारी किया गया वह पत्र जिसमे ट्रेन चलने का उल्लेख है, न आईआरसीटीसी द्वारा बुक किये गए टिकट और न ही मराठी चैनल की खबर। बस दिखी तो एक मस्जिद और इस घटना को कैसे साम्प्रदायिकता का रंग दिया जाय, की एक शातिर योजना का अवसर।  

अब मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ बांद्रा के मामले में केस दर्ज कर लिया है। यह मामला पिछले दिनों मुंबई के बांद्रा स्टेशन के बाहर जुटी प्रवासी मजदूरों की भीड़ को लेकर टीवी पर गलत खबर दिखाए जाने के लिए दर्ज हुआ है। अर्नब गोस्वामी के खिलाफ यह एफआईआर रजा फाउंडेशन वेलफेयर सोसायटी के सेक्रेटरी और नल बाजार निवासी इरफान अबुबकर शेख ने मुंबई के पायधुनी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है।

आरोप है कि बांद्रा स्टेशन के बाहर जुटी प्रवासी मजदूरों की भीड़ वाली खबर को रिपब्लिक टीवी पर मस्जिद पर भीड़ जमा होना बताया गया। यह खबर दिखाते समय अर्नब गोस्वामी ने बार बार दोहराया कि आख़िर लोग मस्जिदों के पास ही क्यों इकट्ठा होते हैं। शनिवार को मुंबई में दर्ज हुए अर्नब के खिलाफ इस नए मामले में मुंबई पुलिस ने आईपीसी की धराओं 153, 153A, 295A, 500,  511, 120 (B), के तहत मामला दर्ज किया हैं।

कानून में साम्प्रदायिक आधार पर भावनाओं को आहत करना, अफवाह फैलाना, और दो समुदायों में लड़ाना, हिंसा के लिये भड़काना आदि दण्डनीय अपराध है। हम सब यह सब जानते हैं पर ऐसी घटनाओं और दुष्कृत्यों को नजरअंदाज भी कर देते हैं। नजरअंदाजी कभी कभी एक उचित कदम होती भी है, पर अक्सर होने वाली नजरअंदाजी न केवल ऐसे कृत्यों और ऐसे अफवाहबाज़ों को बढ़ावा देती है बल्कि जनता के मन मे कानून की क्लीवता की धारणा को भी जन्म देती है। कानून के प्रति ऐसी निराशा अनेक समस्याओं को भी जन्म दे सकती है और वह अराजकता की ओर मोड़ देती है। 

ऐसे दुष्प्रचार, मिथ्यावाचन और फ़र्ज़ीख़बरों के संदर्भ में जागरूक होइये और सोशल मीडिया तथा परंपरागत मीडिया में भी चल रही खबरों में अगर कोई तथ्यात्मक त्रुटि या दुष्प्रचार दिखे तो उसे तुरंत उजागर कीजिये। अब कई वेबसाइट सहित सरकार ने भी फैक्ट चेक की व्यवस्था कर रखी है। दुनियाभर में अफवाहबाज़ों के दुष्प्रचार और जानबूझकर अपने हित के दृष्टिकोण से दिखाए गए खबरों से अनेक हिंसक घटनाएं हुयी हैं, जो बाद में निराधार सिद्ध हुयी है । 

न तो ट्रोल कीजिये, न ट्रोल से उलझिये बस अगर घटना आप के आसपास की है तो सच बताईये और मिथ्या घटना या दुष्प्रचार हो तो पुलिस को खबर कीजिए ताकि न केवल उस अफवाह के संक्रमण को रोका जा सके बल्कि ऐसे अफवाहबाज़ों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जा सके। 

( विजय शंकर सिंह )

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