अभी जो सर्जिकल स्ट्राइक हुयी है ,उस से पाकिस्तान ने नकार दिया है । पर अब जब सैटेलाइट फ़ोटो आ गयी है तो, पूरी दुनिया को सच पता चल गया है । पठानकोट और उरी की घटना के बाद यह कार्यवाही आवश्यक थी । जहां तक वार्ता का प्रश्न है, पाक में सरकार किसकी है और चलती किसकी है यह ही तय नहीं है । शरीफ नवाज़ वहाँ के असल सदर हैं या शरीफ राहील या वहाँ के आतंकी समूहों के प्रमुख , जिन्हें नॉन स्टेट एक्टर्स कूटनीतिक भाषा में कहा जाता है, मसलन हाफ़िज़ सईद और मौलाना मसूद अज़हर, या ये तीनों ही आपस में मिल जुल कर सरकार चला रहे है, जब तक यह आधिकारिक रूप से तय न हो जाय तब तक किसी भी वार्ता का कोई मतलब नहीं हैं। यह एक बँटा हुआ निज़ाम है । पाकिस्तान ने जब कारगिल युद्ध में शहीद हुये अपने जवानों को ही अपना मानने से इनकार कर दिया तो वह कभी भी किसी प्रकार के सर्जिकल स्ट्राइक को कैसे मान लेगा । उसने इस बार भी इस घटना से ही इंकार कर दिया और माना भी है तो बहुत ही दुष्प्रचार करते हुए । युद्ध में या युद्ध के माहौल में सच ढूंढना बहुत मुश्किल होता है और उन्माद के शोर में तो सच कहना भी किसी जोखिम से कम नहीं होता है । पाक के आधिकारिक बयान की जांच पड़ताल ज़रूर की जाय पर उसे प्रथम दृष्टया सही मान लिया जाय यह भी उचित नहीं है ।
पाकिस्तान के एक लेखक हैं एएच नैय्यर । उन्होंने पाकिस्तान में जो इतिहास पढ़ाया जाता है, उसमे कई भयंकर भूलों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है । ये भूलें , जान बूझ कर की गयीं है । जान बूझ कर पाकिस्तान के बच्चों के दिमाग में भरी जा रही है । इतिहास के दो अंग प्रत्यक्षतः होते हैं । एक तो तथ्य और दूसरे उन तथ्यों की समीक्षा । तथ्य अगर कई ऐतिहासिक अभिलेखों में एक समान होते हैं तो, उस से घटना का स्वरूप बनता है । घटना क्रम बनता है । घटनाएं नहीं बदलती है । जो घट चुका है, घट चुका है । अतीत के अभिलेखों में सम्पादन और कट पेस्ट सम्भव नहीं है । पर उन घटनाओं की व्याख्या सदैव अलग अलग तरह से हो सकती है । सबका दृष्टिकोण अलग अलग हो सकता है । पर पाक में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है , वह तथ्यात्मक रूप से ही गलत और भ्रामक है । नैय्यर साहब ने ऐसे ही कुछ विन्दुओं को अपने लेख का विषय बनाया है । इसे देखें और पढ़ें । यह रोचक भी है और इस से यह पता चलता है कि, घृणा की शुरुआत वहाँ अनायास ही नहीं बल्कि सायास और सोच समझ कर की जा रही हैं।
1965 का भारत पाक युद्ध, भारत ने जीता था । इसी युद्ध में जनरल अयूब खान ने डींग हाँकी थी कि,
' वह लाहोर से सुबह चल कर अमृतसर में नाश्ता करेंगे और शाम तक दिल्ली पहुँच कर लाल किले में भोजन करेंगे । '
युद्ध के बाद भारत के प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसी वाक्य पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि,
' जनरल अयूब साहब के अमृतसर में नाश्ते और दिल्ली में भोजन के इरादे को देखते हुए हमने सोचा कि क्यों न उन्हें लाहौर में ही पहुँच कर जगा दिया जाय । '
हुआ भी ऐसा ही । यह अलग बात है कि अंतराष्ट्रीय दबावों के चलते भारत को जीता हुआ इलाक़ा छोड़ना पड़ा और इसी के बाद 1966 में शास्त्री जी का दुःखद निधन ताशकंद में हो गया ।
पर इस घटना को पाकिस्तान में कैसे पढ़ाते हैं, यह एएच नैय्यर के ही शब्दों में पढ़ लें ।
“ The Pakistan Army conquered several areas of India, and when India was at the verge of being defeated she ran to the United Nations to beg for a cease-fire. Magnanimously, thereafter, Pakistan returned all the conquered territories to India.”
