Tuesday, 26 April 2016

Ghalib - Apanee rusawaai mein kyaa chalatee hai / अपनी रुसवाई में क्या चलती है - ग़ालिब / विजय शंकर सिंह


ग़ालिब -7

अपनी रुसवाई में क्या चलती है सअई,
यार ही हंगामा आरा चाहिए !! 

सअई - पराक्रम, सामर्थ्य. 
आरा - प्रचार करने वाला, फैलाने वाला. संवारने वाला. 

Apnee rusawaai mein kyaa chaltee hai, sa'aii
Yaar hee hungaamaa aaraa chaahiye !! 
-Ghalib. 

मनुष्य की बदनामी उस के अपने कर्मों पर ही निर्भर नहीं है. उसे बदनाम करने के लिए, तो हंगामा पैदा कर सकने का सामर्थ्य लिए हुए किसी मित्र का होना आवश्यक है. ऐसे मित्र ही उसे बदनाम कर सकते हैं. 

ग़ालिब अपने जीवन काल में ही बहुत बदनाम हो गए थे. उनकी शराब खोरी की आदत ने उनके सामाजिक प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचाया. अपकीर्ति के लिए मित्र अधिक जिम्मेदार ग़ालिब को लगे. उनका मानना था कि मित्र मेरी सारी कमियों को जानते थे. और उन्ही के बार बार उन कमियों को प्रचारित करने के कारण, समाज में विपरीत धारणा बनी और बदनामी फ़ैली. मित्र की कही बातों पर लोग विश्वास भी शीघ्र कर लेते है. 

इस शेर से एक अंग्रेज़ी की सूक्ति याद आती है. जिसका हिंदी भावार्थ इस प्रकार है. " हे ईश्वर, मुझे मेरे मित्रों से बचाओ, अपने दुश्मनों से मैं खुद निपट लूंगा." 
-vss.


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