Saturday, 1 February 2014

राष्ट्र द्रोहियों का प्रचार माध्यम न बनें ,


फेसबुक पर कुछ दिनों पहले एक तस्वीर किसी ने लगाई थी , जिसमें कुछ असामाजिक लोगों को राष्ट्र ध्वज तिरंगा जलाते हुए दिखाया गया था।  साथ ही यह भी अनुरोध किया कया गया था कि इसे खूब प्रचारित और प्रसारित भी किया जाय।  मैं इस घटना को घोर निंदनीय के साथ साथ देश को अपमानित करने और अस्थिरता पैदा करने का कुचक्र भी मानता हूँ।

फेसबुक पर तिरंगा जलाते हुए इस तस्वीर ने बरबस ध्यान खींचा।  कुछ क्रोध भी उपजा और कुछ  क्षोभ भी। यह कृत्य घोर निंदनीय तो है ही और देश के विरद्ध भी है। फेसबुक या अन्य सोशल साइट्स पर ऐसी तस्वीरें जुगुप्सा और क्रोध ही उत्पन्न करती हैं। ऐसी या इसी  से मिलती जुलती कुछ तस्वीरें जो लोगों की भावनाएं भड़काते हुए कुछ लोगों द्वारा पोस्ट की जाती हैं उनका अभिप्राय क्या है यह तो वही बता सकते हैं जो इन्हे पोस्ट करते हैं।  लेकिन उनका अभिप्राय देश हित नहीं हो सकता है।  ऐसे लोग उन तस्वीरों के साथ यह भी जोड़ देते हैं कि इसे सब शेयर और लाइक भी करें। ऐसे लोग उन तस्वीरों की लाइकिंग और शेयरिंग को ही देशभक्ति का पैमाना मान बैठते  हैं। मुझे उनकी बुद्धि और विवेक पर तो तरस आता ही है , उनकी नीयत पर भी शक़ होता है।  

निश्चित रूप से राष्ट्र ध्वज जलाना , उसे फाड़ना , या उसका अपमान करना न केवल आपत्तिजनक है बल्कि देश की अस्मिता का अपमान है। यह नेशनल ऑनर एक्ट के अन्तर्गत दंडनीय अपराध भी है। फेसबुक पर ऐसी तस्वीरें जुगुप्सा , क्रोध और क्षोभ उत्पन्न करने के अतिरिक्त समाज के कुछ लोगों की भावनाएं भड़का भी देती हैं। इस से न सिर्फ समाज में वैमनस्य उपजता है बल्कि कटुता भी फैलती है। लोग इन तस्वीरों को पोस्ट कर सोचते हैं`इन कि वे देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित कर रहे हैं और राष्ट्र के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं। खुद को राष्ट्र भक्त मानने वाले ऐसे लोग देश का ही अहित कर रहे हैं। वे देश और समाज को जोड़ नहीं, तोड़ रहे हैं. उनका कृत्य अंग्रेज़ों की नीतियों के समान है जिसमें उन्होंने दो वर्गों के बीच वैमनस्यता , अविश्वास , और कटुता  पैदा कर के अपना हित साधा और एक त्रासद भरी आज़ादी की सौगात देकर यहाँ से विदा हुए। 

ऐसी तस्वीरें और ऐसी पोस्ट्स जो किसी की भी भावनाएं भड़काएं और समाज को बाँटें तथा आपस में लड़ाने की कोशिश करें का विरोध होना चाहिए।  आप को चौराहे पर  होकर छड़ी घुमाने का अधिकार है पर तभी तक जब तक कि वह किसी की नाक में न लगे। राष्ट्र ध्वज को अपमानित करना अपराध तो है ही पर उसका प्रचार करना और उकसाना भी एक अपराध है। 

अगर किसी को लगता है कि तिरंगा जल;आने की घटना सही है और उसके पास इसके पर्याप्त प्रमाण हैं तो वह पुलिस को सूचना दे सकता है और न्यायालय में परिवाद भी दाखिल कर सकता है। फेसबुक या अन्य सोशल साइट्स पर इस घटना को प्रचारित करना राष्ट्र प्रेम नहीं है। जो ऐसा कर रहे हैं वे इस घटना को जाने या अनजाने प्रचारित कर ही रहे हैं। विशेष कर वे लोग  जो शेयरिंग और लाइकिंग के लिए भी लोगों को उकसाते हैं। तिरंगा जलाने वाले लोगों का यह भी उद्देश्य होता है कि उनका यह कृत्य खूब  प्रचारित भी हो। ऐसे लोग एक प्रकार से उनके प्रोपैगैंडा मशीनरी का हिस्सा अनजाने में बन जाते।  

आज का युग सूचना और प्रचार का युग है। कोई भी अफवाह अल्प समय में ही पूरे विश्व में फैलाई जा सकती है। इस से कुछ ही अनिष्ट और अघटित हो सकता है। बाद में उसकी जांच हो या दोष तय किया जाए और दोषी ढूंढा जाए या उसे सज़ा हो ।  पर जो हानि होनी थी वह हो चुकी होगी। मैं ऐसी घटनाओं के होने या न होने पर कुछ नहीं कह रहा हूँ। यह घटना हुयी होगी।  क्यों कि देश को तोड़ने वाले सक्रिय तो हैं ही। लेकिन इस घटना पर वैधानिक कार्यवाही करनी चाहिए न कि उसे प्रचारित करना। इसके प्रसार और प्रचार से देश में जो वातावरण बनेगा और जो भी सन्देश जाएगा वह हानि ही करेगा। ऐसी घटना को अंजाम देने वाले सच में यही चाहते भी हैं। 
कोई भी देश कोरी भावनायों से ही महान नहीं बनता है। देश हो या परिवार इसमें हर विचार, आचार, प्रकृति और मनोवृत्ति के लोग होते हैं। खूबसूरती इसी में है कि सबको साथ लेकर चला जाए और एक जुट रहा जाए। मेरा अनुरोध है कि ऐसी पोस्ट्स जो भावनाएं भड़काती हों , आपस में वैमनस्य उपजाती हों, समाज में अविश्वास का माहौल बनाती हों को न शेयर किया और न ही लाइक। ऐसी पोस्ट्स का संज्ञान न लें. इस से ऐसी पोस्ट करने वाले मेरे मित्र भी हतोत्साहित ही  होंगे।  

( विजय शंकर सिंह )


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