Sunday, 23 June 2013

आओ एक बार !!


दोस्तों पावस गया है . इस पर यह छोटी सी रचना पढ़ें . कुछ अलग शैली की है . आशा है आप को पसंद आयेगी ....

आओ एक बार !!

चंचल बादल ,
अल्हड पावस ,
रिमझिम रिमझिम ,
बिखरा मन !

मदिर मधुर ,
स्वप्निल रात ,
एक इन्द्रधनुष 
जगाये आस !

उद्वेलित मन ,
हर्षित तन ,
बीतते क्षण
बेताब नयन !


बरसों बाद ,
गहरा सिन्धु ,
तुम उस पार ,
नहीं कोई सेतु !

गहन अन्धकार ,
सब निर्विकार ,
उमड़ता प्यार ,
आओ, एक बार !!
-vss

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Aao ek baar.

Chanchal  baadal,
alhad  paawas ,
rimjhim rimjhim,
bikharaa man !

Madir, madhur,
swapnil raat,
ek indradhanush,
jag gayee aas !

Udwelit man,
chanchal tan,
beetate chhan
betaab nayan !

barson baad.
Gahraa sindhu,
tum us paar !
nahin koi setu !


Gahan andhkaar,
sab nirvikaar,
umadataa pyaar,
aao ek baar !
 -vss

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