ग़ालिब - 18
असद ये इज्जो बेसामानी ए फरऊम तुआम है,
जिसे तू बंदगी कहता है, दावा है खुदाई का !!
Asad ye ijjo besaamaanii e farauum tuaam hai
jise tu bandagii kahataa hai, daawaa hai khudaai kaa !!
- Ghalib.
यह विनम्रता और साथ ही गर्व का खोखलापन है । ये दोनों ही भाव तुझ में विद्यमान हैं । तू जिसे पूजा या आराधना कह कर खुद को अक्सर महिमामंडित करता है , वह तेरे अंदर , खुद ही ईश्वर होने की दमित इच्छा है ।
( विजय शंकर सिंह )
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