स्वतंत्र भारत का प्रथम लोक सभा चुनाव , संविधान के अंगीकृत किोये जाने के बाद अक्टूबर 1951 से फ़रवरी 1952 में पांच महीनो की अवधि में संपन्न हुआ था। उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं।
T
15 अगस्त 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया था । इस मंत्रिमंडल में सभी वर्गों और समुदायों को उचित स्थान तो दिया ही गया था , साथ ही ऐसे महानुभाओं को भी जगह मिली थी जो विचारधारा के स्तर पर जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध थे। हालांकि कि उस समय कांग्रेस सबसे लकप्रिय और प्रभावी दल था फिर भी देश के सभी वर्गों और विचारधारा के लोगों को उचित स्थान देकर नेहरू ने भारत की अनेकता में एकता का ही सम्मान किया। प्रथम आम चुनाव के बाद श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग मंत्री बने थे। वे राजनीती में दक्षिण पंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते थे। इसी प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव आंबेडकर जिन्होंने ने अनुसूचित जाति फेडरेशन बनाया था , और बाद में रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया था ने क़ानून मंत्री का पद भार सम्भाला था।
15 अगस्त 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया था । इस मंत्रिमंडल में सभी वर्गों और समुदायों को उचित स्थान तो दिया ही गया था , साथ ही ऐसे महानुभाओं को भी जगह मिली थी जो विचारधारा के स्तर पर जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध थे। हालांकि कि उस समय कांग्रेस सबसे लकप्रिय और प्रभावी दल था फिर भी देश के सभी वर्गों और विचारधारा के लोगों को उचित स्थान देकर नेहरू ने भारत की अनेकता में एकता का ही सम्मान किया। प्रथम आम चुनाव के बाद श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग मंत्री बने थे। वे राजनीती में दक्षिण पंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते थे। इसी प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव आंबेडकर जिन्होंने ने अनुसूचित जाति फेडरेशन बनाया था , और बाद में रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया था ने क़ानून मंत्री का पद भार सम्भाला था।
प्रथम लोकसभा में कांग्रेस के
अतिरिक्त जिन दलों ने चुनाव में भाग लिया था, वे थे, आचार्य जे बी कृपलानी की किसान
मज़दूर प्रजा पार्टी, डॉ
श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की भारतीय जान संघ, डॉ आंबेडकर की रिपब्लिकन
पार्टी। डॉ राम मनोहर लोहिआ की , जय प्रकाश नारायण की सोशलिस्ट
पार्टी थी। उसी समय कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ( अविभाजित) ने जो तेलंगाना में
सशस्त्र संघर्ष चलाया था ने भी लोकतांत्रुिक रास्ता पकड़ते हुए प्रथम आम चुनाव में
भाग लिया और उन्होंने ४९ सीटों के लिए चुनाव लड़ा।
जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधान
मंत्री बने थे इस लोकसभा ने अपनी निर्धारित अवधी पूरी की थी। प्रथम लोकसभा में
नेता विरोधी दाल कोई भी नहीं हो पाया था। किसी भी दल ने मान्यता प्राप्त विरोधी दल का दर्ज़ा नहीं हासिल
किया था। कांग्रेस ने सबसे निकटतम विरोधी दल से चार गुना अधिक वोट्स
प्राप्त किये थे. इसी चुनाव में 47 निर्दल प्रत्याशी ,
38 सीटों के
लिए भी लड़े थे। 10 सीटें ऐसी भी थी जिनपर किसी भी प्रत्याशी ने चुनाव नहीं लड़ा
था। दो और पार्टियां भी थी , जो सिर्फ इसी चुनाव में सामने आईं थीं। ये थीं
बोल्शेविक पार्टी , और।
ज़मींदार पार्टी . बोल्शेविक पार्टी रूस की बोल्शेविक पार्टी से प्रभवित थी.और
ज़मींदार पार्टी , कांग्रेस
के प्रगतिशील विचारों के खिलाफ थी।
सरदार पटेल ने एक भी चुनाव नहीं
लड़ा था , क्यों कि
प्रथम आम चुनाव के पूर्व ही वह दिवंगत हो गए थे. डॉ आंबेडकर बॉम्बे सुरक्षित
सीट से कांग्रेस के नारायण सादोबा कैरोलकर से पराजित हो गए थे। श्री कैरोलकर 1953 में देश के प्रथम राष्ट्रीय पिछड़ी
जाति आयोग के अध्यक्ष बने थे।इस चुनाव में दो भावी प्रधान मंत्री भी विजयी
हुए थे। ये थे गुलजारी लाल नन्द और लाल बहादुर शास्त्री। दिल्ली के प्रथम
मुख्या मंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश भी पहली बार संसद के लिए चुने गए थे।अन्य
महत्वपूर्ण विजेयताओं में , प्रोफेसर
हुमायूँ कबीर, ए के
गोपालन , रफ़ी अहमद
क़िदवाई , के डी
मालवीय और सुभद्रा जोशी थीं।
No comments:
Post a Comment