Thursday 24 November 2016

Thanks Giving Day - धन्यवाद दिवस - एक ऐतिहासिक विवेचन / विजय शंकर सिंह

भारतीय परम्परा में धन्यवाद दिवस या thanksgiving day की कोई अवधारणा नहीं है । आभार यहां की परम्परा का स्थायी भाव है । सारा वैदिक साहित्य देवों जो मूलतः प्रकृति के ही विभिन्न रूप है, की स्तुति में उन्ही को समर्पित है । स्तुति के हर शब्द और स्वर से आभार ही तो अभिव्यक्त होता है । यह आभार की महत्ता को प्रदर्शित करता है । लेकिन अब दुनिया चपटी हो गयी है । क्षितिज समाप्त हो गया । हम हर जगह झाँक सकते हैं और वह भी बिना वहाँ  गए , बिना उन्हें जनाए, सब जान सकते हैं, अब हम सबके पास वह तरकीब है जो महाभारत में केवल संजय को थी, कि हम दूर बैठे हुए घटित अघटित सब देख सकते हैं । दुनिया छोटी तो हुयी है, पर आभासी भी हो गयी है । इस आभासीपन ने संसार को संसार में ही अकेला कर दिया है । पर यह भी सही है कि,  यह अकेलापन इसी आभासी तंत्र द्वारा अकेला लगता भी नहीं है । फादर्स डे, मदर्स डे, आदि दिवस उस सभ्यता की देन है जहां वयस्क होते ही बच्चा परिवार से दूर चला जाता है पर हमारे समाज में 60 साल का होने पर भी व्यक्ति अगर उसकी माँ जीवित है तो बचवा ही बना रहता है । यह जो पारिवारिक अनुराग है, स्नेह है वह जीवन में कई बार आसन्न खतरे से उतपन्न स्वेद से भी बचा लेता है । हम अकेला नहीं महसूस कर पाते है । फिर भी अमेरिका और कनाडा में प्रचलित thanks giving day, यानी धन्यवाद दिवस की परम्परा है तो इसका भी निर्वाह किया जाना चाहिए ।

Thanks giving day धन्यवाद दिवस, मूलतः अमेरिका और कनाडा में फसलों की आमद पर धन्यवाद दे कर मनाया जाता है । फसल जीवन का आधार है । फसल का होना और फिर सुरक्षित सारा अनाज , भूंसा घर के बखार में आ जाना, किसी भी किसान के लिए सबसे आह्लादित पल होता है । भारत में भी बैसाखी, पोंगल, ओणम आदि पर्व धान्य आगमन के उत्सव के रूप में मनाये जाते हैं । कनाडा में यह पर्व अक्टूबर के द्वीतीय सोमवार को और अमेरिका में नवम्बर के अंतिम गुरुवार को मनाया जाता है । हालांकि इस परम्परा की जड़ें इतिहास के अंदर भी हैं । यह सभी धर्म, जाति और सम्प्रदाय द्वारा मनाया जाता है ।

इसकी परम्परा प्रोटेस्टेंट सुधार के समय इंग्लैंड में शुरू हुयी थी । इंग्लैंड में जब प्रोटेस्टेंट सुधार का कार्यक्रम हेनरी अष्ठम के समय शुरू हुआ तो उस समय वहाँ कैथोलिक धर्म की बहुत सी छुट्टियाँ होती थीं । इंग्लैंड का ईसाई धर्म कैथोलिक पोप के नियंत्रण से दूर हो कर प्रोटेस्टेंट  ईसाई सुधारवादी धर्म का कलेवर धारण कर रहा था । 1536 ईस्वी के पूर्व इंग्लैंड में 52 रविवारों के अतिरिक्त चर्चों के 95 की संख्या में  अवकाश के दिन थे । इस प्रकार वहाँ 365 दिन के वर्ष में, 147 दिन अवकाश के ही होते थे । पर 1536 के कैलेंडर में सुधारवादी आंदोलन के बाद चर्चों की छुट्टियां घटा कर 27 कर दी गयी । कुछ लोगों ने इसे भी समाप्त करने की मांग की और कुछ ने तो क्रिसमस और ईस्टर की भी छुट्टियाँ रद्द करने की बात कही । इन पर्वों पर लोग उपवास रखते थे और विशेष प्रार्थनाएं करते थे । लेकिन कुछ ऐसी आपदाएं ब्रितानी समाज में आयीं कि लोग प्रकृति के प्रति आभार या धन्यवाद की प्रार्थनाएं करने लगे । यह thanks giving का प्रारंभ काल था । ब्रिटेन में  सन् 1611 में भयंकर अकाल पड़ा, 1613 में प्रलयंकर बाढ़ आयी और 1604 तथा 1622 में, में विनाशकारी प्लेग फैला । भारी संख्या में जन धन की हानि हुयी । इन सब प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बाद थैंक्स गिविंग असेंब्लीज़ चर्चों में होने लगी । इसके पहले 1528 ईस्वी में स्पेनिश आरमदा, जो एक बड़ी सामुद्रिक घटना थी, के समय  और 1705 ईस्वी में महारानी एन्ने Queen Enne के शासन काल में, यह औपचारिक रूप से मनाया जाने लगा था । लेकिन इसके नियमित मनाने की कोई परंपरा तब तक भी नहीं पडी थी ।