( पाकिस्तान की सेना ने भारत के कई इलाके जीत लिए और जब भारत हारने के कगार पर पहुँच गया तो , वह संयुक्त राष्ट्र संघ चला गया जहां उसने युद्ध विराम की याचना की तब जा कर पाकिस्तान ने सारे जीते हुए इलाके वापस कर दिए । )
यह वह इतिहास है जो अभी बहुत पुराना नहीं है । यह इतिहास नार्थ वेस्ट प्राविंसियल प्रॉविंस के दर्ज़ा 6 के बच्चों के लिए पढ़ाया जाता है ।
1993 में पाकिस्तान ने इतिहास की एक टेक्स्ट बुक प्रकाशित की । इस पुस्तक में पूर्व पाकिस्तान यानी बांग्लादेश के अलग होने की यह कथा प्रस्तुत की हैं।
“There were a large number of Hindus in East Pakistan. They had never truly accepted Pakistan. A large number of them were teachers in schools and colleges. They continued creating a negative impression among students. No importance was attached to explaining the ideology of Pakistan to the younger generation.The Hindus sent a substantial part of their earnings to Bharat, thus adversely affecting the economy of the province. Some political leaders encouraged provincialism for selfish gains. They went around depicting the central Government and (the then) West Pakistan as enemy and exploiter. Political aims were thus achieved at the cost of national unity.”
( पूर्व पाकिस्तान में हिन्दू जन संख्या बहुलता से थी । उन्होंने कभी भी मन से पाकिस्तान को स्वीकार नहीं किया । उनमे से अधिकतर संख्या शिक्षकों की थी जो वहाँ स्कूलो में पढ़ाते थे । उन्होंने छात्रों के मस्तिष्क में पाकिस्तान के विरुद्ध विपरीत बातें फैलानी शुरू कर दीं । उन्होंने छात्रों को पाकिस्तान की अवधारणा के बारे में कुछ भी नहीं बताया । वहाँ के हिन्दू , अपनी आय का एक भाग भारत में भेजते थे । जिस से पाकिस्तान की आय पर प्रतिकूल असर पड़ा । कुछ राजनीतिक नेताओं ने प्रांतवाद से प्रभावित और स्वार्थ से वशीभूत हो , राष्ट्रीय एकता को दरकिनार कर के केंद्रीय सरकार और उस समय के पश्चिमी पाकिस्तान को दुश्मन और ज़ालिम करार दिया । )
इसमें बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी, बंग भाषा आंदोलन, शेख मुजीबुर्रहमान का ज़िक्र, भारत पाक युद्ध, पाक की शर्मनाक पराजय, एक लाख सैनिकों का आत्मसमर्पण और बांग्लादेश का निर्माण आदि आदि घटनाओं को जान बूझ कर छुपा दिया गया ।
" हिन्दू और मुस्लिम दो क़ौमे हैं। ये दो अलग अलग राष्ट्र हैं । ये एक देश में नहीं रह सकते । मुस्लिमों को एक अलग और नया देश चाहिए, । "
यह महान वाक्य जिन्ना साहब का है । अलग देश भी बना । फिर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही आबादी का हस्तांतरण शुरू हुआ । यह विश्व इतिहास का सबसे बड़ा विस्थापन था । बीस लाख लोग विस्थापित हुए और इस धार्मिक उन्माद में दस लाख लोग मारे गए । हिन्दू और मुसलमानों ने दोनों ने दोनों तरफ खुल कर हिंसा की । वह दौर ही कुछ अलग लगता है । अज़ीब पागलपन और वहशत भरा समय था वह । पर इस घटना को पाकिस्तान में कुछ इस तरह पढ़ाया जाता है ,
“While the Muslims provided all sorts of help to those non-Muslims desiring to leave Pakistan [during partition], people of India committed atrocities against Muslims trying to migrate to Pakistan. They would attack the buses, trucks and trains carrying the Muslim refugees and murder and loot them.”
( विभाजन के समय जितने भी गैर मुस्लिम थे और जो पाकिस्तान छोड़ कर जाना चाहते थे , उनको पाकिस्तान के मुसलमानों ने हर प्रकार की सहायता दी । जब कि भारत के लोगों ने वहाँ से पाकिस्तान आने वाले मुसलमानों पर हर तरह का ज़ुल्म किया। उन्होंने उनकी बसों, ट्रक , और उन्हें ले जा रही ट्रेनों पर हमले किये, तथा उनको लूटा और उनकी हत्याएं की । )
यह उद्धरण पाकिस्तान के इंटरमीडिएट बोर्ड के पाठ्यक्रम की नागरिक शास्त्र की पुस्तक से लिया गया है ।
पाकिस्तान में इतिहास की एक पुस्तक पढ़ाई जाती है ' A Textbook of Pakistan Studies ' जिसके लेखक हैं एमडी ज़फर । यह पुस्तक अत्यंत हास्यास्पद और बेवकूफी भरे झूठों से भरी पडी है । उसके कुछ उद्धरण पढ़ें ,
“Pakistan came to be established for the first time when the Arabs led by Muhammad bin Qasim occupied Sindh and Multan. Pakistan under the Arabs comprised the Lower Indus Valley.”
