Sunday 10 April 2016

10 अप्रैल , खलील जिब्रान की पुण्य तिथि पर उनकी एक लघु कथा - बिजली की कौंध / विजय शंकर सिंह

माउंट लेबनान, सीरिया में जहां आज आई एस  आई एस का आतंकी राज चल रहा है श्रेष्ठ चिंतक खलील जिब्रान का जन्म हुआ था। वे अरबी, अंगरेजी फारसी के ज्ञाता, दार्शनिक और चित्रकार भी थे। उन्होंने कहानियां , उपन्यास, कवितायें, व्यंग्य और लघु कथायें लिखी हैं । इन सभी रचनाओं का विश्व की सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका  है । प्रोफेट या पैगम्बर इनकी अति प्रसिद्ध रचना है । इन्होंने चित्र भी बनाएं हैं । वे ईसाई धर्म के अनुयायी थे पर धर्म के पाखण्ड का उन्होंने जम कर विरोध किया था । वे पादरियों और उनके अंधविश्वास के कट्टर विरोधी रहे और इसी कारण उन्हे समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन का शिकार होना पड़ा और उन्हे जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। 10 अप्रैल 1931 को न्यूयॉर्क मेंकार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकरउनका देहांत हो गया।

उनकी एक लघु कथा जो पौरोहित्यवाद और धर्म की संकीर्ण मनोवृत्ति को उजागर करती है यहां पढ़े । यह प्रवित्ति ईसाई धर्म में ही नहीं बल्कि सभी धर्मों में जब विश्वास और भक्ति तर्क का मार्ग छोड़ कर , आराध्य और गुरु का अंधानुकरण करने लगती है तो धर्म की मान्यताएं सड़ने लगती हैं । धर्म  , जिस उद्देश्य के लिए अवधारित किया गया है वह उद्देश्य ही गौण हो जाता है । धर्म का बाज़ारू और साम्राज्यवादी रूप सामने आ जाता है । ऐसा विशेष कर उन धर्मों में होता है, जो मिशन या धर्म प्रचार के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करते हैं ।

बिजली की कौंध

एक तूफानी रात में, एक ईसाई पादरी अपने गिरजाघर में था । तभी एक गैर-ईसाई स्त्री उसके पास आई और कहने लगी, “मैं ईसाई नहीं हूँ । क्या मुझे नर्क की अग्नि से मुक्ति मिल सकती है?”

पादरी ने उस स्त्री के ध्य़ान से देखा और य़ह कहते हुए उत्तर दिया, “नहीं, ईसाई धर्म के अनुसार मुक्ति केवल उन लोगों को ही मिलती है जिनके अनुसार शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण करके दीक्षा दी गई है।”

जैसे ही पादरी ने ये शब्द कहे, उसी समय गिरजाघर पर आकाश से तेज गर्जना के साथ बिजली गिरी और उस गिरजाघर में आग लग गई।

शहर के लोग भागते हुए आए और उस स्त्री को बचा लिया, किंतु पादरी को आग ने अपना ग्रास बना लिया।

शुभ रात्रि !!
- vss.

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