अमेरिका और कनाडा मूलतः यूरोपीय या ब्रिटिश उपनिवेश ही थें। कनाडा में यह परम्परा कहते हैं, 1548 ईसवी में शुरू हुयी । इसका कारण फसल नहीं बल्कि उन यूरोपीय लोगों का सकुशल कनाडा की धरती पर पहुंचना था जो अंध महासागर के उत्तरी पैसेज से होते हुए खोजी नाविक मार्टिन फॉर्बिशर के साथ सुरक्षित पहुंचे थे । फॉर्बिशर के इस अभियान के सुरक्षित रूप से संपन्न होने पर, बफ्फिन आइलैंड Buffin Island जो अब नुनावुट Nunavut कहा जाता है में पहली औपचारिक थैंक्स गिविंग समारोह पादरी रोबर्ट वोल्फल द्वारा संपन्न किया गया । कनाडा में इस दिवस के प्रारंभ के पीछे फ़्रांस से आये हुए लोगों के सुरक्षित पहुँचने का भी कारण भी कुछ लोग मानते हैं । 17 वीं सदी में फ्रेंच यात्री सैमुअल द चैंप्लें के सुरक्षित पहुंचने और उसके द्वारा भोज देने के कारण भी यह पर्व मनाया गया था , ऐसा भी लोग मानते हैं । कारण क्या था इस पर बहुत ही मत मतांतर है । पर एक कारण स्पष्ट है कि, अंध महासागर के तूफानी मौसम को पार कर एक सर्वथा नए और अलग थलग पड़े महाद्वीप में सुरक्षित पहुंचना भी किसी संतोष और आह्लाद से कम नहीं रहा होगा । मंज़िल पर सुरक्षित पहुँचने का आह्लाद स्वाभाविक रूप से आभार का भाव उत्पन्न करता है । जब यूरोप के अन्य देशों और इंग्लैंड से खेप के खेप आप्रवासी यहां पहुँचने लगे तो यह धन्यवाद प्रार्थना अपने आप ही उत्सव में बदलने लगी । अब यह कनाडा का मुख्य आयोजन ही हो गया है।