( पाकिस्तान पहली बार तब अस्तित्व में आया, जब मुहम्मद बिन क़ासिम ने अरब की सेना ले कर, सिंध और मुल्तान पर अपना अधिकार जमाया । )
“During the 11th century the Ghaznavid Empire comprised what is now Pakistan and Afghanistan. During the 12th century the Ghaznavids lost Afghanistan and their rule came to be confined to Pakistan”.
( 11 वीं सदी के ग़ज़नवी साम्राज्य के क्षेत्र में आज का अफगानिस्तान और पाकिस्तान था । 12 वीं सदी में ग़ज़नवी ने अफगानिस्तान गँवा दिया, और उनका राज्य पाकिस्तान तक सिमटा रहा । )
“By the 13th century Pakistan had spread to include the whole of Northern India and Bengal. Under the Khiljis Pakistan moved further South to include a greater part of Central India and the Deccan”.
( 13 वीं सदी आते आते पाकिस्तान का राज्य सम्पूर्ण उत्तर भारत में फैलते हुए बंगाल तक फ़ैल गया । इसके बाद राज्य का विस्तार दक्षिण की तरफ हुआ । मध्य भारत और दक्षिण तक पाकिस्तान का प्रसार हुआ । )
" During the 16th century, ‘Hindustan’ disappeared and was completely absorbed in ‘Pakistan”.
( 15 वीं सदी आते आते हिंदुस्तान पूरी तरह समाप्त हो गया और पाकिस्तान का राज्य फ़ैल गया । )
“ Shah Waliullah appealed to Ahmad Shah Durrani of Afghanistan and ‘Pakistan’ to come to the rescue of the Muslims of Mughal India, and save them from the tyrannies of the Marhattas…”
( शाह वालीलुल्लाह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अहमदशाह दुर्रानी के सामने उपस्थित हो कर , मुगलों को मराठों के आतंक से बचाने का गुहार लगाता है । )
“In the Pakistan territories where a Sikh state had come to be established, the Muslims were denied freedom of religion.”
( पाकिस्तान के ही इलाके में ही सिखों का एक राज्य स्थापित हुआ जिसने मुसलमानों को उनके धर्म के पालन पर रोक लगा दिया । )
“Thus by the middle of the 19th century both Pakistan and Hindustan ceased to exist; instead British India came into being. Although Pakistan was created in August 1947, yet except for its name, the present-day Pakistan has existed, as a more or less single entity for centuries.”
( इस प्रकार 19 वीं सदी के मध्य तक , पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों ही ब्रिटेन के आने तक अस्तित्व में थे । हालांकि पाकिस्तान अगस्त 1947 में बना है पर यह पाकिस्तान कई सदियों से ही ऐसे है । )
पाकिस्तान घृणा, विद्वेष और उन्माद के मंथन से निकला हुआ देश है । सप्त सैंधव और पंचनद की महान ऐतिहासिक विरासत जो भारतीय महाद्वीप की साझी विरासत रही है, वह भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश , तीनों की साझी है । पाकिस्तान के ही क्षेत्र में सैन्धव सभ्यता कभी समृद्धि के शिखर पर थी । यहीं संस्कृत को संस्कृत पाणिनि ने बनाया । यही दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला बना । यही कभी वेदों की ऋचाएं उच्चारित हुयी होंगी । और पाकिस्तान का निज़ाम अपने इतिहास का प्रारम्भ 712 ईस्वी के अरब लुटेरे मुहम्मद बिन कासिम के हमले से मानता है और यही पढ़ाता हैं। इसके पहले जो था वह था ही नहीं । दर असल यह एक प्रकार की हीन ग्रंथि है । जिस द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत पर पाकिस्तान अस्तित्व में आया है वह झूठ और ऐतिहासिक फरेब था । अगर पाकिस्तान, भारत के अंग के रूप में अपना सत्य इतिहास पढ़ायेगा तो, उसे भारतीय दर्शन , परम्पराएँ, समाज और संस्कृति की बहुलतावादी धाराएं भी पढ़ानी पड़ेंगी । अगर यह सब उसने पढ़ाना शुरू कर दिया तो जिस मिथ्या सिद्धांत पर इसने जन्म लिया है उसी का आधार बिखर जाएगा । पाकिस्तान के सामने यही सबसे बड़ी दुविधा है । वह इस्लाम के सूफी मत या वहैत उल वज़ूद के दर्शन पर नहीं चल सकता है । उसके अंदर जो पृथकतावादी आंदोलन चल रहे हैं , उस सब को बाँध कर रखने का एक ही इलाज़ उसके पास है कि इस्लाम के कट्टरवादी स्वरूप को ही वह बनाये रखे । अगर यह कहा जाय कि धार्मिक कट्टरवाद पाकिस्तान की घुट्टी में है तो गलत नहीं होगा ।
( विजय शंकर सिंह )
VERY TRULY DISCRIPTION , I AM SHARING
ReplyDeletethanks bhai sahab
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