अमेरिका में भीं इसका प्रारंभ ऐसे ही हुआ । दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका के प्लेमाउथ में जो मैसाचुसेट राज्य का अंग है में 1621 में आये हुए प्रवासियों और प्रोटेस्टेंट ईसाईयों ने पहला थैंक्स giving आयोजन किया था । अमेरिकी इतिहास कार जेरेमी बैंग्स के अनुसार, जो लीडन अमेरिकन पिल्ग्रिम्स म्युज़ियम के निदेशक भी थे, 1574 ईस्वी में लीडन के युद्ध के बाद जिसमे लीडन को अमेरिका के मूल निवासियों से जीता गया था, की प्रसन्नता में औपचारिक धन्यवाद सभा की गयी थी । ऐसी ही सभा बोस्टन में 1631 ई में भी आयोजित की गयी थी । मैसाचुसेट्स के गवर्नर ब्रैडफोर्ड  ने 1623 में औपचारिक रूप से फसलों के कटने पर ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए इस पर्व को मनाने और प्रार्थनाएं करने का एक आदेश जारी किया । 1682 तक यह उत्सव केवल चर्चों द्वारा ही आयोजित किया जाता था, राज्य की कोई भूमिका इसमें नहीं थी । 1682 के बाद से ले कर अमेरिकी क्रान्ति तक राज्य भी इस समारोह में शामिल हो गया । औपचारिक रूप से अमेरिका में पहला थैंक्स गिविंग समारोह 26 नवम्बर 1789 को जनता की ओर से आयोजित किया गया । यह ईश्वर को उसकी अनुकंपाओं के लिए धन्यवाद था जो बाद में धीरे धीरे परम्परा में समाता गया । हालांकि इस उत्सव की तिथि को ले कर भी विवाद कम नहीं हुआ है । एक विवाद इस विषय पर भी हुआ कि क्या यह एक धार्मिक  आयोजन है या सामाजिक । अमेरिका और कनाडा का समाज मूलतः प्रवासी समाज है । प्रारंभ में तो वहाँ  पहले इंग्लैंड से ही लोग वहाँ भेजे गए । फिर यूरोप के अन्य देशों से भी वहाँ पारगमन हुआ । काम करने के लिए अफ्रीका से दास बना कर अफ्रीकियों को यूरोपियन गोरे ले गए । रूस से वहाँ कम ही लोग गए । अब तो भारत सहित एशिया से भारी संख्या में लोग अमेरिका और कनाडा में बस रहे हैं । इस से वहाँ की संस्कृति अपने आप बहुलतावादी होती गयी पर वहाँ ईसाई धर्म का वर्चस्व बना रहा जो आज भी हैं।

कनाडा में औपचारिक रूप से यह दिवस 15 अप्रैल 1872 को मनाया गया । प्रिंस ऑफ़ वेल्स जो बहुत ही अधिक बीमार थे के स्वस्थ होने पर एक धन्यवाद प्रार्थना सभा के रूप में यह दिवस  मनाया गया । इसके पहले जब कनाडा का एकीकरण नहीं हुआ था तो विभिन्न राज्यों के गवर्नर अपने अपने राज्य में अलग अलग तिथियों को यह पर्व मनाते थे । लेकिन उन्नीसवीं सदी के अंत तक यह दिवस 6 नवम्बर को मनाया जाने लगा । प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद दिवंगत   सैनिकों की याद में आरमिस्टिस दिवस मनाया जाता था, जो अक्टूबर में ही पड़ता था । छुट्टियों की संख्या कम करने के लिए धन्यवाद दिवस और आरमिस्टिस दिवस भी एक ही दिन 1957 ई में कर दिया गया । अब यह अक्टूबर के द्वीतीय सोमवार को मनाया जाता हैं।

अमेरिका में भी इस दिवस के मनाये जाने की कोई आधिकारिक तिथि तय नहीं थी । अमेरिकी लेखक सारा जोसेफा हेले के 40 वर्षीय अभियान के बाद, 1863 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक अधिघोषणा की । इसके अनुसार यह नवम्बर के आखिरी वृहस्पतिवार को मनाया जाना घोषित हुआ । लेकिन बीच में जब अमेरिका लंबे समय तक गृह युद्ध में फंस गया तो, 1870 ई तक यह समारोह स्थगित रहा । तब तक अमेरिका का पुनर्निर्माण चल रहा था । इसके बाद यह पर्व नवम्बर के चौथे वृहस्पतिवार को पुनः मनाया जाने लगा । 1941 ई तक यही स्थिति चलती रही । 26 दिसम्बर 1941 को राष्ट्रपति रूज़वेल्ट ने इसे संशोधित कर के नवम्बर के अंतिम गुरुवार को इस पर्व को मनाए जाने का प्रस्ताव अमेरिकन कांग्रेस से पारित करवा दिया । तब से यह  नवम्बर के अंतिम गुरुवार को ही मनाया जाता है ।

यह धन्यवाद दिवस की ऐतिहासिक विवेचना है । आप सब मित्रों का धन्यवाद ।

( विजय शंकर सिंह )

1 comment:

  1. आपको भी सहजतापूर्ण संबंधों को निभाने के लिए हृदय से आभार...

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